
चंडीगढ़ नोटकांड में पूर्व जस्टिस निर्मल यादव बरी
– CBI कोर्ट ने सुनाया फैसला, गलती से जज निर्मलजीत कौर के घर 15 लाख भेजने का आरोप था
– सिरसा में जिला एवं सत्र न्यायाधीश के पद पर कर चुकी हैं काम
रिपोर्टर इंद्रजीत
चंडीगढ़।
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट की पूर्व जस्टिस निर्मल यादव को 15 लाख के नोटकांड में बरी कर दिया गया। शनिवार शाम 4 बजे के बाद चंडीगढ़ में सीबीआई कोर्ट की स्पेशल जज अलका मलिक ने ये फैसला सुनाया। उन्होंने सुनवाई के दौरान निर्मल यादव समेत सभी आरोपियों को बरी कर दिया। कोर्ट में इस मामले को लेकर 300 से ज्यादा सुनवाई हुईं। वहीं 76 गवाहों के बयान दर्ज किए गए। हालांकि 10 गवाह अपने बयान से पलट गए। इस केस में पूर्व जस्टिस निर्मल यादव के साथ दिल्ली के होटल कारोबारी रविंदर सिंह भसीन, प्रॉपर्टी डीलर राजीव गुप्ता और निर्मल सिंह आरोपी थे। इस मामले के मुख्य आरोपी संजीव बंसल का दिसंबर 2016 में मोहाली के मैक्स अस्पताल में निधन हो गया था। जिसके बाद जनवरी 2017 में उसके खिलाफ चल रहे केस को खत्म कर दिया गया।
कोर्ट के फैसले पर जस्टिस निर्मल यादव के वकील विशाल गर्ग नरवाना ने कहा कि सत्य की जीत हुई है। उन्होंने कहा कि यह मामला कई सालों से चल रहा था और अंततः अदालत ने सही फैसला सुनाया।
गलत जज के घर ले आया था रिश्वत
उल्लेखनीय है कि हाईकोर्ट की जज रहीं जस्टिस निर्मलजीत कौर के घर गलती से रिश्वत के 15 लाख रुपए पहुंच गए थे। CBI के मुताबिक यह रकम जस्टिस निर्मल यादव के लिए थी। जस्टिस निर्मलजीत कौर के चपरासी अमरीक सिंह ने 13 अगस्त 2008 को हुए इसकी शिकायत दी थी। अमरीक के मुताबिक संजीव बंसल का मुंशी प्रकाश राम उनके घर प्लास्टिक बैग में यह रकम लेकर पहुंचा था। उसने कहा था कि दिल्ली से कुछ पेपर्स आए हैं, जो डिलीवर करने हैं। हालांकि बैग में मोटी रकम थी। केस की गंभीरता को देखते हुए चंडीगढ़ सीबीआई को केस की जांच सौंपी गई थी।