गुरू नानकदेव जी सिख धर्म के संस्थापक थे। आज गुरू नानकदेव जी की 555वीं जयंती है। सिख धर्मावलंबी इस दिन को श्रद्धा भक्तिभाव के साथ मनाते है। गुरू नानकदेव जी की जयंती प्रतिवर्ष कार्तिक मास की पूर्णिमा को मनाई जाती है। इस दिन को प्रकाश पर्व के रूप मे भी जाना जाता है। यह उत्सव सिख समुदाय के लिए प्रमुख उत्सव है। गुरू नानकदेव जी को सिख धर्म का प्रथम गुरू माना जाता है। इस दिन गुरूद्वारों मे अनेक आयोजन किये जाते है। गुरू नानकदेव जी ने समाज मे ज्ञान का प्रकाश फैलाने का शुभ कार्य किया। आज 15 नवंबर शुक्रवार 2024 को पूरे देशभर मे गुरू नानकदेव जी 555वीं जयंती प्रकाश पर्व के रूप मे हर्षोल्लास के साथ मनाई जा रही है। आज के दिन गुरूद्वारों मे दीप जलाकर गुरू नानकदेव जी की पूजा वंदना करते है। सभी गुरूद्वारों को सुंदर फूलों और रोशनी से सजाया जाता है। गुरूवाणी का पाठ किया जाता है। गुरू ग्रंथ साहिब की शिक्षाओं का पाठ किया जाता है। आज के दिन विशेष भोजन बनाए जाते है, लंगर सेवा की जाती है। घरों पर नगर कीर्तन और गुरू ग्रंथ साहिब का पाठ आयोजित करते है। गुरू नानकदेव जी के अनुरायी उन्हे नानकदेव, बाबा नानक, नानकशाह आदि नाम से संबोधित करते है। गुरूनानकदेव जी ने “इक ओंकार”का संदेश फैलाया था। इसका अर्थ है कि ईश्वर एक है। इस दिन प्रभात फेरी निकाली जाती है,गुरूद्वारों मे कीर्तन लंगर का आयोजन किया जाता है। गुरूनानकदेव जी के द्वारा दी गई शिक्षा-: परमेश्वर एक है।। हमेशा एक ईश्वर की साधना मे मन लगाना चाहिए ।। दुनिया के प्रत्येक जगह और हर प्राणी मे ईश्वर का वास होता है ।। ईश्वर की भक्ती करने वाले लोगो को किसी का भय नही सताता ।। हमे हमेशा ईमानदारी से जीवन निर्वाह करना चाहिए ।। कभी किसी बारे मे बुरा नही सोचना चाहिए ।। किसी को भी कभी भी सताना नही चाहिए ।। सदैव प्रसन्न रहना और ईश्वर से अपने लिए क्षमा याचना करनी चाहिए। ।। हमेशा जरूरतमंदों की सहायता करनी चाहिए ।। भोजन शरीर को बनाए रखने के लिए आवश्यक होता है, परंतु लोभ लालच से संग्रह करना बुरी आदत है ।।
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