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घंसौर बरेला पावर प्लांट से निकलने वाली राख से ग्रामीणों की हालत गंभीर, प्रशासन की लापरवाही और दलालों की मनमानी से बढ़ रहा संकट

घंसौर बरेला पावर प्लांट से निकलने वाली राख से ग्रामीणों की हालत गंभीर, प्रशासन की लापरवाही और दलालों की मनमानी से बढ़ रहा संकट

घंसौर बरेला पावर प्लांट से निकलने वाली जहरीली राख ने आसपास के ग्रामीण इलाकों में कोहराम मचा दिया है। राख के गुबार के कारण यहां के निवासी गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का सामना कर रहे हैं। इसकी वजह से ग्रामीणों की आंखों की रोशनी जा रही है, सांसें फूल रही हैं और त्वचा संबंधी गंभीर बीमारियां बढ़ रही हैं। राख में मौजूद आर्सेनिक, सीसा और पारा जैसी जहरीली धातुएं गंभीर खतरे का कारण बन रही हैं।

राख के डंपरों से उड़ती राख बनी समस्या का कारण:
राख से भरे डंपरों की आवाजाही से उड़ने वाली राख गांवों के घरों, खेतों और सार्वजनिक स्थलों में भर रही है, जिससे समस्या और भी बढ़ गई है। इस राख का मानव शरीर पर हानिकारक असर पड़ रहा है और गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म दे रहा है। प्रशासन की लापरवाही और राख से जुड़े दलालों की मनमानी से यह संकट और भी विकराल हो गया है।

ग्रामीणों की स्वास्थ्य समस्याएं:
ग्रामीणों के लिए यह राख गंभीर समस्याओं का कारण बन चुकी है। आंखों में जलन, धुंधलापन और अन्य नेत्र रोग तेजी से फैल रहे हैं। सांस लेने में तकलीफ, खांसी और फेफड़ों की बीमारियां लोगों को परेशान कर रही हैं। त्वचा पर चकत्ते, खुजली और अन्य त्वचा संबंधी समस्याएं भी बढ़ रही हैं। राख के संपर्क में आने से यह समस्याएं गंभीर रूप ले चुकी हैं।

क्या प्रशासन करेगा इस संकट का समाधान?
ग्रामीणों की बढ़ती परेशानियों के बावजूद प्रशासन और जिम्मेदार अधिकारी इस संकट पर चुप्पी साधे हुए हैं। राख के सौदागरों की अवैध गतिविधियां भी प्रशासन की नाक के नीचे हो रही हैं। यदि जल्द ही इस गंभीर समस्या का समाधान नहीं हुआ, तो स्थिति और भी बिगड़ सकती है। स्थानीय लोग प्रशासन से मांग कर रहे हैं कि राख से जुड़े कारोबार पर तत्काल रोक लगाई जाए और पावर प्लांट के आसपास के क्षेत्रों में राख के प्रबंधन के लिए सख्त कदम उठाए जाएं।

आगे की दिशा:
इस समस्या को हल करने के लिए प्रशासन को शीघ्र कदम उठाने चाहिए। राख की धूल से हो रही बीमारियों का इलाज आवश्यक है और पावर प्लांट से जुड़ी अवैध गतिविधियों पर सख्त नियंत्रण जरूरी है। यदि इस पर तुरंत ध्यान नहीं दिया गया, तो ग्रामीणों की जिंदगी और भी कठिन हो सकती है। अब सवाल यह उठता है कि प्रशासन कब इस गंभीर मुद्दे पर कार्यवाही करेगा, और कब स्थानीय निवासियों को इस संकट से राहत मिलेगी।

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सिंगरौली जिला प्रभारी: शिवम कुमार सोनी
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