कोटा (राजस्थान) से मयूर सोनी की रिपोर्ट
शहर के वरिष्ठ नाक ,कान ,गला रोग विशेषज्ञ नशा मुक्ति अभियान चलाने वाले डॉक्टर आरसी साहनी कि यह घोषणा प्रेरणास्पद है कि मृत्यु उपरांत अस्थियों को नदी में विसर्जित नहीं किया जाकर वन विभाग के स्मृति वन अनंतपुरा में किया जाए।
राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त डॉक्टर साहनी ने शिवरात्री पर स्मृति वन में आयोजित पौधारोपण कार्यक्रम में अपने विचार व्यक्त करते हुए उक्त घोषणा की। डॉक्टर साहनी इस बात को भली-भांति समझते हैं की नदियों को प्रदूषण से मुक्त बनाया जाए। डॉक्टर साहनी से पूर्व पर्यावरणविद स्वर्गीय डॉक्टर लक्ष्मीकांत की अस्थियां भी यहीं विसर्जित की गई थी।उस स्थान पर वृक्ष पल्लवित हो रहे हैं। मनुष्य की जली हुई हड्डियों और राख में फॉस्फोरस कैल्शियम आदि पोषक तत्व होते हैं जो की मिट्टी में मिलकर उर्वरक का काम करते हैं। डॉक्टर दाधीच और डॉक्टर साहनी की सोच को विस्तार दिए जाने की आवश्यकता है। यह काम बहुत बड़ा खर्चीला भी नहीं है अपितु हरिद्वार में गंगा या अन्य नदियों तक पहुंचाने का भारी भरकम खर्च से बचाने का एक माध्यम भी हो सकता है। सबसे बड़ी बात तो नदियों को प्रदूषण से बचाने की सोच को आगे बढ़ाने की जरूरत है। किसी व्यक्तित्व की याद में पौधरोपण होता है तो परिजनों के साथ अन्य लोगों को भी प्रेरित करता है। धरती पर बढ़ रहे प्रदूषण को नियंत्रित करने के प्रयास में इस प्रकार की सोच बड़ा योगदान दे सकती है।