
रिपोर्ट:
नवादा जिले के गोविंदपुर प्रखंड अंतर्गत थाली थाना क्षेत्र के सुघड़ी गांव स्थित राजकीयकृत मध्य विद्यालय इन दिनों बदहाल शिक्षा व्यवस्था, प्रशासनिक अनदेखी और निजी विद्यालयों की मनमानी के चलते गहरे संकट में है। विद्यालय में कक्षा 1 से 8 तक लगभग 350 छात्र-छात्राएं नामांकित हैं, लेकिन शिक्षकों की संख्या केवल 7 है, जिनमें से एक को प्रभारी प्रधानाध्यापक का प्रभार दिया गया है।
शिक्षकों और संसाधनों की गंभीर कमी
शिक्षकों ने बताया कि विद्यालय में अभी तक स्वीकृत पदों के अनुसार शिक्षकों की बहाली नहीं की गई है। विषयवार शिक्षकों का अभाव है, जिससे छात्रों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। साथ ही, अब तक छात्रों को पाठ्यपुस्तकें भी उपलब्ध नहीं कराई गई हैं।
बीआरसी प्रतिनियोजन से बिगड़ी स्थिति
प्रभारी प्रधानाध्यापक ने बताया कि विद्यालय में कार्यरत कुछ शिक्षकों को प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी द्वारा बीआरसी में नियमविरुद्ध ढंग से प्रतिनियुक्त किया जा रहा है और इसकी सूचना तक विद्यालय को नहीं दी जाती। शिक्षक बिना सूचना दिए बीआरसी में ड्यूटी दर्ज कर वहां डटे रहते हैं, जिससे विद्यालय में शिक्षक उपस्थिति और पढ़ाई दोनों प्रभावित हो रही हैं।
प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी पर दोहरी नीति का आरोप
एक शिक्षिका लंबे समय से अनुपस्थित है, लेकिन प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी ने उस पर कोई कार्रवाई नहीं की, बल्कि उसे उपस्थिति दर्ज करने के निर्देश दे दिए। इसके उलट, यही पदाधिकारी पहले 5 मिनट की देरी पर वेतन कटौती और छुट्टी दर्ज करने की चेतावनी देते थे। इससे शिक्षा विभाग की दोहरी नीति और पक्षपातपूर्ण रवैया उजागर होता है।
निजी विद्यालयों का बढ़ता प्रभाव और उपस्थिति में गिरावट
प्रभारी प्रधानाध्यापक ने यह भी बताया कि सरकारी विद्यालय से महज 500 मीटर की दूरी पर कई निजी विद्यालय संचालित हो रहे हैं, जिनकी सूचना मौखिक रूप से कई बार प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी को दी गई, लेकिन उनके ‘शुभ लाभ’ के चलते कोई कार्रवाई नहीं हुई। इन निजी स्कूलों के संचालन के कारण सरकारी विद्यालय में बच्चों की उपस्थिति में गिरावट देखी जाती है, जिससे सरकारी शिक्षा प्रणाली पर सीधा असर पड़ रहा है।
सूचना और पारदर्शिता का अभाव
शिक्षक प्रतिनियोजन के संदर्भ में भी प्रभारी प्रधानाध्यापक ने बीआरसी बैठक में पत्रांक व दिनांक की जानकारी मांगी, लेकिन अब तक कोई सूचना नहीं दी गई, जिससे यह स्पष्ट होता है कि कार्यप्रणाली में पारदर्शिता का पूर्ण अभाव है।
अभिभावकों में आक्रोश, प्रशासन से जवाब की मांग
विद्यालय की इस बदहाल स्थिति से अभिभावक और ग्रामीण आक्रोशित हैं। उनका कहना है कि शिक्षा जैसे मूल अधिकार को नजरअंदाज किया जा रहा है और बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है। प्रशासन और विभागीय अधिकारियों की लापरवाही और निजी हितों की राजनीति से स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है।
निष्कर्ष:
राजकीयकृत मध्य विद्यालय, सुघड़ी आज शिक्षकों की कमी, निजी विद्यालयों की मनमानी, किताबों के अभाव और प्रशासनिक अनदेखी से जूझ रहा है। प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी की भूमिका संदिग्ध नजर आ रही है, जिनके खिलाफ उच्चस्तरीय जांच और कार्रवाई की आवश्यकता है। अगर शीघ्र कार्रवाई नहीं हुई, तो इस विद्यालय के सैकड़ों बच्चों का भविष्य अंधकार में चला जाएगा।