भारत अपना 76वां गणतंत्र दिवस मना रहा है. इस मौके पर देश की राष्ट्रपति और भारतीय सशस्त्र बलों की सर्वोच्च कमांडर द्रौपदी मुर्मु ने तिरंगा फहराया और परेड की सलामी ली. इस गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्राबोवो सुबियांतो रहे. यह दिलचस्प है कि भारत ने जब अपना पहला गणतंत्र दिवस 1950 में मनाया था, तब उस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि भी तत्कालीन इंडोनेशियाई राष्ट्रपति सुकर्णो थे.
गणतंत्र दिवस परेड का आयोजन हर साल कर्तव्यपथ (पहले राजपथ) पर होता है. राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट के बीच सीधी रेखा में बनी इस सड़क पर हर साल भारतीय सैन्य बल मार्च करते हैं. इसके अलावा राज्यों की अपनी कला, संस्कृति और भूगौलिक परिस्थितियों का प्रतिनिधित्व करती हुई झांकियां और लोकनृत्य जैसी विधाएं दिखाई जाती हैं.
गणतंत्र दिवस के मौके पर राष्ट्र को बधाई देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक्स पर लिखा, “आज हम अपने गौरवशाली गणतंत्र की 75वीं वर्षगांठ मना रहे हैं. इस अवसर पर हम उन सभी महान विभूतियों को नमन करते हैं, जिन्होंने हमारा संविधान बनाकर यह सुनिश्चित किया कि हमारी विकास यात्रा लोकतंत्र, गरिमा और एकता पर आधारित हो. यह राष्ट्रीय उत्सव हमारे संविधान के मूल्यों को संरक्षित करने के साथ ही एक सशक्त और समृद्ध भारत बनाने की दिशा में हमारे प्रयासों को और मजबूत करे, यही कामना है.”
इस मौके पर लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने एक्स पर लिखा, “हमारे महान स्वतंत्रता सेनानियों के न्याय, स्वाधीनता, समानता और भाईचारे के मूल्यों पर आधारित हमारा संविधान भारतीय गणतंत्र का गौरव है, धर्म, जात, क्षेत्र, भाषा से परे हर भारतीय का सुरक्षा कवच है – इसका सम्मान और रक्षा हम सभी का कर्तव्य है.”
76वीं गणतंत्र दिवस परेड में सबसे पहली झांकी सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय की रही जो संविधान के 75 वर्ष पूर्ण होने पर आधारित थी. इसके बाद जनजातीय मामलों के मंत्रालय की झांकी रही जिसमें बिरसा मुंडा को याद किया गया.
गणतंत्र दिवस परेड के दौरान कर्तव्य पथ पर पहली बार तीनों सेनाओं का तालमेल वाली झांकी का प्रदर्शन किया गया. थलसेना, वायुसेना, नौसेना की झांकी में सशस्त्र बलों के बीच तालमेल बढ़ाने पर भारत के विशेष जोर का प्रदर्शन किया गया. झांकी में युद्ध के मैदान की तस्वीर को प्रदर्शित किया गया. इसमें स्वदेशी अर्जुन युद्धक टैंक, तेजस लड़ाकू विमान, विध्वंसक आईएनएस विशाखापत्तनम और उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर के साथ थल, जल और वायु में अभियान का प्रदर्शन किया गया. तीनों सेनाओं की झांकी के लिए सशक्त और सुरक्षित भारत की थीम रखी गई.
मंत्रालय की ओर से जनवरी को 2025 को रक्षा सुधारों वाला साल घोषित किया था. भारत की सैन्य ताकत बढ़ाने के लिए तीनों सेनाओं के बीच तालमेल को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया. तीनों सेनाओं की झांकी में सशस्त्र बलों के बीच वैचारिक दृष्टिकोण को एकजुटता को दिखाने वाला है. इसमें थल सेना, नौसेना और वायुसेना के बीच नेटविर्किंग और संचार की सुविधा प्रदान करने वाले संयुक्त अभियान कक्ष को दिखाया गया.
रक्षा मंत्रालय तीनों सेवाओं के बीच सामंजस्य और एकजुटता पर जोर दे रहा. इसका उद्देश्य समकालीन और आने वाले समय में सेना की लड़ाकू क्षमता को अधिकतम करना है. तीनों सेनाओं के बीच बेहतर तालमेल सुनिश्चित करने के तहत सरकार इस साल एकीकृत युद्ध क्षेत्र कमान स्थापित करने पर गौर कर रही है.
