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फसल अवशेष जलाने से मिट्टी को नुकसान

कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को प्रक्षेत्र दिवस कार्यक्रम में बताए प्रबंधन के तरीके

सिद्धार्थनगर के कृषि विज्ञान केंद्र सोहना में इन-सीटू फसल अवशेष प्रबंधन परियोजना के तहत प्रक्षेत्र दिवस का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम भनवापुर ब्लॉक के अहिरौली पड़री गांव में 24 मार्च 2025 को आयोजित किया गया।

मिट्टी की सतह कठोर

केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. प्रदीप कुमार ने फसल अवशेष जलाने के नुकसान के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि इससेमिट्टी के सूक्ष्म जीव नष्ट होते हैं। मिट्टी की सतह कठोर हो जाती है। इससे वायु संचार बाधित होता है और जल धारण क्षमता कम हो जाती है।

प्रसार वैज्ञानिक डॉ. शेष नारायण सिंह ने फसल अवशेष प्रबंधन के लिए विभिन्न कृषि यंत्रों की जानकारी दी। इनमें हैप्पी सीडर, सुपर सीडर, स्मार्ट सीडर मल्चर और रोटावेटर शामिल हैं। उन्होंने बताया कि फसल अवशेष को सड़ाने के लिए प्रति हेक्टेयर 25 किलोग्राम यूरिया का प्रयोग करें।

उत्पादन में वृद्धि

उद्यान वैज्ञानिक डॉ. प्रवीण कुमार मिश्र ने फसल अवशेषों के फायदे बताए। उन्होंने कहा कि इनका प्रयोग सब्जियों की खेती और फलों के बगीचों में अच्छादन के रूप में किया जा सकता है। इससे खरपतवार नियंत्रण होता है और पानी की बचत के साथ उत्पादन में वृद्धि होती है।

मृदा वैज्ञानिक प्रवेश कुमार ने किसानों को सलाह दी कि फसल अवशेष को खेत में ही डिकंपोजर की मदद से सड़ाएं। गेहूं की कटाई के बाद मिट्टी पलट हल से जुताई करें। गर्मी में हरी खाद वाली फसलों का प्रयोग करें।

कार्यक्रम में कार्यक्रम सहायक नीलम सिंह ने फल और सब्जियों के मूल्य संवर्धन की जानकारी दी। इस अवसर पर रवि गिरी, दिनेश गिरी, गोपाल गिरी, जगदीश तिवारी, मानिक राम और घनश्याम गौतम सहित कई किसान मौजूद रहे।

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