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अमरावली पर्वत माला से दुर्लभ नवीन वनस्पति प्रजाति पोर्चुलका भारत कि खोज

 

 

अरावली पर्वतमाला से दुर्लभ नवीन व नस्पति प्रजाति ‘पोर्चुलाका भारत’(Portulaca bharat) की खोज

 

सारनी।

सतपुड़ा जैवविविधता संरक्षण समिति, सारनी (Satpura Biodiversity Conservation Society – SBCS) और भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण (BSI) के शोधकर्ताओं द्वारा राजस्थान की ऐतिहासिक अरावली पर्वतमाला से एक नई वनस्पति प्रजाति ‘पोर्चुलाका भारत’ (Portulaca bharat) की खोज की गई है। यह खोज जयपुर के समीप अमागढ़ तेंदुआ अभयारण्य की शुष्क, पथरीली ढलानों पर की गई, जो जैव विविधता की दृष्टि से एक उपेक्षित किन्तु अत्यंत समृद्ध क्षेत्र है।

इस महत्वपूर्ण खोज में शामिल एसबीसीएस के सदस्य एवं शोधकर्ता निशांत चौहान द्वारा बताया गया कि उनके द्वारा वर्ष २०२२ में सर्वेक्षण के दौरान गलताजी क्षेत्र की चट्टानों में एक विशिष्ट एवं असामान्य पोर्चुलाका के पौधे को पहली बार देखा गया। इसके बाद उन्होंने इस पौधे के जीवित नमूनों को अनुसंधान के लिए सुरक्षित किया और नियंत्रित परिस्थितियों में इसकी वृद्धि एवं पुष्पन का अवलोकन किया।

इस शोध में शामिल भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण देहरादून के शोधकर्ता डॉ. अम्बर द्वारा देश के प्रमुख हरबेरियमों से गहन तुलना और जांच के उपरांत यह पुष्ट किया कि यह प्रजाति विज्ञान के लिए पूर्णतः नवीन है, जिसके उपरांत इस प्रजाति का औपचारिक विवरण उन्होंने जनवरी 2025 में अंतर्राष्ट्रीय वैज्ञानिक पत्रिका फाईटोटैक्सटा (Phytotaxa) को प्रस्तुत किया गया, जिसे मई में स्वीकृति प्राप्त हुई और 13 जून 2025 को प्रकाशित किया गया।

 

पोर्चुलाका वंश की यह नई प्रजाति वर्तमान में केवल समीप अमागढ़ तेंदुआ अभयारण्य में स्थित गलताजी पर्वतीय क्षेत्र तक ही सीमित है, जहाँ इसके केवल 10 वन्य पौधे दर्ज किए गए हैं। इसकी अत्यंत सीमित उपस्थिति और विशिष्ट पारिस्थितिक आवश्यकताएँ इसे जलवायु परिवर्तन और मानवीय हस्तक्षेप के प्रति अत्यंत संवेदनशील बनाती हैं। इसीलिए इसे IUCN रेड लिस्ट दिशा-निर्देशों के अनुसार वर्तमान में ‘डेटा डिफिशिएंट’ की श्रेणी में फ़िलहाल रखा गया है।

एसबीसीएस अध्यक्ष आदिल खान का मानना है कि यह खोज अरावली पर्वत श्रृंखला जैसे उपेक्षित अर्ध-शुष्क पारिस्थितिक क्षेत्रों में व्यवस्थित फील्ड सर्वेक्षण और संरक्षण के प्रयासों की अत्यावश्यकता को उजागर करती है। यह पर्वत श्रृंखला न केवल भारत की प्राचीनतम पर्वतमालाओं में से एक है, बल्कि इसमें स्थानिक एवं दुर्लभ प्रजातियों का भी व्यापक वितरण है।

निशांत चौहान ने बताया कि इस प्रजाति को पोर्चुलाका ‘भारत’ नाम हमारे देश की पारिस्थितिक समृद्धि के प्रति सम्मान के रूप में दिया गया है। यह खोज भारतीय स्थानिक वनस्पतियों की सूची में एक महत्वपूर्ण योगदान है, जो भविष्य में वनस्पति-भूगोल, पारिस्थितिकी एवं विकासात्मक जीवविज्ञान के क्षेत्र में अनुसंधान की नई दिशाएँ खोलेगा।

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