सुमिता शर्मा चंद्रपुर महाराष्ट्र:
फर्जी दस्तावेजों से मोबाइल सिम कार्ड हासिल करने की प्रथा पर अब लगाम लगेगी। सिम कार्ड के कारण धोखाधड़ी की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए प्रधानमंत्री कार्यालय ने एक निर्देश जारी किया है। इसलिए नया सिम कार्ड खरीदने के लिए आधार बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन की आवश्यकता होगी। इसलिए मोबाइल कनेक्शन के बढ़ते दुरुपयोग को रोका जा सकेगा। फर्जी कनेक्शन का इस्तेमाल धोखाधड़ी या अपराध करने के लिए किया जाता है।
पहले नए मोबाइल कनेक्शन के लिए सरकारी आईडी कार्ड की जरूरत होती थी। इसलिए वोटिंग कार्ड, पासपोर्ट, वाहन लाइसेंस जैसे किसी भी दस्तावेज के आधार पर मोबाइल कनेक्शन मिलता था। लेकिन ये फर्जी दस्तावेज बनाकर सिम कार्ड लिए जा रहे थे। लेकिन नए नियम के मुताबिक, सिम कार्ड को एक्टिवेट करने के लिए बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन जरूरी है। कोई भी विक्रेता इस तरह से सिम कार्ड बेच सकता है।
एआई टूल्स का उपयोग करने के निर्देश
प्रधानमंत्री कार्यालय ने दूरसंचार विभाग से कानूनी जांच एजेंसियों के साथ काम करने को कहा है। दूरसंचार विभाग को अपराधियों की पहचान करने और उन्हें दंडित करने के लिए एआई टूल का उपयोग करने का निर्देश दिया गया है। फर्जी दस्तावेज स्वीकार कर सिम कार्ड जारी करने वाले विक्रेताओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। नया सिम कार्ड पाने के लिए आधार आधारित बायोमेट्रिक सत्यापन अब एक समझौता न होने वाला मामला बन गया है।
बैठक में सारी बातें सामने आईं
हाल ही में टेलीकॉम सेक्टर की समीक्षा बैठक हुई थी। उस बैठक में जांच एजेंसियों ने बताया कि फर्जी सिम कार्ड वित्तीय घोटालों में भी अहम भूमिका निभाते हैं। इस संबंध में कई उदाहरण सामने आ चुके हैं। पता चला कि एक ही डिवाइस में कई सिम कार्ड जोड़े गए हैं। यह सब टेलीकॉम नियमों का उल्लंघन था।इस बैठक में जांच एजेंसियों ने कहा कि इससे साइबर क्राइम बढ़ा है।
फर्जी सिम कार्ड इस्तेमाल करने वालों को तीन साल के लिए ब्लैकलिस्ट किया जाएगा। उनके सभी सक्रिय सिम कार्ड ब्लॉक कर दिए जाएंगे। उन्हें छह महीने से तीन साल तक नया सिम लेने पर भी रोक रहेगी।