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उपायुक्त ने इंडोर स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स एवं ट्राइबल म्यूजियम का किया निरीक्षण, दिए आवश्यक निर्देश…*

उपायुक्त ने इंडोर स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स एवं ट्राइबल म्यूजियम का किया निरीक्षण, दिए आवश्यक निर्देश…*

 

उपायुक्त अभिजीत सिन्हा ने आज जिले में निर्माणाधीन इंडोर स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स एवं ट्राइबल म्यूजियम का निरीक्षण किया। निरीक्षण के क्रम में उन्होंने कार्य प्रगति की समीक्षा की और संबंधित अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए।

🔹 इंडोर स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स: उपायुक्त ने इंडोर स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स का निरीक्षण करते हुए निर्देश दिया कि इसे इंटीग्रेटेड स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स के रूप में विकसित किया जाए। उन्होंने कहा कि बैडमिंटन कोर्ट, टेबल टेनिस, जिम, मेडिटेशन सेंटर आदि की बेहतर व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।

उन्होंने जिला खेल पदाधिकारी को निर्देशित किया कि खेल संघों से बातचीत कर सुझाव प्राप्त करें और अगस्त 2025 तक सभी कार्य पूर्ण कराएं। यह परिसर ₹4.91 करोड़ की लागत से निर्मित किया जा रहा है।

निरीक्षण के दौरान स्विमिंग पूल की अव्यवस्थित स्थिति को देखकर उपायुक्त ने नाराजगी व्यक्त की। उन्होंने स्वच्छता एवं मेंटेनेंस की उचित व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश संबंधित पदाधिकारी को दिया।

🔹 ट्राइबल म्यूजियम: उपायुक्त ने ट्राइबल म्यूजियम के निर्माण स्थल का भी निरीक्षण किया। अब तक करीब 35% कार्य पूर्ण हो चुका है। यह म्यूजियम ₹18 करोड़ की लागत से बन रहा है और नवंबर 2026 तक कार्य पूर्ण होने की संभावना है।

यह म्यूजियम ट्राइबल थीम पर आधारित एक भव्य शोपीस के रूप में विकसित किया जा रहा है, जिसमें कई सुविधाएं शामिल होंगी। जैसे ग्रीन रूम, लॉबी एवं वेटिंग एरिया, 215 लोगों की क्षमता वाला ओपन एयर ऑडिटोरियम, लाइब्रेरी, टिकट काउंटर, रेस्टोरेंट, एंटीक शॉप एवं सॉवेनियर शॉप।

उपायुक्त ने कार्य एजेंसी को निर्देश दिया कि गुणवत्ता के साथ कार्य में तेजी लाएं और निर्धारित समयसीमा में सभी निर्माण कार्य पूर्ण करें।

दुमका में बन रहा है राज्य का पहला ट्राइबल थीम पर आधारित आधुनिक संग्रहालय

झारखंड सरकार द्वारा दुमका में एक भव्य और आधुनिक ट्राइबल म्यूजियम का निर्माण कार्य तेजी से किया जा रहा है, जो राज्य की समृद्ध आदिवासी विरासत को संरक्षित एवं प्रदर्शित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। यह संग्रहालय पारंपरिक आदिवासी रूपांकनों और टिकाऊ निर्माण तकनीकों का उपयोग करते हुए विकसित किया जा रहा है, जो राज्य की सांस्कृतिक विविधता, इतिहास और विकास की गाथा को दर्शाएगा।

यह संग्रहालय झारखंड की 30 से अधिक जनजातियों की स्वदेशी संस्कृति, रीति-रिवाजों, कलाकृतियों, पारंपरिक औजारों, परिधानों, वाद्ययंत्रों तथा जीवनशैली को संरक्षित व प्रदर्शित करेगा, जिनमें से कई आज लुप्तप्राय स्थिति में हैं।

विशेष रूप से यह संग्रहालय संथाल विद्रोह से लेकर बिरसा मुंडा आंदोलन तक आदिवासी प्रतिरोध आंदोलनों के गौरवशाली इतिहास को उजागर करेगा। इसमें बिरसा मुंडा, सिद्धो-कान्हू सहित अन्य वीर आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों के जीवन और योगदान का जीवंत दस्तावेजीकरण किया जाएगा, ताकि आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा मिल सके।

यह केंद्र आदिवासी संस्कृति, पुरातत्व एवं प्राकृतिक इतिहास पर अकादमिक शोध के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में कार्य करेगा और राज्य की जैव विविधता व प्राकृतिक संपदा की झलक भी प्रस्तुत करेगा। इसके माध्यम से न केवल सांस्कृतिक धरोहरों को सहेजा जाएगा, बल्कि यह क्षेत्रीय पर्यटन को भी बढ़ावा देगा।

झारखंड सरकार का यह प्रयास राज्य की आदिवासी पहचान को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पटल पर स्थापित करने की दिशा में एक सशक्त कदम है।

 

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