A2Z सभी खबर सभी जिले कीअन्य खबरेगुनामध्यप्रदेश

ग्रामीण क्षेत्र में झोलाछाप चिकित्सकों का जाल: स्वास्थ्य विभाग जानकर भी बेखबर, एफआईआर दर्ज होने के बाद शिथिल पड़ी कार्रवाई

गुना। जिले के ग्रामीण अंचल में झोलाछाप चिकित्सकों की सक्रियता बढ़ती जा रही है, जो ग्रामीणों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। खासकर बमौरी और चांचौड़ा ब्लॉक में इनकी संख्या अधिक है, जहां प्रत्येक गांव में दो से तीन ऐसे कथित चिकित्सक मौजूद हैं। हैरानी की बात यह है कि स्वास्थ्य विभाग इस गंभीर समस्या के प्रति लापरवाह बना हुआ है।

गौरतलब है कि दो साल पहले स्वास्थ्य विभाग ने इन झोलाछाप चिकित्सकों के खिलाफ एक अभियान चलाया था, जिसके तहत मधुसूदनगढ़ और बमौरी क्षेत्रों में कुछ पर एफआईआर भी दर्ज की गई थी। हालांकि, जिला प्रशासन का यह अभियान कुछ दिनों बाद ही शिथिल पड़ गया, जिससे इन अवैध चिकित्सकों के हौसले बुलंद हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में ये झोलाछाप चिकित्सक एक इंजेक्शन से बीमारियों को ठीक करने का दावा कर भोले-भाले लोगों को अपने जाल में फंसा रहे हैं। इसके चलते ग्रामीण अपना पैसा और स्वास्थ्य दोनों दांव पर लगा रहे हैं। कुछ लोग तो आयुर्वेद औषधि के नाम पर भी ग्रामीणों से ठगी कर रहे हैं। इन झोलाछाप चिकित्सकों की सक्रियता का मुख्य कारण ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव है। सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में स्टाफ की कमी है और अधिकांश केंद्रों पर चिकित्सक उपलब्ध नहीं होते हैं। जहां चिकित्सक तैनात भी हैं, वे अक्सर अनुपस्थित रहते हैं। बीनागंज में हाल ही में एक ऐसा मामला सामने आया था, जहां घायल व्यक्ति के परिजनों ने चिकित्सक की अनुपस्थिति और एम्बुलेंस न मिलने का आरोप लगाया था। सबसे चिंताजनक बात यह है कि स्थानीय जनप्रतिनिधि भी इस गंभीर मुद्दे पर उदासीन बने हुए हैं। जनप्रतिनिधियों का यह दायित्व है कि वे जिला प्रशासन को झोलाछाप चिकित्सकों के बारे में सूचित करें और प्रदेश सरकार से ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए प्रयास करें, लेकिन वे अपने इस कर्तव्य का निर्वहन नहीं कर रहे हैं।

मेडीकल स्टोर पर भी नियमों का उल्लंघन

ग्रामीण क्षेत्रों में एक और गंभीर समस्या यह है कि मेडिकल स्टोरों पर बिना डॉक्टर के पर्चे के दवाएं आसानी से मिल जाती हैं। लोग अक्सर इंटरनेट और यूट्यूब पर देखकर दवाएं खरीदने जाते हैं, जो उनके स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती हैं। ग्रामीणों का कहना है कि यदि स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन ने इस ओर ध्यान नहीं दिया, तो झोलाछाप चिकित्सकों के कारण कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं और लोगों की जान खतरे में पड़ सकती है। ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि जल्द ही इन अवैध चिकित्सकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए और ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाया जाए।

स्वास्थ्य केंद्र पर नहीं मिलता स्टाफ

बताया जा रहा है कि स्वास्थ्य केंद्र पर नियमित रूप से स्टाफ उपलब्ध नहीं होने की वजह से युवती झोलाछाप चिकित्सक के पास गई थी। कुछ ऐसी ही जानकारी अन्य ग्रामीणों ने दी। उन्होंने बताया कि शासकीय स्वास्थ्य केंद्र पर आए दिन स्टाफ गैर हाजिर रहता है। इसलिए झोलाछाप चिकित्सकों के पास जाकर इलाज कराना उन्होंने आदत में शुमार कर दिया है। लोग पहने ही कहने लगते हैं कि अस्पताल जाने से कोई फायदा नहीं होगा, वहां कोई नहीं मिलेगा। किसी झोलाछाप के पास जाकर ही दवाएं मिल सकती हैं। इस तरह की मानसिकता के पीछे स्वास्थ्य की लापरवाही और अनदेखी को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है।

आदेशों की उड़ा दी धज्जियां

जिले में स्वास्थ्य से संबंधित हालात विकराल होने के पीछे स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही भी सामने आ रही है। दरअसल, मध्यप्रदेश सरकार द्वारा झोलाछाप चिकित्सकों पर कार्रवाई करने के आदेशों की अवहेलना करते हुए स्वास्थ्य विभाग ने गुना जिले में इक्का-दुक्का कार्रवाई ही की है। बमौरी में एक चिकित्सक के खिलाफ एफआईआर कराई गई। मधुसूदनगढ़ में कुछ दुकानें सील की गईं। इसके अलावा छुटपुट कार्रवाईयों को छोड़ दिया जाए तो राज्य सरकार के आदेशों की धज्जियां उड़ा दी गई। इससे साफ पता चलता है कि विभाग की ओर से प्रदेश सरकार के निर्देशों को भी तवज्जो नहीं दी जाती है। वहीं जिला प्रशासन ने भी इस मामले में कोई खास रुचि नहीं दिखाई। अक्सर सक्रिय रहना वाला राजस्व अमला भी पीछे दिखाई दिया।

Back to top button
error: Content is protected !!