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संविदा कर्मचारियों को नियमित नहीं करने पर हाईकोर्ट द्वारा सी.एम.डी. पी.एस.पी.सी.एल को नोटिस जारी किया गया

संविदा कर्मचारियों को नियमित नहीं करने पर हाईकोर्ट द्वारा सी.एम.डी. पी.एस.पी.सी.एल को नोटिस जारी किया गया

सलमान कपूर/मलेरकोटला/कोटकपुरा:

पंजाब राज्य पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड के तहत पंजाब के विभिन्न उप-मंडलों में पिछले 15 वर्षों से अनुबंध पर कार्यरत कैशियर और मीटर रीडरों के नियमितीकरण के लिए पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में सिविल रिट याचिका 14363/15, 19324/ और सिविल रिट याचिका 19608/15 रविंदर कपूर बनाम पंजाब स्टेट पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड सीएमडी पीएसपीसीएल के माध्यम से दायर किया गया था. पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के न्यायाधीश नमित कुमार ने 29/2/24 को फैसला सुनाया और पीएसपीसीएल को आदेश जारी किया कि याचिकाकर्ता को चार महीने के भीतर नियमित किया जाए।

इस संबंध में याचिकाकर्ता रविंदर कपूर उर्फ रोमी ने जानकारी दी और कहा कि उक्त तीनों याचिकाओं की आदेश प्रतियां हस्तलिखित थीं। एमडी पीएसपीसीएल पटियाला, निदेशक एचआरपीएसपी सीएल पटियाला, मुख्य अभियंता साउथ पीएसपीसीएल पटियाला, मुख्य अभियंता पीएसपीसीएल बठिंडा, एस.ई. पी.एस.पी.सी.एल बठिंडा, मोगा, फरीदकोट, अबोहर और रामपुरा, एक्सियन पीएसपीसीएल मैन्युअल रूप से कोटकपुरा, फरीदकोट, मोगा, अबोहर, बठिंडा, बरनाला आदि दिनांक 6/3/2024 दी गई थी। जो 6/7/2024 को समाप्त हो रही है

उच्च न्यायालय में उक्त तीन याचिकाओं के याचिकाकर्ताओं के बाद आदेशों का पालन न करने पर कोट ऑफ कंटेस्ट याचिकाएं दायर कर दिया गया , जिसकी सुनवाई पंजाब हरियाणा उच्च न्यायालय द्वारा 11 एवं 12 जुलाई को की गई।

जिसमें वकील केबी रहेजा की प्रस्तुत की गई दलीलों से न्यायाधीश राजबीर सुरावत तर्कों से सहमत हुए। और 19/11/2024 एवं 1/10/2024 को नोटिस जारी कर जवाब मांगा। कपूर ने आश्चर्य व्यक्त किया कि पीएसपीसीएल अधिकारियों ने पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में 10 साल के लंबे इंतजार के बाद निर्णय जारी न करके अदालत का उल्लंघन किया है, जहां उन्होंने याचिकाकर्ताओं का समय भी बर्बाद किया है। उन्होंने कहा कि अगर पीएसपीसीएल के अधिकारी उच्च न्यायालय के आदेशों की अवहेलना करेंगे तो वे आम जनता के बारे में क्या सोचेंगे? सीएमडी को कोट ऑफ कंटेम्प्ट याचिका में दंडित किया जाना चाहिए ताकि भविष्य में कोई भी अधिकारी उच्च न्यायालय के आदेशों को टीच न समझे।

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