क्या है थिएटराइजेशन मॉडल?
थिएटराइजेशन मॉडल में सरकार थल सेना, वायु सेना और नौसेना की क्षमताओं को एक साथ लाना चाहती है, जिससे युद्ध के दौरान और सैन्य अभियानों के दौरान उनके संसाधनों का अनुकूल प्रयोग किया जा सके.
थिएटराइजेशन योजना के तहत सभी थिएटर कमांड में सेना, नौसेना और वायु सेना की सभी इकाइयां होंगी साथ ही वे सभी एक भौगोलिक क्षेत्र में सुरक्षा चुनौतियों को देखते हुए एक इकाई के रूप में काम करेंगी. मौजूदा समय में थलसेना, नौसेना और वायुसेना अलग-अलग कमान के साथ काम करती हैं.
दिल्ली के कर्तव्य पथ पर आयोजित गणतंत्र दिवस परेड में रविवार (26 जनवरी) को त्रिपुरा, दिल्ली, हरियाणा, कर्नाटक और पश्चिम बंगाल सहित राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की कई झांकियां निकलीं।
आईएमडी (मौसम विभाग)की झांकी में चक्रवात दाना का एक आकर्षक चित्रण दिखाया गया। इस चक्रवात ने पिछले साल ओडिशा और पश्चिम बंगाल के कुछ हिस्सों में तबाही मचाई। पशुपालन विभाग की झांकी ने दुनिया के बड़े दूध उत्पादक देश के रूप में भारत की स्थिति को प्रदर्शित किया।
गणतंत्र दिवस की झांकी में दिल्ली को बेहतर शिक्षा, अनुसंधान और उभरते हुए प्रौद्योगिकी के केंद्र के रूप में दिखाया गया। त्रिपुरा ने एक अनूठी परंपरा प्रदर्शित की जहां 14 देवताओं को श्रद्धांजलि दी जाती है। कर्नाटक की झांकी में ऐतिहासिक शहर लक्कुंडी के कलात्मक मंदिरों को दर्शाया गया है।
तीन साल बाद कर्तव्य पथ पर दिखा पंजाबी विरसा, अलग अंदाज से मोह लिया सबका दिल
गणतंत्र दिवस परेड में शामिल हुई पंजाब की झांकी में राज्य को ज्ञान और विवेक की भूमि के रूप में प्रदर्शित किया गया। बता दें कि कर्तव्य पथ पर तीन साल बाद पंजाब की झलक दिखाई दी है।
यह झांकी राज्य की ‘इनले-डिज़ाइन’ कला और हस्तशिल्प का सुंदर मिश्रण थी। पंजाब मुख्य रूप से एक कृषि प्रधान राज्य है और ऐसे में झांकी में बैलों की एक जोड़ी को प्रदर्शित किया गया, जो राज्य के कृषि पहलू को दर्शाता है।
झांकी में राज्य की समृद्ध संगीत विरासत को भी दर्शाया गया। इसमें पारंपरिक कपड़े पहने एक व्यक्ति अपने हाथ में ढोलक के साथ तुम्बी और खूबसूरती से सजाए गए मिट्टी का घड़ा पकड़े हुए था। पारंपरिक पोशाक में एक महिला को अपने हाथों से कपड़ा बुनते हुए दिखाया गया था। इस प्रकार फूलों की आकृति से ढकी लोक कढ़ाई की कला को प्रदर्शित किया गया – जो दुनिया भर में “फुलकारी” के रूप में लोकप्रिय है।
झांकी के ट्रेलर भाग में पंजाब के सबसे अधिक पूजनीय व बहुत सम्मानित सूफी संतों में से एक बाबा शेख फरीद, “गंज-ए-शक्कर” (कैंडी का भंडार) को एक पेड़ की छाया में बैठे और गुरु ग्रंथ साहिब में शामिल भजनों की रचना में लीन दिखाया गया।
बाबा शेख फरीद पंजाबी भाषा के पहले कवि थे जिन्होंने इसे विकसित और पोषित किया, इस प्रकार इसे साहित्यिक क्षेत्र में लाया। उनकी नैतिक शिक्षाएं सभी लोगों को नैतिक सिद्धांतों का पालन करने और ईश्वर के प्रति समर्पित होने पर केंद्रित थीं, और लोगों को विनम्र, संतुष्ट, उदार और दयालु होना चाहिए।