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20 दिनों के संघर्ष के बाद शिशु को मिली नई जिंदगी** **जिला चिकित्सालय में नवजात बच्चों का सफल उपचार

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मंडला MP हेमंत नायक✍️

#Mandla News:-नैनपुर के सिविल अस्पताल में रामवती के घर एक नन्हा बच्चा जन्मा। जन्म के समय शिशु का वजन मात्र 2.7 किलोग्राम था, और जन्म के बाद से ही उसे सांस लेने में अत्यधिक दिक्कत होने लगी। शिशु की हालत को देखते हुए चिकित्सकों ने उसे तत्काल नैनपुर से जिला चिकित्सालय मंडला के SNCU (Special Newborn Care Unit) में रेफर कर दिया।

बच्चे की सांस की समस्या इतनी गंभीर थी कि उसे CPAP (Continuous Positive Airway Pressure) मशीन पर रखा गया, ताकि उसकी सांसों को सहारा मिल सके। इसके बाद भी बच्चे की हालत में कोई सुधार नहीं हो रहा था, और डॉक्टरों को शिशु के बचने की उम्मीद बहुत कम दिखाई दे रही थी। स्थिति को और गंभीर बनाने के लिए बच्चे को वेंटिलेटर पर intubate करके रखा गया।

जिला चिकित्सालय के डॉक्टर्स और स्टाफ ने अपनी पूरी मेहनत और निष्ठा से बच्चे की निगरानी शुरू की। उनके निरंतर प्रयासों और कड़ी मॉनिटरिंग के चलते शिशु की हालत में धीरे-धीरे सुधार होने लगा। 20 दिनों के अथक संघर्ष के बाद बच्चे की सेहत में उल्लेखनीय सुधार हुआ। डॉक्टरों की मेहनत और देखभाल के परिणामस्वरूप शिशु को स्वस्थ कर दिया गया, और उसे सफलतापूर्वक डिस्चार्ज कर दिया गया।

रामवती और उसके परिवार ने इस कठिन घड़ी में मध्य प्रदेश सरकार की स्वास्थ्य सेवाओं और जिला चिकित्सालय की टीम का दिल से आभार व्यक्त किया। उनका कहना था कि अगर अस्पताल के डॉक्टर्स और स्टाफ की कड़ी मेहनत और संवेदनशीलता नहीं होती, तो शायद उनका बच्चा इस कठिन संघर्ष को पार नहीं कर पाता।

यह घटना यह भी दर्शाती है कि यदि स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में समर्पण और तकनीकी कौशल के साथ कार्य किया जाए, तो असंभव सी लगने वाली स्थितियों में भी जीवन को बचाया जा सकता है। जिले के चिकित्सालय में नवजात बच्चों के उपचार के लिए जो समर्पण और परिश्रम दिखाई गया, वह निश्चित रूप से सराहनीय है।

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