राजस्थान

लोन डिफॉल्टर्स को लेकर हाईकोर्ट का बड़ा फैसला

लोन नहीं भर पाने वालों को मिली राहत

Bounce : लोन डिफॉल्टर्स को लेकर हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, लोन नहीं भर पाने वालों को मिली राहत
Loan Default rules : लोन लेने के बाद कई बार कुछ वित्तीय इमरजेंसी हो जाती है, जिस कारण लोन लेने वाला उसे चुकाने या ईएमआई भरने में असमर्थ हो जाता है। ऐसे में ग्राहक को बैंक डिफॉल्टर (HC decision for loan defaulters) की श्रेणी में डाल देते हैं और उस पर तरह-तरह की कार्रवाई शुरू कर देते हैं। इससे लोनधारकों की परेशानी बढ़ जाती है। अब लोन डिफॉल्टर्स को लेकर हाईकोर्ट ने बड़ा निर्णय सुनाया है, जिससे लोन न भर पाने वालों को बड़ी राहत मिलेगी। आइये जानते हैं कोर्ट के इस फैसले के बारे में खबर मेंdefault) जरूरत के समय लोन मिलना राहतभरा लगता है, लेकिन जब यह किन्हीं कारणों से डिफॉल्ट हो जाए और ग्राहक लोन डिफॉल्टर (laon default case) गिना जाने लगे तो बड़ी मुसीबत खड़ी हो जाती है। यह स्थिति आने पर लोन लेने वाले को तरह-तरह की बैंक कार्रवाइयों का सामना करना पड़ता है। कई तरह के नोटिस भी उसे झेलने पड़ते हैं, लेकिन हाईकोर्ट का ये फैसला लोन डिफॉल्टर्स (HC decision in loan default) के लिए बड़ी राहत लेकर आया है। अब लोन डिफॉल्टर्स को बैंक या लोन (loan payment rules) देने वाले वित्तीय संस्थान की मनमानी से छुटकारा मिल सकेगा कानून में नहीं है *यह प्रावधान *
बॉम्बे हाईकोर्ट (bombay high court) ने लोन डिफॉल्टर्स को लेकर हाल ही में एक मामले में सुनवाई करते हुए निर्णय दिया है कि अगर बिना किसी उचित कारण व नियमों का उल्लंघन करते हुए किसी लोन डिफॉल्टर को लुकआउट सर्कुलर जारी किया तो ये रद्द कर दिए जाएंगे। गंभीर मामलों या अपराधिक मामला दर्ज होने की स्थिति में ही इस पर विचार किया जा सकता है। अन्यथा बैंक यह सर्कुलर जारी नहीं कर सकेंगे। बंबई उच्च न्यायालय ने यह भी टिप्पणी की है कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के पास लोन डिफॉल्टर्स के विरुद्ध लुकआउट सर्कुलर (Look out circular rules) जारी करने का कोई अधिकार नहीं है और न ही कानून में ऐसा कोई प्रावधान है. *इस बात को भी नकार दिया हाईकोर्ट ने*

हाई कोर्ट के इस फैसले के बाद बैंकों में भी एलओसी जारी करने के नियमों पर खूब चर्चाएं हो रही हैं। दो जजों की खंडपीठ ने इस मामले में केंद्र सरकार के कार्यालय ज्ञापन में निर्दिष्ट धारा को भी असंवैधानिक बताया है। इसमें कहा गया था कि सरकारी या सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के चेयरपर्सन को लोन डिफॉल्टर्स के खिलाफ एलओसी (LOC kab jari hota hai)जारी करने का अधिकार है। इस बात को हाईकोर्ट ने नकार दिया है और कानून में ऐसा प्रावधान न होने की बात भी कही है।

*आदेश पर रोक लगाने की रखी थी मांग*

लोन डिफाल्ट के एक मामले में केंद्र सरकार (center govt) की ओर से वकील ने कोर्ट के जारी आदेश पर रोक लगाने की गुहार लगाई थी। उनका कहना था कि लोन डिफाल्टर के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर (look Out Circular) जारी करने का अधिकार बैंक को दिया जाए। हाईकोर्ट की पीठ ने इसे इनकार करते हुए अपना फैसला सुनाया। इस मामले में दूसरी आरे से याचिका लगाकर लुकआउट सर्कुलर जारी करने को लेकर सरकार की बताई गई धारा को चुनौती दी गई थी।

*गंभीर मामलों को लेकर यह कहा कोर्ट ने*

कोर्ट ने कहा कि आवर्जन ब्यूरो ऐसे एलओसी यानी लोन की राशि या ईएमआई (EMI payment rules) भरने में असमर्थ रहे लोगों के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर पर कोई कार्रवाई नहीं करेगा। कोर्ट ने इसके साथ ही यह भी क्लियर कर दिया है कि कोर्ट का फैसला लोन डिफॉल्टर के खिलाफ आपराधिक अदालत के आदेशों को प्रभावित नहीं करेगा। यानी गंभीर मामले या अपराध के आरोपों के मामले में लुकआउट सर्कुलर रद करने का फैसला लागू नहीं होगा, तब स्थिति कुछ और होगी।

*सरकार की ओर से बनाई गई थी यह व्यवस्था*

केंद्र सरकार ने साल 2018 में अपनी और से जारी किए गए एक कार्यालय ज्ञापन में संशोधन करते हुए सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को लोन डिफॉल्टर्स के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर जारी (LOC issuing rules ) करने का अधिकार दिया था। इसके साथ ही इसमें धारा का भी उल्लेख किया गया था। सरकार का तर्क था कि देश के आर्थिक हितों की रक्षा करने के लिए एलओसी जारी करने का अधिकार बैंकों को दिया गया है। इस आदेश के अनुसार किसी लोन डिफॉल्टर का देश छोड़कर विदेश जाना देश के आर्थिक हित के लिए हानि का कारण बन सकता है। इसलिए सरकार की ओर से इस तरह के मामलों पर अंकुश लगाने की यह एक तरह की व्यवस्था है।

अपराध की श्रेणी में नहीं आता लोन डिफॉल्टहाई कोर्ट ने सरकार के इस आदेश व तर्क को सिरे से नकार दिया है और कहा कि लोन डिफॉल्टर के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर बैंक (bank news) ऐसे नहीं जारी कर सकते। इससे व्यक्तिगत स्वतंत्रता का हनन है, खासकर तब, जब लोन डिफॉल्टर (Decision In Bank LOC) पर कोई आपराधिक मामला दर्ज न हो और मामला अत्यंत गंभीर न हो। कोर्ट ने यह भी कहा कि लोन डिफॉल्ट करना अपराध की श्रेणी में नहीं आता

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