
आर एस एस ने झूठ और घृणा का कथानक इस देश में लोकप्रिय कैसे बनाया
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आर एस एस) एक हिंदू राष्ट्रवादी संगठन है, जिसने भारत में अपनी विचारधारा को फैलाने और एक विशेष कथानक को लोकप्रिय बनाने के लिए कई रणनीतियों का उपयोग किया है। यह कथानक, जिसे अक्सर झूठ और घृणा से जोड़ा जाता है, समाज में विभाजन पैदा करने और कुछ समुदायों, खासकर मुस्लिम और ईसाई, को निशाना बनाने के लिए जाना जाता है। आइए, इसे विस्तार से समझते हैं कि आर एस एस ने यह कथानक कैसे लोकप्रिय बनाया।
1. विचारधारा का आधार और प्रचार
आर एस एस की स्थापना 1925 में हुई थी और इसका मूल उद्देश्य हिंदू समाज को संगठित करना और “हिंदू राष्ट्र” की अवधारणा को बढ़ावा देना था। संगठन ने अपनी विचारधारा को फैलाने के लिए प्रचार को एक प्रमुख हथियार बनाया। इसमें शामिल हैं:
झूठी जानकारी का प्रसार: आर एस एस पर आरोप है कि उसने इतिहास को तोड़-मरोड़कर पेश किया और अल्पसंख्यक समुदायों को खतरे के रूप में चित्रित किया। उदाहरण के लिए, ऐतिहासिक घटनाओं को बढ़ा-चढ़ाकर या गलत तरीके से प्रस्तुत करना इसका हिस्सा रहा है।
सांस्कृतिक संरक्षण का दावा: संगठन ने खुद को हिंदू संस्कृति के रक्षक के रूप में पेश किया, जिससे कई लोगों में यह भावना जगी कि उनकी पहचान खतरे में है। इस भावना को भुनाकर उसने अपने कथानक को मजबूत किया।
2. सामुदायिक और सामाजिक कार्यों का उपयोग
आर एस एस ने अपनी पहुंच बढ़ाने के लिए सामाजिक कार्यों को एक माध्यम बनाया। ये कार्य सकारात्मक प्रतीत होते हैं, लेकिन इन्हें विचारधारा के प्रचार के लिए इस्तेमाल किया गया:
आपदा राहत: बाढ़, भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाओं में राहत कार्यों के जरिए आर एस एस ने लोगों का विश्वास जीता। इससे उसकी छवि एक सेवा संगठन की बनी, जिसने उसके कथानक को स्वीकार्यता दिलाने में मदद की।
शिक्षा और युवा जुड़ाव: स्कूलों, शाखाओं (स्थानीय इकाइयों), और नेतृत्व प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से युवाओं को जोड़ा गया। इन गतिविधियों में राष्ट्रवाद और हिंदुत्व के विचारों को बढ़ावा दिया गया।
3. राजनीतिक समर्थन और मीडिया का प्रभाव
आर एस एस की सफलता का एक बड़ा कारण इसका राजनीतिक और मीडिया समर्थन है:
राजनीतिक गठबंधन: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) जैसे दलों के साथ आर एस एस का गहरा संबंध रहा है। भाजपा के सत्ता में आने से संगठन को अपनी विचारधारा को mainstream करने का मौका मिला।
सोशल मीडिया और प्रचार: हाल के वर्षों में, सोशल मीडिया पर झूठी खबरें और भड़काऊ सामग्री फैलाने में आर एस एस से जुड़े समूहों की भूमिका देखी गई है। इससे उसका कथानक तेजी से फैला और लोकप्रिय हुआ।
4. समाज पर प्रभाव और लोकप्रियता का कारण
आर एस एस का कथानक लोकप्रिय क्यों हुआ, इसके पीछे कई सामाजिक और मनोवैज्ञानिक कारण हैं:
राष्ट्रवाद का आकर्षण: संगठन ने अपने कथानक को राष्ट्रवाद से जोड़ा, जिससे यह कई लोगों के लिए आकर्षक बन गया। “हिंदू खतरे में है” जैसे नारे भावनाओं को भड़काने में सफल रहे।
विभाजनकारी नीति: अल्पसंख्यकों को निशाना बनाकर बहुसंख्यक समुदाय में एकता का भ्रम पैदा किया गया। इससे घृणा का माहौल बना, जो संगठन के लिए फायदेमंद रहा।
5. परिणाम: सांप्रदायिक तनाव और हिंसा
इस कथानक के लोकप्रिय होने का असर भारतीय समाज पर गहरा पड़ा है:
हिंसा में वृद्धि: आर एस एस पर सांप्रदायिक दंगों और हिंसा को भड़काने का आरोप लगता रहा है। इसके सदस्यों को कई आतंकवादी गतिविधियों से भी जोड़ा गया है।
समाज का ध्रुवीकरण: इस कथानक ने हिंदू और अल्पसंख्यक समुदायों के बीच खाई को चौड़ा किया, जिससे सामाजिक एकता को नुकसान पहुंचा।
निष्कर्ष
आर एस एस ने झूठ और घृणा के कथानक को लोकप्रिय बनाने के लिए प्रचार, सामाजिक कार्य, राजनीतिक समर्थन, और मीडिया का प्रभावी इस्तेमाल किया। इसकी रणनीति में सकारात्मक छवि बनाना और साथ ही विभाजनकारी विचारधारा को बढ़ावा देना शामिल रहा। हालांकि, इसके परिणामस्वरूप समाज में तनाव और हिंसा बढ़ी है। इस कथानक की सच्चाई को समझने और एकता को बढ़ावा देने के लिए गंभीर चिंतन और जागरूकता की जरूरत है।