हम हर उस पत्रकार के पास जाएंगे, जिन्हें वसूली गैंग ने इस्तेमाल कर माथे पर कालिख पोत कर घुट-घुट कर मरने के लिए छोड़ दिया
खोड़ा कॉलोनी, गाजियाबाद में ब्लैकमेलिंग और पत्रकार की आत्महत्या के मामले ने खोले कई सवाल
गाजियाबाद/नोएडा।
खोड़ा कॉलोनी, जो गाजियाबाद के अंतर्गत आती है, अब अपने एक और विवादित मुद्दे को लेकर सुर्खियों में है। यहां के एक पत्रकार की आत्महत्या ने वसूली गैंग की गतिविधियों को उजागर किया है, जो ब्लैकमेलिंग और दबाव बनाने के लिए पत्रकारों का इस्तेमाल करते हैं। यह मामला नोएडा और गौतमबुद्धनगर जिले के हिस्से में आता है, जिससे स्थिति और भी जटिल हो गई है।
संगीन आरोपों के तहत, एक पत्रकार को वसूली के लिए दबाव डाला गया था और जब उसने इसका विरोध किया, तो उसे आत्महत्या के लिए मजबूर कर दिया गया। घटना ने समाज के हर वर्ग में गहरी चिंता पैदा कर दी है, खासकर उन पत्रकारों के लिए जो ऐसे वसूली गैंग से जुड़ी दहशत का शिकार हो रहे हैं।
ब्लैकमेलिंग की तिकड़म और पत्रकारों का शोषण
यह घटना सिर्फ एक दुखद हादसा नहीं है, बल्कि एक संकेत भी है कि पत्रकारों को किस तरह से वसूली गैंग अपने चंगुल में ले लेते हैं। पत्रकारिता का पेशा अब पहले की तरह सुरक्षित नहीं रह गया है, और ऐसे गैंग पत्रकारों को दबाव में डालकर उनकी प्रतिष्ठा को चोट पहुंचाते हैं।
पीड़ित पत्रकारों के लिए आवाज उठाने की जरूरत
इस मामले के तूल पकड़ने के बाद अब पत्रकारों के अधिकारों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। स्थानीय समाज और मीडिया को मिलकर इस मुद्दे को उठाना चाहिए ताकि वसूली गैंग के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो सके।
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एलिक सिंह
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