
कुशीनगर । राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान (RGSA) के अंतर्गत विकास खंड सभागार दुदही में आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला में पंचायत प्रतिनिधियों को शासन की योजनाओं से अवगत कराया गया। कार्यशाला का उद्देश्य पंचायतों की कार्यक्षमता, जवाबदेही और पारदर्शिता को बढ़ाना था। मंच पर बैठे अफसरों ने योजनाओं की प्रशंसा की झड़ी लगा दी, लेकिन नीचे बैठे प्रतिनिधि जलपान व्यवस्था से बेहद असंतुष्ट दिखे।
कार्यशाला में PAI कमेटी के सदस्य, ग्राम पंचायत सचिव और सम्मानित ग्राम प्रधान शामिल हुए। मुख्य विकास अधिकारी गुंजन द्विवेदी (IAS), जिलाधिकारी महेंद्र सिंह तंवर (IAS), और जिला पंचायत राज अधिकारी आलोक कुमार प्रियदर्शी ने पंचायतों की भूमिका को “ग्रामीण भारत की रीढ़” बताया और डिजिटल गवर्नेंस की दिशा में उठाए गए कदमों को सराहा।
लेकिन इन सभी सकारात्मक चर्चाओं के बीच एक मुद्दा सबसे ज़्यादा चर्चा में रहा — जलपान की अव्यवस्था।
प्रतिनिधियों ने कहा कि उन्हें घंटों प्रशिक्षण के बाद जो जलपान मिला, वह सिर्फ औपचारिकता थी, गुणवत्ता और आतिथ्य कहीं नज़र नहीं आया।
कुछ ने तो यहां तक तंज कसा कि “अगर गांवों में भी योजनाएं इसी तरह चलाई जाती हैं, जैसे जलपान परोस गया, तो फिर विकास की कल्पना केवल बैनरों तक ही सीमित रह जाएगी।”
कार्यक्रम में पंचायत एडवांसमेंट इंडेक्स (PAI) के अंतर्गत पंचायतों के मूल्यांकन, फीडबैक सिस्टम, पारदर्शी बजट प्रबंधन, और ई-पंचायत प्रणाली पर विस्तृत चर्चा हुई।
साथ ही, अच्छे कार्य करने वाली ग्राम पंचायतों को मंच से सराहा गया और प्रोत्साहित भी किया गया।
अशोक कुमार तिवारी स्टेट ट्रेनर,विनय तिवारी स्टेट ट्रेनर,मजहारुल हक सहायक विकाश अधिकारी पंचायत,उपेंद्र उपाध्याय खण्ड प्रेरक,विजय कुमार यादव खण्ड प्रेरक,सोनू रावत कंप्यूटर आपरेटर,ग्राम पंचायत सचिव,ग्राम प्रधान व पंचायत सहायक मौजूद रहे।
✍️ मूल सवाल यह है कि जब पंचायतों से उत्कृष्ट कार्य की उम्मीद की जाती है, तो कार्यक्रमों में उनकी बुनियादी सुविधाओं का ख्याल क्यों नहीं रखा जाता?
वंदे भारत न्यूज से मान्धाता कुशवाहा