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पिलानी को कुम्भाराम लिफ्ट कैनाल से जोड़ने की मांग को लेकर जनांदोलन तेज

शिक्षा नगरी पिलानी को आखिर कब मिलेगा कुम्भाराम लिफ्ट कैनाल परियोजना का पानी – शंकर दहिया

 

झुंझुनूं/पिलानी. शिक्षा के क्षेत्र में पहचान बना चुकी शिक्षा नगरी पिलानी आज खुद पानी के संकट से जूझ रही है। वर्षों से पिलानी क्षेत्र में पेयजल की समस्या बनी हुई है, लेकिन अब जनता का आक्रोश फूट पड़ा है। इस मुद्दे को लेकर क्षेत्रवासियों ने हस्ताक्षर अभियान शुरू किया है, जो दिन-ब-दिन व्यापक रूप लेता जा रहा है। स्थानीय नेतृत्व और संगठनों के सहयोग से यह अभियान अब एक जन आंदोलन में तब्दील होता नजर आ रहा है।

इस अभियान की अगुवाई कर रहे शंकर दहिया ने कहा कि “नेता हर चुनाव में पानी के नाम पर वोट लेते हैं, लेकिन जीत के बाद पाँच साल तक जनता की सुध नहीं लेते।” पिलानी जैसे शिक्षित और प्रतिष्ठित कस्बे में लोग आज भी महंगे दामों पर टैंकरों से पानी खरीदने को मजबूर हैं। यह स्थिति न केवल चिंताजनक है बल्कि प्रशासनिक संवेदनहीनता को भी दर्शाती है। इस हस्ताक्षर अभियान का मुख्य उद्देश्य पिलानी को कुम्भाराम लिफ्ट कैनाल परियोजना से शीघ्र जोड़ना है। दहिया ने बताया कि 10 अप्रैल से शुरू हुए इस अभियान को ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक ऑर्गेनाइजेशन और ऑल इंडिया किसान खेत मजदूर संगठन का समर्थन प्राप्त है।

अभियान में अब तक हज़ारों नागरिक हस्ताक्षर कर चुके हैं और आने वाले दिनों में इन हस्ताक्षरों को एक ज्ञापन के रूप में मुख्यमंत्री को सौंपा जाएगा। रविवार को पिलानी बस स्टैंड पर अभियान के तहत फोटो प्रदर्शनी लगाई गई, जिसमें जनता को अब तक के प्रयासों और पानी की बदहाली को लेकर जागरूक किया गया।

प्रदर्शनी में भाग लेने वालों ने अपनी चिंता और नाराजगी स्पष्ट तौर पर जताई। कई लोगों ने कहा, “अगर पिलानी को नहर का पानी नहीं मिला, तो इस बार वोट का बहिष्कार करेंगे।” अभियान में आम नागरिक सामाजिक कार्यकर्ता भी सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। इस मुहिम में नंदलाल सैनी, प्रताप आलड़िया, विष्णु वर्मा, महावीर प्रसाद शर्मा, संदीप शर्मा, शंकर दहिया, बुधराम सहित कार्यकर्ता शामिल हैं।

पिलानी क्षेत्र की यह मुहिम अब एक सामूहिक जनआवाज़ बनती जा रही है, जो केवल जल संकट तक सीमित नहीं बल्कि प्रशासनिक जवाबदेही और नेतृत्व की कार्यशैली पर भी सवाल खड़े कर रही है। “पानी नहीं तो वोट नहीं” का नारा अब लोगों के दिलों-दिमाग में उतरता जा रहा है और यदि इस मांग पर शीघ्र सकारात्मक कदम नहीं उठाया गया तो यह आंदोलन राजनीतिक रूप से भी बड़ा असर छोड़ सकता है।

HARAT KUMAR

Harat Kumar Editor, Vande Bharat Bharat Live TV News
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