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यमुना तट पर स्थित भव्य विश्रांत घाट मंदिर

जगम्मनपुर (जालौन) जनपद का सर्वाधिक खूबसूरत यमुना तट पर बना विसरांत घाट मन्दिर के बारे में…
जिला मुख्यालय उरई से लगभग 70 किलोमीटर दूर उत्तर में जगम्मनपुर के निकट यमुना तट पर बना जनपद का सर्वाधिक सुंदर स्नान घाट जिसे स्थानीय बोलचाल की भाषा में विसरांत घाट कहकर संबोधित किया जाता हैं, बताया जाता हैं कि कान्यकुब्ज राज्याधिपति महाराज जयचंद ने अपनी पुत्री देवकली का विवाह कनार राज्याधिपति महाराज विशोकदेव से किया व दहेज में कानपुर औरैया के छेत्र के अनेक गाँव दहेज में दिये एवं अपनी पुत्री के लिये यमुना नदी के उत्तरी तट पर विशाल शिव मंदिर का निर्माण करवा कर देवकली नामक नगर बसाया! यह नगर तो आज अतीत का किस्सा हो गया लेकिन यमुना तट पर देवकली के नाम से प्रसिद्ध शिव मंदिर औरैया के निकट आज भी सुरक्षित हैं! इन्हीं महारानी देवकली के स्नान व पूजा करने के लिए महाराज विशोकदेव ने कनार राज्य के मुख्य नगर शिवगंज जो उस समय का प्रसिद्ध व्यापारिक केंद्र था, उसके पास यमुना तट पर शिव मन्दिर का निर्माण करवा कर मन्दिर से यमुना तक जाने के लिए सुंदर नक्काशीदार 35 गज अर्थात 105 फुट चौङी एवं लगभग 300 फुट की दूरी तक जो पानी तक फैली सिड़ियो का निर्माण करवाया! सिड़ियों के शीर्ष पर 35 मीटर चौड़ा भव्य व नक्काशीदार बरामदा बना हैं, जिसे स्थानीय बोलचाल की भाषा में बारादरी कहते हैं! प्राचीन काल में यमुना पार करने का यहाँ पर मुख्य घाट था! लगभग 600 वर्ष बीत गये फतेहपुर सीकरी में राजा राणा सांगा की मदद करने वाले कनार राज्यधिपति के विशाल दुर्ग के ध्वस्त होने के बाद यहाँ के राजवंश के 28वें राजा एवं राजा विशोकदेव की 20वीं पीढ़ी के महाराज ईश्वरराज के पुत्र जगम्मंशाह ने सन् 1563 में जगम्मनपुर नगर बसाकर किला का निर्माण करवाया! अंतिम बार कनार राज्य शाखा के 37वें राजा एवं जगम्मनपुर राज्य के नौवें राजा महिपतशाह द्वारा इस मंदिर एवं विसरांत घाट का आज से लगभग 200 वर्ष पूर्व जीर्णोउद्वार कराया गया!

यह भव्य विसरांत घाट मन्दिर बहुत ही पवित्र स्थान हैं, और यह मंदिर 500 से भी अधिक वर्ष पुराना हैं!🕉🙏❤

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