शिव प्रसाद ने कागज ने बना दिया शिवरतन का पशु शेड
सीधी। भारत सरकार की अति महत्वाकांक्षी मनरेगा योजना को रोजगार सहायक से प्रभारी सचिव ने जमकर लूटा और ग्रामीणों को आज भी सपने दिखाता चला आ रहा है, जो अब कभी पूरे नहीं हो सकते।
आदिवासी बाहुल्य विकासखंड क्षेत्र कुसमी के अंतर्गत आने वाला ग्राम पंचायत करैल जहां पदस्थ रोजगार सहायक शिव प्रसाद यादव जो की एक लंबे अरसे से प्रभारी सचिव के रूप में कार्यरत हैं और न सिर्फ पंचायत को बल्कि पूरे जनपद को अपनी मुट्ठी में कैद किए हुए हैं। इनके द्वारा कई निर्माण कार्य ऐसे हैं जो कागजों पर पूरे कर दिए गए हैं लेकिन जमीन पर कहीं दिखाई नहीं देते। इनके ऐसे कामों को उंगलियों पर नहीं गिना जा सकता बल्कि पूरी एक किताब लिखी जा सकती है बाहर हाल एक ऐसा ही मामला सामने आया है जिसमें इन्होंने पशु सेड और शोकपिट का निर्माण कागज में पूरा कर दिया है लेकिन हितग्राही आज भी इससे वंचित है। ग्राम पंचायत करैल के ग्राम मछेडी निवासी शिव रतन सिंह पिता राम प्रसाद सिंह के नाम पर मनरेगा से स्वीकृति 1715007037/AV/22012034593948 के अंतर्गत वर्ष 2021-22 में पशुशेड का निर्माण पूरा कर दिया गया है लेकिन तस्वीरों में साफ दिखाई दे रहा है कि केवल पिलर खड़ा किया गया है और उसके आगे का काम 2 वर्षों से अधिक का समय बीत जाने के बाद भी नहीं हो पाया है। इसकी पुष्टि भी शिवरतन सिंह द्वारा दूरभाष पर की गई है साथ ही यह बताया गया है कि जब शिव प्रसाद यादव से इसे बनवाने के लिए कहा गया तो शिव प्रसाद ने कहा कि जल्दी ही बनवाया जाएगा। सवाल यह उठता है कि जब यह कागज पर बन चुका है और लगभग 2 वर्ष से अधिक का समय बीत चुका है तो क्या अभी भी इस काम के पूरा होने की संभावना है और जब पूरा ही नहीं हुआ है तो फिर मनरेगा के पोर्टल पर या कैसे पूरा हो गया है जिसकी प्रविष्टि स्वयं प्रभारी सचिव और रोजगार सहायक शिव प्रसाद यादव द्वारा की गई है। यादव द्वारा की गई है। इतना ही नहीं शिवरतन सिंह के ही नाम पर उसी वर्ष 2021-22 में स्वीकृति 1715007037/AV/22012034600134 मैं हैंडपंप के पास शोक पिट का निर्माण भी किया जा चुका है लेकिन यह भी केवल कागज पर ही किया गया है जो कि भारत सरकार के मनरेगा पोर्टल पर स्वयं रोजगार सहायक सब प्रभारी सचिव शिव प्रसाद यादव द्वारा दर्ज किया गया है। यहां सवाल यह नहीं है कि अधूरे निर्माण कार्यों और बगैर निर्माण कराए यहां लगभग 120000 रुपए अकेले रोजगार सहायक साप प्रभारी सचिव ने कैसे डकार लिए जबकि समूचे प्रशासनिक अम्ल की जिम्मेदारी है पंचायत में चल रहे निर्माण कार्यों पर निगरानी रखें। गौरतलब है कि अधूरे निर्माण कार्यों और निर्माण नहीं होने संबंधी शिकायतों को लेकर ही पंचायत समन्वय अधिकारी बबन सिंह को जांच सौंपी गई है जहां पवन सिंह 24 दिसंबर को पहली बार पंचायत में जांच करने पहुंचे थे और उसके बाद अपनी बीमारी का बहाना बनाकर लापता हो गए हैं और अब तो हल लिया है कि उन्होंने फोन उठाना तक बंद कर दिया है। इसलिए यह खबर नहीं है कि जांच कहां तक पहुंची है या फिर उन्होंने लीपा पोती कर जांच प्रतिवेदन जमा कर दिया है।