बाघ दिवस पर विशेष : बाघ सुंदरता, बहादुरी, ताकत ,सतर्कता, बुद्धि,धीरज और राष्ट्रीयता का भी प्रतीक है
बाघ बचाओ, राष्ट्र गौरव बचाओ
नवादा : दुनिया भर में हर साल 29 जुलाई को विश्व बाघ दिवस मनाया जाता है। इस दिन को मानाने का मुख्य उद्देश्य बाघ संरक्षण के प्रति लोगों को प्रोत्साहित करना और उनकी घटती संख्या के प्रति जागरूक करना है।
बाघ को भारत का राष्ट्रीय पशु कहा जाता है। बाघ देश की सुंदरता ,शक्ति, शान, सतर्कता, बुद्धि और धीरज का प्रतीक है। बाघ भारतीय उपमहाद्वीप का प्रतीक है और उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र को छोड़कर पूरे देश में पाया जाता है। शुष्क खुले जंगल, नम-सदाबहार वन से लेकर मैंग्रोव दलदलों तक इसका क्षेत्र फैला हुआ है। लेकिन राष्ट्रीय पशु बाघ को आईयूसीएन ने लुप्त होती प्रजाती की लिस्ट में रखा हुआ है। वनों में शिकार और जरुरी संसाधनों में की कमी के कारण देश में बाघों की संख्या में गंभीर गिरावट आई है। रॉयल बंगाल टाइगर को राष्ट्रीय पशु घोषित किए जाने के बाद 1972 में ‘भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम’ को लागू किया गया। इस वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत सरकारी एजेंसियां बंगाल बाघों के संरक्षण के लिए कोई भी सख्त कदम उठा सकती है।
भारत में रॉयल बंगाल टाइगर्स की व्यवहार्यता को बनाए रखने और उनकी संख्या में वृद्धि करने के उद्देश्य से 1973 में ‘प्रोजेक्ट टाइगर लॉन्च’ किया गया था। मौजूदा समय में भारत में 48 बाघ उद्यान हैं, जिनमें से कई जीआईएस प्रणाली का इस्तेमाल कर बाघों की संख्या में वृद्धि करने में सफल रहे हैं। इन उद्यानों में बाघों के शिकार को लेकर काफी सख्त नियम बनाये गए हैं। साथ ही इसके लिए एक समर्पित टास्क फोर्स की भी स्थापना की गई है। रणथम्भौर राष्ट्रीय उद्यान इसका एक शानदार उदाहरण है।
पूरी दुनिया में बाघों की कई तरह की प्रजातियां मिलती हैं। इनमें 6 प्रजातियां मुख्य हैं। इनमें साइबेरियन बाघ, बंगाल बाघ, इंडोचाइनीज बाघ, मलायन बाघ, सुमात्रा बाघ और साउथ चाइना बाघ शामिल हैं।