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भारत के 11 राज्यों में फैला कोरोना, मुंबई में मिले 53 मरीज..कितना बड़ा खतरा?

भारत में वर्तमान कोविड-19 स्थिति नियंत्रण में है. 19 मई, 2025 तक, भारत में सक्रिय कोविड-19 मामलों की संख्या 257 है.केंद्रीय स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार, कोरोना की स्थिति नियंत्रण में है। सिंगापुर और हांगकांग जैसे दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों में कोविड-19 के बढ़ते मामलों ने भारत में भी चिंता बढ़ा दी हैं.

नई दिल्ली:-भारत में कोरोना वायरस का नया स्ट्रेन अब तक 257 लोगों को अपनी चपेट में ले चुका है और इसका असर देश की राजधानी दिल्ली सहित 11 राज्यों तक हो चुका है। इससे स्वास्थ्य एजेंसियां एक बार फिर सक्रिय हो गई हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना के नए स्ट्रेन की अब तक की संक्रामकता से यह संभावना दिखाई दे रही है कि यह कोविड 19 के पहले और दूसरे म्यूटेशन की तरह बहुत संक्रामक नहीं हो सकता है। फिर भी अन्य बीमारियों से जूझ रहे लोगों पर इसका नकारात्मक असर दिखाई दे सकता है। अन्य बीमारियों सेजूझ रहे लोगों को सतर्क रहना चाहिए और कोई भी लक्षण दिखने पर तुरंत चिकित्सकों से परामर्श करना चाहिए।

कहां-कितने सक्रिय केस?
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के कोविड डैशबोर्ड पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार, इस समय (20 मई) तक देश में कोरोना के 257 सक्रिय मामले हैं। इसमें 164 मामले नए दर्ज किए गए हैं। मुंबई के किंग एडवर्ड मेमोरियल अस्पताल में दो लोगों की मौत भी हो चुकी है, हालांकि इन मौतों के पीछे अन्य कारण बताए गए हैं। मृतकों में 59 वर्षीय एक व्यक्ति कैंसर से पीड़ित था, जबकि दूसरी मृतक एक 14 वर्षीय किशोरी थी जिसको भी अन्य परेशानियां थीं।

इस समय सबसे ज्यादा कोरोना के मामले केरल में दर्ज किए गए हैं जहां सक्रिय मरीजों की संख्या 95 तक पहुंच चुकी है। इसमें 69 केस नए हैं। दूसरे नंबर पर तमिलनाडु है जहां इस समय कुल 66 सक्रिय केस हैं। इसमें 34 मामले नए हैं। इसके बाद महाराष्ट्र का नंबर आता है जहां कुल सक्रिय मरीज 56 हैं जिसमें 44 मामले नए दर्ज किए गए हैं। नए मामलों में महाराष्ट्र तमिलनाडु से आगे है।

गुजरात में कोरोना के सात मामले सक्रिय हैं जिसमें छः मामले नए दर्ज किए गए हैं। पुडुचेरी में कोरोना के मामलों में कमी आई है। यहां इस समय 10 सक्रिय केस हैं, जबकि तीन मरीजों को पूरी तरह स्वस्थ घोषित कर दिया गया है। हरियाणा में भी कोरोना का एक नया मामला पाया गया है। देश की राजधानी दिल्ली में कोरोना के पांच मामले दर्ज किए गए हैं। इनमें तीन मामले नए हैं।
कुछ एशियाई देशों में कोरोना के मामलों में लगातार बढ़ती संख्या को देखते हुए केंद्र सरकार ने 12 मई से कोरोना मरीजों के आंकड़े दोबारा अपडेट करने शुरू कर दिए हैं।


11 राज्यों तक फैला कोरोना
केंद्रीय स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार, कोरोना की स्थिति नियंत्रण में है। सोमवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और आईसीएमआर के अधिकारियों की बैठक में स्थिति के सभी पहलुओं पर विचार किया गया है। अब तक दर्ज किए गए सभी केस मध्यम कैटेगरी के हैं और गंभीर कैटेगरी में कोई मरीज दर्ज नहीं किया गया है। सरकार के अनुसार, स्थिति को देखते हुए जांच और निगरानी की सक्रियता बढ़ा दी गई है और चिंता करने वाली कोई बात नहीं है।

देश के पास किसी भी स्थिति से निपटने के लिए पूरे इंतजाम हैं। लेकिन इसके बाद भी सच्चाई यह है कि कोरोना देश के 11 राज्यों में फैल चुका है। इसमें दिल्ली, महाराष्ट्र, गुजरात, केरल, तमिलनाडु, हरियाणा, पुडुचेरी, पश्चिम बंगाल, सिक्किम, राजस्थान और कर्नाटक शामिल हैं।

पिछली बार चीन को कोरोना फैलने की सबसे प्रमुख वजह बताया गया था। हालांकि चीन ने इस पर कड़ी आपत्ति दर्ज कराई थी। लेकिन इस बार कोरोना अब तक सिंगापुर और हांगकांग में अपने पांव पसार चुका है। अन्य देशों तक इसके पहुंचने पर स्थिति को संभालने के लिए सक्रिय होना होगा।

कोरोनावायरस SARS-CoV-2 के कारण दुनिया भर में COVID-19 महामारी फैल गई थी जिसके कारण दुनियाभर में लाखों की जानें गई थीं. यह वायरस सांस, आंख, नाक और मुंह के जरिए शरीर में प्रवेश कर रहा था. 30 जनवरी 2020 को भारत में कोरोना का पहला मामला सामने आया था. तब चीन के वुहान शहर से लौटा एक मेडिकल छात्र कोरोना से संक्रमित मिला था. पिछले कुछ समय से इसके मामले सामने नहीं आ रहे थे लेकिन हाल ही में सिंगापुर और हांगकांग जैसे दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों में कोविड-19 के बढ़ते मामलों ने भारत में भी चिंता बढ़ा दी हैं.

