नए कानून लागू होने के बाद मुकदमा के बाद से अदालत का फैसला आने तक की पूरी प्रक्रिया होगी ऑनलाइन।
भारत आपराधिक न्याय प्रणाली में तकनीकी का इस्तेमाल करने वाला देश बन जायेगा।
नए आपराधिक कानून से तीन वर्ष के अंदर न्याय मिल सकेगा।
नए आपराधिक कानून के प्रमुख बिंदु।
किसी का मुकदमा वापस लेने से पहले पीड़ित को सुनवाई को मौका दिया जाएगा।
आवाज़ का नमूना लेने के लिए हिरासत में लेना जरूरी नहीं होगा।
सात साल के अधिक की सज़ा के मामलों में तकनीकी सबूत,फॉरेंसिक विशेषज्ञ को मौके पर जाना होगा।
तीन वर्ष के भीतर पीड़ित को मिल सकेगा न्याय।
इलेक्ट्रॉनिक तरीके से शिकायत दायर करने के 3 दिनों में दर्ज करनी होगी एफआईआर।
यौन उत्पीड़न के मामले में 7 दिनों पूरी करनी होगी जांच।
पहली सुनवाई 60 दिनों के भीतर आरोप तय करने का प्रावधान।
भगोड़े अपराधियो की गैर मौजूदगी में 90 दिनों के भीतर केस होगा दर्ज।
45 दिनों के अंदर पूरी होगी आपराधिक मामलों की सुनवाई।
छोटे मामलों में सामुदायिक दंड का प्रावधान, विधि भारतीय दर्शन के अनुरूप।
पांच हज़ार रुपए से कम की चोरी में सामुदायिक सेवा का प्रावधान।
छह अपराधो में सामुदायिक सेवा का प्रावधान।
महिलाओं, बच्चों के खिलाफ अपराधों से संबंधित 35 धाराएं हैं, जिनमें 13 नए प्रावधान शेष में संशोधन।
सामूहिक बलात्कार पर 20 साल की कारागार या उम्रकैद।
नाबालिक से गैंगरेप में होगी उम्रकैद या मौत की सजा।
यौन संबंध के लिए झूठ बोलकर सम्बंध बनाना होगा अपराध।
पीड़िता का बयान महिला अधिकारी की मौजूदगी में होगा।
भोगोड़े अपराधी को 10 साल की होगी सजा।
भगोड़े अपराधियो की संपत्तियों को जब्त करने के लिए मिलकर कदम उठाए जाएंगे।
भगोड़े अपराधी की गैर मौजूदगी में अदालत में चलेगा मुकदमा।
भारत के साथ अन्य देशों में ज़ब्त होगी अपराधी की संपत्ति
अगले 50 सालों में हर संभव तकनीकी बदलाव होंगे।
पुलिस और अदालती कार्यवाही का होगा कम्प्यूटराईजेशन।
7 साल या उससे अधिक सजा के मामलों में फोरेंसिक जांच अनिवार्य।
जांच में गवाही दर्ज करना होगा अनिवार्य।
पुलिस कार्यवाही की पूरी प्रक्रिया की होगी वीडियोग्राफी।
बलात्कार पीड़िता के ई बयान का होगा प्रावधान।
अदालत में ऑडियो ,वीडियो पेश करने का प्रावधान।
गवाह ,अभियुक्त ,विशेषज्ञ ,पीड़ित अदालत में वर्चुल पेश हो सकते है।
बहस पूरी होने के 30 दिनों के अंदर होंगे फैसले।
ब्रिटिश काल के राजद्रोह के कानून को किया गया समाप्त।
राष्ट्रविरोधी गतिविधियों पर होगी सख्त सजा।
आतंकवादी कृत्यों के लिए उम्रकैद व मृत्युदंड की सजा
इलेक्ट्रॉनिक, डिजिटल साक्ष्य जब साक्ष्य के रूप में माने जाएंगे।
पहली बार अपराध करने वाले को एक तिहाई मिल सज़ा पूरी करने पर मिल सकेगी ज़मानत।
गवाहों की सुरक्षा के लिए गवाह संरक्षण योजना होगी लागू।