
🟥 1. “गायों के नाम पर खेला गया लाखों का खेल, चारा-भूंसा घोटाले से हिली पंचायत!”
📍 स्थान: ग्राम खिरिया काडौर, पंचायत धनौटी, थाना पंडोखर, जिला दतिया (म.प्र.)
📝 विवरण: ग्राम पंचायत धनौटी में पंचायत प्रतिनिधियों ने “चारा-भूंसा खरीद” के नाम पर लाखों की सरकारी राशि को फर्जी बिलों के माध्यम से हड़प लिया। सरपंच प्रियंका रामू गुर्जर, सचिव दीपक पुरोहित और रोजगार सहायक रविंद्र गुर्जर ने एक सुनियोजित साज़िश के तहत अपने ही रिश्तेदार भगवत सिंह गुर्जर के नाम पर ₹5 लाख से अधिक राशि निकाल ली। चौंकाने वाली बात यह है कि न तो कोई चारा खरीदा गया, न ही उसका कोई वितरण हुआ।
🟥 2. “न खरीदा चारा, न आई गाय… फिर भी उड़ गए लाखों रुपये!”
🔎 घोटाले की मुख्य बातें:
फर्जी बिल बनाकर भुगतान किया गया
GST नंबर तक नहीं था!
भगवत सिंह गुर्जर के नाम से निकाले गए सारे भुगतान
एक ही महीने में निकली बड़ी रकम
📌 प्रभावित: पूरे ग्राम पंचायत के विकास कार्यों पर पड़ा असर, आमजन के हक का पैसा अधिकारियों की जेब में गया।
🟥 3. “चारा सरपंच ने खाया या गाय ने? – जनता पूछ रही है जवाब!”
🎙️ बयान: शिकायतकर्ता प्रवीण सिंह ने प्रशासन को चेतावनी दी है – यदि जांच न हुई तो हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की जाएगी।
📢 मांग:
दोषियों का तत्काल निलंबन
बैंक खातों को फ्रीज़ किया जाए
उच्चस्तरीय जांच समिति का गठन हो
ग्राम पंचायत के सभी भुगतान पर रोक लगे
🟥 4. “सचिव-सर्पंच का चारा सिंडिकेट! फर्जी बिलों से बना भ्रष्टाचार का किला”
📂 दस्तावेज़ी सबूत: शिकायत में दर्ज हैं बिल की कॉपी, भुगतान की तिथि, और रजिस्टर में दर्ज विवरण – जो सीधे तौर पर घोटाले की पुष्टि करते हैं।
👁️🗨️ निगरानी की कमी: स्थानीय अधिकारी आंख मूंदे बैठे रहे, जिससे घोटाले को बल मिला।
🟥 5. “गांव के विकास की जगह नेताओं ने चराया चारा!”
🌾 गरीबों के नाम पर हो रहा था खेल: ग्रामवासियों के नाम पर बनाई गई खरीद की योजना केवल कागजों तक सीमित रही। न कोई सामान आया, न वितरण। केवल बैंक खातों में ट्रांजेक्शन हुआ और पैसे हवा हो गए।
🟨 विशेष रिपोर्ट: “पंचायत में भ्रष्टाचार की भैंस! किसने कितने बाल्टी चारा पीया?”
🔬 विश्लेषणात्मक रिपोर्ट: एक महीने में ₹5 लाख का चारा? कितना चारा होता है इस राशि में? कितनी गायें इसे खा सकती थीं? RTI और सामाजिक ऑडिट से साफ हो सकता है पूरा मामला।
🟩 आगामी रिपोर्ट में शामिल किया जाएगा:
ग्रामवासियों की गवाही
RTI से प्राप्त दस्तावेज़
पंचायत रिकॉर्ड में विसंगतियाँ
संबंधित अधिकारियों की भूमिका