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झोलाछाप डॉक्टरों के हौसले बुलंद..आखिर किसकी सह पर?

स्वास्थ्य विभाग की उदासीनता

*झोलाछाप डॉक्टरों के हौसले बुलंद..आखिर किसकी सह पर?*

 

*धर्मेन्द्र कुमार महंत*

लैलूंगा ब्रेकिंग :- स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की निष्क्रियता के चलते जिले में एक बार फिर से झोलाछाप डॉक्टर की बेवकूफी की वजह से मरीजों के जान के साथ खिलवाड़ का ममला सामने आया है,

 

स्वास्थ्य विभाग के द्वारा इस पर कोई कार्यवाही नहीं किए जाने से यह जो झोलाछाप डॉक्टर हैं वह बेखौफ होकर अपना धंधा चला रहे हैं, विकासखंड लैलूंगा में विगत कई दिनों से अभियान चला कर झोलाछाप डॉक्टरों के क्लीनिक को और पैथालब संचालकों के खिलाफ कार्यवाही की गई थी,

 

लेकिन स्वास्थ्य विभाग के द्वारा कुछ दिनों के बाद इस पूरे अभियान में ढीला रवैया देख डॉक्टर दोबारा से बेखौफ होकर अपने धंधे में वापस लग गए, स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी जिले में नर्सिंग होम एक्ट का क्रियान्वयन करने में पूरी तरह से असफल दिखाई पड़ रहे हैं,

 

 

लैलूंगा ब्लॉक अंतर्गत कई गांव में झोलाछाप डॉक्टर के गलत इलाज की वजह से कई लोग की जान तक जा चुकी है, जिले से ऐसे कई प्रकरण सामने आ चुके हैं, बावजूद उसके इन झोलाछाप डॉक्टरों के ऊपर कार्यवाही की प्रक्रिया में उदासीनता बढ़ती जा रही है, प्रशासन की तरफ से भी इन झोलाछाप डॉक्टरों पर कोई भी प्रकार की सुध नहीं ली जा रही है,

 

वर्तमान में आम जनों के स्वास्थ्य को लेकर प्रशासन के द्वारा लगातार लापरवाही सामने आ रही है, स्वास्थ्य सुविधाओं व सेवाओं के सुधार को लेकर नर्सिंग होम एक्ट के तहत स्वास्थ्य संस्थाओं का पंजीयन कराया जाता है,

 

उसके बाद संचालकों को एक स्थाई लाइसेंस जारी किया जाता है, इस एक्ट के मापदंडों को पूरा नहीं करने वाली संस्थाओं को जो पंजीयन रिलीज नहीं किया जाता, मगर अभी भी मापदंडों को पूरा किए बगैर ही कुछ संस्थाओं का संचालन हो रहा है,

 

*क्या है आदेश*

 

  • राज्य सरकार ने आदेशित किया है कि वह अपने-अपने क्षेत्र में जो लोग निजी चिकित्सकीय स्थापनाओं के पंजीयन के बगैर अमान्यता प्राप्त क्लिनीक पर रोगियों का अनुचित उपचार कर रहे हैं, जो रोगियों के लिए प्राणघातक सिद्ध हो रहा है। सही उपचार के अभाव में कई रोगियों की मृत्यु तक हो जाती है। गैर मान्यता प्राप्त चिकित्सकों एवं झोलाछाप डॉक्टर पर तुरंत कार्रवाई कर ऐसे लोगों पर धारा 7 ग के उल्लंघन के तहत प्रकरण दर्ज करवाया जाए। इसके तहत 3 साल के कारावास या 50 हजार रुपए तक के अर्थदंड से दंडित किया जाए।

धर्मेन्द्र कुमार महंत रायगढ़ (छ.ग.)

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