
📢 ब्रेकिंग न्यूज़ | सोशल मीडिया की अंधी दौड़ में मर्यादा और संस्कृति की हत्या?
इंस्टाग्राम की ‘लाइक’ और ‘व्यूज’ की होड़ में अश्लीलता बन रही है नया ट्रेंड — विदेशी महिला ने साधु के साथ धार्मिक घाट पर शूट किया आपत्तिजनक वीडियो, सोशल मीडिया पर हड़कंप
नई दिल्ली/वाराणसी:
भारत की आध्यात्मिक नगरी के एक प्रसिद्ध घाट पर हाल ही में शूट किया गया एक आपत्तिजनक वीडियो सोशल मीडिया पर तेज़ी से वायरल हो रहा है। वीडियो में एक विदेशी महिला एक भारतीय साधु के साथ खुलेआम किस करती हुई नज़र आ रही है। यह पूरी घटना किसी निजी जगह पर नहीं, बल्कि एक धार्मिक और सार्वजनिक स्थल पर दर्ज की गई है। वीडियो का उद्देश्य स्पष्ट रूप से सोशल मीडिया पर “वायरल” होना और अधिक व्यूज बटोरना प्रतीत होता है।
🔴 क्या यह फेमिनिज्म है या फूहड़ता की पराकाष्ठा?
इस घटना ने एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है —
“क्या स्त्री की स्वतंत्रता का मतलब यह है कि वह किसी भी धार्मिक या सामाजिक मर्यादा को तोड़ सकती है?”
आजकल इंस्टाग्राम, यूट्यूब जैसे प्लेटफॉर्म्स पर अनेक युवतियां “कंटेंट” के नाम पर अपने शरीर को प्रदर्शन की वस्तु बना चुकी हैं।
“कौन अधिक बोल्ड या नंगा दिखे” – जैसे ट्रेंड बनते जा रहे हैं।
अश्लीलता को ‘आर्ट’ या ‘फेमिनिज्म’ के आवरण में प्रस्तुत किया जा रहा है, जिससे समाज की मूलभूत नैतिकता को गहरी चोट पहुंच रही है।
🔴 धार्मिक प्रतीकों का अपमान – एक खतरनाक प्रवृत्ति
जब कोई विदेशी महिला, एक भारतीय साधु के साथ किसी धार्मिक स्थल पर ऐसा कृत्य करती है, तो यह केवल अश्लीलता ही नहीं, बल्कि भारत की आस्था, उसकी संस्कृति और सनातन मूल्यों पर सीधा हमला है।
क्या भारत की मेहमाननवाज़ी का मतलब यह है कि कोई भी आकर यहां कुछ भी कर सकता है?
क्या ‘स्प्रिचुअल इंडिया’ का ब्रांड इस तरह के वीडियोज़ से tarnish होना चाहिए?
🔴 सोशल मीडिया की ‘वायरल मानसिकता’ – कहां ले जा रही है देश को?
व्यूज और लाइक के नाम पर लोग अब नग्नता, अपमानजनक कृत्य और धार्मिक आस्थाओं से खेलने से भी पीछे नहीं हटते।
विशेषज्ञों का मानना है कि
यह “वायरल बनने की भूख” आज के युवाओं को मानसिक रूप से खोखला बना रही है।
“लिमिट ऑफ फ्रीडम” की कोई परिभाषा ही नहीं बची है।
🔴 अब सवाल यह उठता है –
👉 क्या यही आज़ादी है जिसकी मांग फेमिनिज़्म करता है?
👉 क्या स्त्री स्वराज्य का अर्थ सामाजिक मर्यादा को तोड़ना है?
👉 क्या धार्मिक स्थलों पर इस तरह की बेहूदगी को नजरअंदाज करना, सहिष्णुता है या कायरता?
🔴 समाधान क्या हो सकता है?
सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स को भारत के धार्मिक और सांस्कृतिक संदर्भों में संवेदनशील मॉडरेशन लागू करना चाहिए।
सरकार को सार्वजनिक स्थानों पर इस तरह की शूटिंग पर कड़े कानून लागू करने चाहिए।
फेमिनिज़्म की सही परिभाषा और सीमाएं शिक्षण संस्थानों और मीडिया के माध्यम से प्रचारित होनी चाहिए।
जनता को जागरूक करना होगा कि लाइक, शेयर और व्यूज के पीछे मर्यादा और संस्कार को दांव पर न लगाया जाए।
📌 यह मुद्दा केवल एक वीडियो का नहीं, यह भारत की सांस्कृतिक आत्मा पर चोट है।
अब सवाल यह नहीं कि ये वीडियो वायरल क्यों हुआ,
बल्कि यह है कि हम चुप क्यों हैं?
🖋️ रिपोर्ट: एलिक सिंह
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