A2Z सभी खबर सभी जिले कीTechnologyउत्तर प्रदेशजालौन

विकसित भारत के लिए कर्मयोग की मूल विचारधारा को समझना जरूरी: वेंकटेश्वरलू*

जालौन: प्रमुख सचिव एल. वेंकटेश्वरलू ने “कर्मयोग” को बताया विकसित भारत का आधार

विकसित भारत के लिए कर्मयोग की मूल विचारधारा को समझना जरूरी: वेंकटेश्वरलू

रिपोर्ट-इमरान अली
स्थान-कोंच, जालौन

जालौन: उत्तर प्रदेश शासन के समाज कल्याण एवं सैनिक कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव एवं उपाम व SIRD के महानिदेशक एल. वेंकटेश्वरलू मुख्य अतिथि व जिलाधिकारी राजेश कुमार पाण्डेय व प्रोफेसर चन्द्रशेखर ने महिंद्रा रिसोर्ट, तहसील जालौन (छत्रसाल इंटर कॉलेज के सामने) “कर्मयोग,अभ्युदय एवं विकसित भारत” विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। श्री वेंकटेश्वरलू ने कहा कि विकसित भारत की संकल्पना को साकार करने के लिए कर्मयोग की मूल विचारधारा को समझना अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि कर्मयोग केवल एक आध्यात्मिक दर्शन नहीं, बल्कि जीवन का व्यावहारिक मार्गदर्शन है, जो अभ्युदय यानी समग्र विकास का मार्ग प्रशस्त करता है। उन्होंने कहा कि कर्मयोग ऐसा माध्यम है, जिससे कर्म करते हुए भी ईश्वर की प्राप्ति संभव है। यह न केवल आत्मज्ञान को जागृत करता है, बल्कि युवाओं को अपने जीवन के उद्देश्यों को समझने में भी सहायता करता है। प्रमुख सचिव ने युवाओं को विशेष रूप से संबोधित करते हुए कहा कि आने वाले समय, विशेषकर वर्ष 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने में युवाओं की भूमिका निर्णायक होगी। ऐसे में उन्हें केवल सपने देखने तक सीमित न रहकर कर्मयोग के मार्ग पर चलकर उन्हें साकार करने की दिशा में कार्य करना होगा। उन्होंने इस अवसर पर भारतीय दर्शन में कर्मयोग की प्रासंगिकता को भी रेखांकित किया और कहा कि यही वह सिद्धांत है जो व्यक्ति को लक्ष्य की ओर अग्रसर करता है और राष्ट्र निर्माण में उसकी भूमिका को सशक्त बनाता है। इस अवसर पर मुख्य विकास अधिकारी राजेन्द्र कुमार श्रीवास, अपर जिलाधिकारी नमामि गंगे प्रेमचंद मौर्य, उप जिलाधिकारी विनय कुमार, आदि सहित शिक्षाविदों, विद्यार्थियों तथा सामाजिक कार्यकर्ता मौजूद रहे।

Back to top button
error: Content is protected !!