सुप्रीम कोर्ट ने कार के लाइसेंस यानी लाइट मोटर व्हीकल (LMV) लाइसेंस होल्डर्स को 7,500 किलो तक वजन वाली गाड़ियां चलाने की परमिशन दे दी है। बुधवार को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि ऐसा कोई डेटा नहीं है, जो साबित करता हो कि LMV ड्राइविंग लाइसेंस होल्डर्स देश में बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं के लिए जिम्मेदार हैं।
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुआई वाली 5 जजों की बेंच ने फैसला सुनाते हुए कहा कि यह मुद्दा LMV ड्राइविंग लाइसेंस रखने वाले ड्राइवरों की रोजी-रोटी से जुड़ा है। कोर्ट ने केंद्र से कानून में संशोधन प्रक्रिया जल्द पूरी करने को भी कहा।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला बीमा कंपनियों के लिए झटका माना जा रहा है। बीमा कंपनियां हादसों में एक निश्चित वजन के ट्रांसपोर्ट व्हीकल के शामिल होने और नियम मुताबिक ड्राइवरों को उन्हें चलाने के लिए अधिकृत न होने पर क्लेम खारिज कर रही थीं।
18 जुलाई 2023 को सुप्रीम कोर्ट की कॉन्स्टिट्यूशनल बेंच ने इस कानूनी सवाल से जुड़ीं 76 याचिकाओं पर सुनवाई शुरू की थी। प्रमुख याचिका बजाज अलायंस जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड की तरफ से दाखिल की गई थी
सुप्रीम कोर्ट के फैसले की 3 खास बातें
• LMV और ट्रांसपोर्ट व्हीकल अलग-अलग वर्ग नहीं हैं। दोनों के बीच ओवर लैप मौजूद है। कानून को व्यावहारिक और काम में आने योग्य बने रहना चाहिए।
• खतरनाक सामान ले जाने वाले वाहनों पर विशेष पात्रता लागू रहेगी।
• बेंच ने यह भी कहा कि सड़क हादसों के पीछे लापरवाही से और तेज स्पीड में गाड़ी चलाना, सड़क का डिजाइन और ट्रैफिक रूल्स का उल्लंघन शामिल है। इसके अलावा ड्राइविंग करते समय मोबाइल का इस्तेमाल, सीट बेल्ट न लगाना और हेलमेट न पहनना भी दुर्घटना का कारण बनते हैं।
2017 के एक मामले से उठा था सवाल
दरअसल यह सवाल तब उठा, जब 2017 में मुकुंद देवांगन बनाम ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड मामले में सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने एक फैसला सुनाया था। तब कोर्ट ने कहा था- ऐसे ट्रांसपोर्ट व्हीकल, जिनका कुल वजन 7,500 किलोग्राम से ज्यादा नहीं है, उन्हें LMV यानी लाइट मोटर व्हीकल की परिभाषा से बाहर नहीं कर सकते।
बीमा कंपनियों ने क्लेम ट्रिब्यूनल और अदालतों पर लगाया था आरोप
बीमा कम्पनियों का आरोप था कि मोटर एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल (एमएसीटी) और अदालतें एलएमवी ड्राइविंग लाइसेंस से जुड़ी उनकी आपत्तियों की अनदेखी करते हुए उन्हें बीमा दावों का भुगतान करने के लिए आदेश पारित कर रही हैं। बीमा कम्पनियों ने कहा था कि बीमा दावा विवादों का फैसला करते समय अदालतें बीमाधारक के पक्ष में फैसला सुना रही हैं।
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