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सहारनपुर, 19 दिसंबर 2024: सरसावा थाना प्रभारी नरेंद्र कुमार शर्मा को एक दलित पीड़ित की शिकायत दर्ज न करना महंगा साबित हुआ। पीड़ित शेर सिंह की ओर से न्यायालय में की गई शिकायत पर कोर्ट ने संज्ञान लेते हुए एसएसपी सहारनपुर को विभागीय जांच के आदेश दिए हैं।सहारनपुर, 19 दिसंबर 2024: सरसावा थाना प्रभारी नरेंद्र कुमार शर्मा को एक दलित पीड़ित की शिकायत दर्ज न करना महंगा साबित हुआ। पीड़ित शेर सिंह की ओर से न्यायालय में की गई शिकायत पर कोर्ट ने संज्ञान लेते हुए एसएसपी सहारनपुर को विभागीय जांच के आदेश दिए हैं।

दलित पीड़ित का मुकदमा न लिखना सरसावा थाना प्रभारी को पड़ा भारी

दलित पीड़ित का मुकदमा न लिखना सरसावा थाना प्रभारी को पड़ा भारी

सहारनपुर, 19 दिसंबर 2024: सरसावा थाना प्रभारी नरेंद्र कुमार शर्मा को एक दलित पीड़ित की शिकायत दर्ज न करना महंगा साबित हुआ। पीड़ित शेर सिंह की ओर से न्यायालय में की गई शिकायत पर कोर्ट ने संज्ञान लेते हुए एसएसपी सहारनपुर को विभागीय जांच के आदेश दिए हैं।

क्या है मामला?
यह घटना 25 नवंबर 2024 की है। शेर सिंह के बेटे विजय, जो खटिकों की पुलिया पर फास्ट फूड की दुकान चलाते हैं, पर दबंगों ने हमला किया। आरोपियों ने न केवल विजय के साथ मारपीट की, बल्कि धारदार हथियार से उसके सिर पर हमला कर गल्ले से ₹350 लूट लिए।

शेर सिंह ने जब घटना की शिकायत दर्ज कराने की कोशिश की, तो पुलिस ने गंभीर धाराओं में केस दर्ज करने के बजाय केवल शांति भंग की मामूली कार्रवाई की। इससे नाराज होकर शेर सिंह ने न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।

कोर्ट का आदेश
न्यायालय ने एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम की धारा 4(3) के तहत कार्रवाई करते हुए एसएसपी सहारनपुर को एक महीने में जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। साथ ही इस रिपोर्ट को प्रदेश के महानिदेशक और न्यायालय को सौंपने का आदेश दिया गया है।

पुलिस प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल
यह घटना पुलिस की कार्यशैली और दलितों के प्रति उनके व्यवहार पर सवाल खड़ा करती है। मुख्यमंत्री द्वारा सभी शिकायतों की निष्पक्ष सुनवाई के निर्देशों के बावजूद, अधिकारी मनमानी कर रहे हैं।

थाना प्रभारी और सीओ का पक्ष
सरसावा थाना प्रभारी नरेंद्र कुमार शर्मा ने घटना से अनभिज्ञता जाहिर की है। वहीं, सीओ नकुड़ ने बताया कि अभी तक कोर्ट का आदेश उन्हें प्राप्त नहीं हुआ है।

प्रश्नों के घेरे में पुलिस व्यवस्था
इस घटना ने पुलिस की जवाबदेही पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। क्या समाज के वंचित वर्ग को न्याय पाने के लिए हर बार कोर्ट का सहारा लेना पड़ेगा? प्रशासन की जवाबदेही और संवेदनशीलता में सुधार आवश्यक है।

एलिक सिंह
संपादक, वंदे भारत लाइव टीवी न्यूज़
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