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घोटाले में एक्सपर्ट साॅइ एक्सपर्ट टेक्नोलॉजी

ग्राम पंचायत भगवार का मामला ,नौ दिनों में लगाया 15 लाख का चूना , सरपंच सचिव को कोई जानकारी नहीं

सीधी। नाम के अनुरूप ही काम में भी माहिर साॅइ एक्सपर्ट टेक्नोलॉजी का एक और कारनामा सामने आया है जहां इसके संचालक और कर्ताधर्ता ने पंचायत सचिव के साथ मिलकर फर्जी बिलो के जरिए शासन को लाखों रुपए का चूना लगाया है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार तथाकथित फर्म साॅइ एक्सपर्ट टेक्नोलॉजी जो कि कागजों में संचालित होकर शासन को चूना लगा रही है जनपद पंचायत कुसमी अंतर्गत ग्राम पंचायत भगवार मे पदस्थ तत्कालीन पंचायत सचिव जयवीर सिंह के साथ मिलकर दस फर्जी बिलों के भुगतान के जरिए महज 9 दिनों में शासन को 1498850 रुपए का चूना लगाया है। ग्राम पंचायत भगवार मे वर्ष 2019 -2020 के दरमियान पदस्थ रहे पंचायत सचिव जयवीर सिंह द्वारा तथा कथित कागजी फर्म साॅइ एक्सपर्ट टेक्नोलॉजी को महज 9 दिनों में किए गए 14 लाख 98 हजार 850 रुपए के भुगतान की जब छानबीन की तो पता चला कि उक्त फर्म साईं एक्सपर्ट टेक्नोलॉजी को उसके बल क्रमांक 76 दिनांक 26 फरवरी 2020 मैं 147000 रुपए, बिल क्रमांक 77 दिनांक 26 फरवरी 2020 मैं 162800 रुपए और बिल क्रमांक 80 दिनांक 28 फरवरी 2020 मैं 29800 रुपए का भुगतान ईपीओ क्रमांक 2329771 दिनांक 1 मार्च 2020 को किया गया है। इसी तरह बिल क्रमांक 78 दिनांक 24 फरवरी 2020 में 298800 रुपए, बिल क्रमांक 75 दिनांक 26 फरवरी 2020 में 162800 रुपए और बिल क्रमांक 217 दिनांक 27 फरवरी 2020 में 147000 रुपए का भुगतान ईपीओ क्रमांक 2332 173 दिनांक 3 मार्च 2020 को किया गया है। ग्राम पंचायत द्वारा ईपीओ क्रमांक 2340015 दिनांक 9 मार्च 2020 को बिल क्रमांक 225 दिनांक 27 फरवरी 2020 मैं 99 हजार रुपए, बिल क्रमांक 227 दिनांक 27 फरवरी 2020 में 100650 रुपए , बिल क्रमांक 226 दिनांक 4 मार्च 2020 में ₹40000 और बिल क्रमांक 231 दिनांक 4 मार्च 2020 में 42000 का भुगतान कर महज 9 दिनों में 1 मार्च 2020 से 9 मार्च 2020 तक तथाकथित झोलाछाप फर्म साॅइ एक्सपर्ट टेक्नोलॉजी के जरिए अनुसूचित जाति जनजाति विशेष केंद्रीय सहायता योजना मडके 14 लाख 98850 शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय कुसमी और शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय कुसमी में बाउंड्रीवॉल बनाने के नाम पर हजम कर लिए गए। फिलहाल हम बात करते हैं साॅइ एक्सपर्ट टेक्नोलॉजी के भुगतान किए गए बिलों की तो पता चलता है कि उक्त तथाकथित फर्म ने बिल क्रमांक 78 जो की 24 फरवरी 2020 को काटा है वही बिल क्रमांक 75 26 फरवरी 2020 को बिल क्रमण 76 26 फरवरी 2020 को और बिल क्रमांक 77 भी 26 फरवरी 2020 को तो फिर बिल क्रमांक 78,? 