लचित बोफुर्कन समूह को ब्रजभूमि के आगरा महानगर से प्रस्थान करते समय मेजबान परिवारों का प्रतिनिधियों के साथ कुछ रिश्ते लंबे समय के बंधनों से परेह होते है वे न दिनो में बनते हैं न वर्षों में बल्कि कुछ ही पलों में आत्मा से आत्मा का ऐसा जुड़ाव हो जाता है कि बिझड़ना असहनीय लगने लगता है राष्ट्रीय एकात्मकता यात्रा के माध्यम से आगरा आए पूर्वोत्तर के साथियों के साथ भी कार्यकर्ताओं का कुछ ऐसा ही आत्मीय संबंध बन गया था
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