
वंदे भारत लाइव टीवी न्यूज रिपोर्ट
नई दिल्ली। सरकारी तेल एवं गैस कंपनी ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉरपोरेशन (ओएनजीसी) के चेयरमैन अरुण कुमार सिंह ने साफ कर दिया है कि उनकी समूह कंपनियां रूसी कच्चे तेल की खरीद और प्रसंस्करण तब तक जारी रखेंगी, जब तक यह आर्थिक और वाणिज्यिक दृष्टि से लाभकारी साबित होता है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि भारत सरकार की ओर से रूसी तेल आयात को रोकने या सीमित करने का कोई दबाव नहीं है।
रूस इस समय भारत का सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता है और 35-40 प्रतिशत तक कच्चा तेल भारत को रूस से ही मिल रहा है। 2022 में जब रूस ने यूक्रेन पर हमला किया, तब भारत ने पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों के बावजूद रूसी तेल का आयात बढ़ाया था, क्योंकि यह भारत के लिए सस्ता और लाभदायक साबित हो रहा था।
अरुण कुमार सिंह ने कहा, “जब तक यह आर्थिक रूप से फायदेमंद है, तब तक हम बाजार में उपलब्ध रूसी तेल की हर बूंद खरीदते रहेंगे।” उन्होंने यह भी बताया कि ओएनजीसी समूह की रिफाइनरियां – हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) और मैंगलोर रिफाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड (एमआरपीएल) रूस से तेल खरीदने के लिए पूरी तरह स्वतंत्र हैं।
उन्होंने जोर देकर कहा कि रूसी तेल पर कोई प्रतिबंध नहीं है और जब तक सरकार की ओर से कोई नया निर्देश नहीं आता, तब तक खरीद जारी रहेगी।
रिफाइनिंग क्षमता पर आंकड़े:
एचपीसीएल और एमआरपीएल की संयुक्त रिफाइनिंग क्षमता: लगभग 40 मिलियन टन प्रति वर्ष (MTPA)।
एचपीसीएल की एक संयुक्त उद्यम रिफाइनरी (मित्तल एनर्जी के साथ): 11.3 MTPA।
देश की कुल रिफाइनिंग क्षमता: 258 MTPA।
बड़ी बात क्यों है?
भारत ऊर्जा जरूरतों के लिए बड़े पैमाने पर कच्चे तेल के आयात पर निर्भर है। पश्चिमी देशों द्वारा रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों के बावजूद भारत ने सस्ता रूसी तेल खरीदकर अपनी लागत कम की है। इससे घरेलू बाजार में ईंधन कीमतों पर नियंत्रण रखने में मदद मिलती है।