24 फरवरी 2020 को कैसे काटा गया ? अनपढ़ व्यक्ति भी यह बता सकता है कि बिल क्रमांक 76 का बिल पहले काटा जाना चाहिए था इसके बाद बिल क्रमांक 77 और 78 का नंबर आता जबकि यहां बिल क्रमांक 78 पहले और बिल क्रमांक 76 व 77 बाद में काटा गया है। इसी तरह ग्राम पंचायत द्वारा भुगतान किए गए बिलों में बिल क्रमांक 217, 27 फरवरी 2020 को काटा गया है जबकि बिल क्रमांक 26 4 मार्च 2020 को काटा गया है जिसका भुगतान 9 मार्च 2020 को किया गया है। सवाल यह उठता है कि तथाकथित झोलाछाप फर्म साॅइ एक्सपर्ट टेक्नोलॉजी द्वारा काटे गए बिल क्या खुद को झूठा साबित नहीं कर रहे हैं ? अगर बिल सही होते तो वह नियमित सीरियल नंबर के साथ होते लेकिन बिलों का ऐसा ना होना चीख चीख क्रिया कह रहा है की साहब मैं तो फर्जी हूं और ऐसा ही रहूंगा। इस संबंध में जब हमने एक बिल में लिखें मोबाइल नंबर पर संपर्क किया तो यह नंबर साॅइ एक्सपर्ट टेक्नोलॉजी के रजिस्टर्ड संचालक श्रीमती नम्रता मिश्रा के पति जीवेन्द्र मिश्रा जो कि इस समूचे फर्जीवाडे के मास्टरमाइंड भी है, से बात की और इस गड़बड़ी के संबंध में चर्चा की तो उन्होंने कहा कि— ” यह सब आम बात है कलेक्टर और एसपी से मेरी बात होती रहती है मेरी पहुंच मंत्री तक है मेरा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता , जो करना है करते रहो ” अब यह तो वे ही जाने की किस मंत्री के इशारे पर यह फर्जीवाड़ा वे चला रहे हैं। बहरहाल हमने भुगतानकर्ता पंचायत सचिव जयवीर सिंह से उनके मोबाइल पर संपर्क किया और इस गड़बड़ी की वजह जानना चाहा तो उन्होंने कहा कि –“साॅइ एक्सपर्ट टेक्नोलॉजी से खरीदी तत्कालीन सरपंच संजय मौर्या ने की थी, इसलिए वही बता सकते हैं कि यह फॉर्म और दुकान कहां पर है बाकी सवालों के जवाब भी वही दे सकते हैं ॔॔। हमने तत्कालीन सरपंच संजय मौर्या से उनके मोबाइल नंबर 9424641090 पर संपर्क किया तो उन्होंने बताया कि– ॓॓ यह काम मैंने नहीं कराया था, बल्कि सचिव रामभद्र शुक्ला के भाई द्वारा किया गया था इसलिए मुझे दुकान और फर्म के संबंध में कोई जानकारी नहीं है।॑ इस तरह देखा जाए तो इस तथाकथित झोलाछाप फर्म के तार कहीं ना कहीं पंचायत सचिव रामभद्र शुक्ला के साथ जुड़ रहे हैं और रामभद्र शुक्ला हमसे पूर्व में ही चर्चा के दौरान इस फर्म का पता जहां पर बता चुके हैं वहां पर ऐसी कोई फर्म नहीं है बल्कि वहां पर जीवेन्द्र मिश्रा के भाई द्वारा संचालित मारुति ट्रेडर्स है जिसके दो दरवाजो में से एक पर कुछ दिनों के लिए साॅइ एक्सपर्ट टेक्नोलॉजी नाम का बैनर चिपकाए गया था और अब उसे भी निकाल दिया गया है। इसका खुलासा हम पूर्व में ही कर चुके हैं। बाहर हाल ग्राम पंचायत भगवार के पूर्व सरपंच संजय मौर्या शिव चर्चा के बाद एक नई बात खुलकर सामने आई है कि पंचायतों में लाखों करोड़ों रुपए के काम पंचायते ना करा कर उन्हें ठेके पर दिया जा रहा है और इस संबंध में सरपंच सचिव को कोई जानकारी नहीं होती है जबकि भुगतान का जिम्मा और कार्य की जवाब दे ही इन्हीं के कंधों पर होती है। कहना गलत नहीं होगा कि कमीशन खोरी के चलते ही घटिया निर्माण कार्य हो रहे हैं जो 5 10 वर्ष तो छोड़िए 1 साल भी पूरा नहीं कर पाते और पहली ही बरसात में बह जाते हैं, फिर जिम्मेदार जांच का दिखावा कर लीपा पोती और कमीशनखोरी में जुट जाते हैं। उल्लेखनीय की तथा कथित फर्म साॅइ एक्सपर्ट टेक्नोलॉजी जिन सामानों की बिक्री के लिए रजिस्टर नहीं है उन सामानों के फर्जी बिल दही चेक काट रहे हैं।

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