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हिंदुस्तान के 140 करोड़ लोगों की तरफ से नेहरू की सोच को सलाम!

*अगर नेहरू ने CDRI न बनाया होता तो आज बीमार होने पर 90% लोगों को दवाई न मिल पाती*

*फरवरी 1951 को पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा देश को समर्पित किया गया। छतर मंजिल में सीडीआरआइ की स्थापना के साथ ही यह तय हो गया था कि स्वतंत्र भारत विज्ञान के क्षेत्र में नई ऊंचाइयों को तय करेगा। वैज्ञानिकों ने उम्मीदों को पूरा करने के लिए भरसक प्रयास किया, जिसका नतीजा यह है कि भारत में जो 21 नई ड्रग खोजी गई हैं, उनमें से 13 सीडीआरआइ के नाम हैं।*

➡️1947 में जब देश आजाद हुआ, तब अंग्रेजों द्वारा कंगाल कर छोड़ें गए भारत में कई नई बीमारियों और महामारियों का दौर चल रहा था। विदेश से मंगाई गई दवाइयां महंगी कीमतों में बिकती थी। इन महंगी दवाइयां को खरीदने के लिए लोगों के पास पैसा नहीं थे।

➡️ऐसी हालत में दवाई और इलाज के अभाव में हर दिन हजारों लोगों की जानें जाती थी। भारत के पास न ढंग के अस्पताल थे, न हीं ड्रग पर रिसर्च करने का कोई इंस्टीट्यूट, जिससे कि भारत अपने लोगों के लिए दवाई बना सके।

➡️प्रधानमंत्री नेहरू जी के मन में एक ऐसे इंस्टिट्यूट की स्थापना का विचार आया जो कम कीमत वाली बेहतरीन दवाइयों पर रिसर्च कर पाए। नेहरू जी ने साल 1951 में अमेरिका, ब्रिटेन और जर्मनी जैसे देशों की तर्ज पर भारत में सेंट्रल ड्रग रिसर्च इंस्टीट्यूट (CDRI)की स्थापना की।

➡️इस संस्थान में दुनिया के टॉप संस्थाओं से मेडिकल की पढ़ाई करके आने वाले लोगों को कम करने का अवसर मिला। सरकार ने शानदार वैज्ञानिकों की टीम को देश सेवा में लगा दिया।

➡️अपनी स्थापना के कुछ ही वर्ष बाद ये संस्थान दुनिया के टॉप मेडिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट को टक्कर देने लगा। जो दवाइयां अमेरिका और ब्रिटेन में नहीं बन सकती थी, वो भारत के लखनऊ में बनने लगी।

➡️देखते ही देखते कुछ ही वर्षों में भारत दवाइयों के क्षेत्र में आत्मनिर्भर हो गया। यहां बनने वाली दवाइयां विदेश से आयात होने वाली दवाइयों की तुलना में कम कीमत वाली और मगर बेहतर असर वाली होती गईं।
गरीब से गरीब और अमीर से अमीर भारतीय के पास ये क्षमता हो गई कि वह अपना इलाज और दवाई करा सकता है।
➡️आज भारत क्या विदेशों में भी जिन नई दवाइयों पर रिसर्च किया जाता है ,उनमें सबसे पहले सफलता CDRI के वैज्ञानिकों को मिलती है। आज CDRI के नाम कई अद्भुत कीर्तिमान दर्ज हैं।

यह 75 साल पहले नेहरू की दूरदर्शी का बोया हुआ वृक्ष था, जो आज चिकित्सा के क्षेत्र में भारत को हर कदम पर दुनिया से आगे रख रहा है।
हिंदुस्तान के 140 करोड़ लोगों की तरफ से नेहरू की सोच को सलाम!

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