मुंबई में भी 53 मामले आए

आज मुंबई में भी 53 मामले सामने आए हैं. ऐसे में बृहन्मुंबई म्युनिसिपल कारपोरेशन (BMC) ने एशिया के कुछ हिस्सों में बढ़ते मामलों के बावजूद, शांति बनाए रखने और निगरानी जारी रखने का आग्रह किया है. साथ ही नागरिकों को सलाह दी कि अगर कोविड के लक्षण दिखाई दें तो वे मेडिकल हेल्प लें.


सिंगापुर, हांगकांग में कोविड के मामले

सिंगापुर और हांगकांग जैसे दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों में कोविड-19 के मामलों में वृद्धि देखी जा रही है जिस कारण वहां के स्वास्थ्य अधिकारी सतर्क रहने और सावधानी बरतने की सलाह दे रहे हैं. नेशन थाईलैंड के अनुसार, 3 मई को समाप्त सप्ताह में हांगकांग में कोविड-19 के 31 गंभीर मामले थे. सिंगापुर में, स्वास्थ्य मंत्रालय और संचारी रोग एजेंसी ने कहा कि 27 अप्रैल से 3 मई के सप्ताह के लिए कोविड-19 मामलों की अनुमानित संख्या 14,200 थी और उसके पहले के हफ्ते में यह आंकड़ा 11,100 था.

प्रेस रिलीज में हांगकांग के हेल्थ प्रोटेक्शन सेंटर के कंट्रोलर एडविन त्सुई ने कहा, ‘सामान्य स्थिति बहाल होने के बाद, हांगकांग ने हर 6 से 9 महीने में कोविड-19 के एक्टिव मामलों की साइकिल देखी है. हमें उम्मीद है कि कोविड-19 की एक्टिविटी का लेवल कम से कम अगले कुछ हफ्तों तक अधिकतम लेवल पर बना रहेगा.’

समीक्षा बैठक में क्या कहा गया

19 मई को नेशनल सेंट्रल फॉर डिसीज कंट्रोल (NCDC), इमरजेंसी मेडिकल रिलीफ डिविजन (EMR), डिजास्टर मैनेजमेंट सेल, इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) और सेंट्रल गवर्मेंट के हॉस्पिटल्स के एक्सपर्ट्स ने डायरेक्टर जनरल ऑफ हेल्थ सर्विसेस की अध्यक्षता में हुई समीक्षा बैठक में निष्कर्ष निकाला गया कि भारत में वर्तमान कोविड-19 स्थिति नियंत्रण में है. 19 मई, 2025 तक, भारत में सक्रिय कोविड-19 मामलों की संख्या 257 है जो देश की बड़ी आबादी को देखते हुए बहुत कम आंकड़ा है. इनमें से लगभग सभी मामले हल्के हैं, जिनमें अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता नहीं है. हालांकि, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय स्थिति पर लगातार नजर रख रहा है और यह सुनिश्चित कर रहा है कि सार्वजनिक स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए उचित उपाय किए जाएं.

कौन से वैरिएंट के कारण बढ़ी चिताएं?

मिली जानकारी के मुताबिक, दक्षिण-पूर्व एशिया में कोविड-19 के मामलों में वृद्धि मुख्य रूप से JN.1 वैरिएंट के कारण हुई है जो कि ओमिक्रॉन BA.2.86 वैरिएंट का वंशज है. WHO के अनुसार, JN.1 वैरिएंट में लगभग 30 म्यूटेशन हैं और उनमें से LF.7 और NB.1.8 हैं जो हाल ही में रिपोर्ट किए गए मामलों में 2 सबसे कॉमन वैरिएंट हैं.

जनवरी 2024 के शुरुआत में भी जेएन.1 के केस भारत में भी मिले थे और अभी सिंगापुर-हांगकांग में उसी वैरिएंट के कारण मामले बढ़े हैं. हालांकि मुंबई के मामले कौन से वैरिएंट के हैं, इस बारे में पूरी जानकारी सामने नहीं आई है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने बताया था कि जेएन.1, सब-वैरिएंट BA.2.86 में एक एक्स्ट्रा म्यूटेशन से बना है और यह काफी तेजी से फैलता है. इसलिए सभी को सावधान रहने की जरूरत है. जनवरी 2024 में दिल्ली में जेएन.1 सब-वैरिएंट का केस मिलने के बाद एम्स ने बताया था कि कौन से लक्षण वालों को बिल्कुल भी लापरवाही नहीं बरतनी है और अगर ये लक्षण दिखे तो तुरंत जांच करानी चाहिए.

एक्सपर्ट्स का कहना है कि कोविड-19 के अलग-अलग वैरिएंट के कारण उसके लक्षणों में बदलाव दिख सकते हैं क्योंकि भारत के लोगों को वैक्सीन की डोज लग चुकी हैं.

कई लोगों को बूस्टर डोज भी लग चुकी है. हर बॉडी और उसकी इम्यूनिटी के आधार पर लोगों में अलग-अलग लक्षण नजर आ सकते हैं. सीडीसी ने 8 दिसंबर 2023 को जेएन.1 स्ट्रेन पर चर्चा करते हुए एक रिपोर्ट में कहा था, ‘जेएन.1 के लक्षण कितने गंभीर पर हैं, यह बात व्यक्ति की इम्यूनिटी और ओवरऑल हेल्थ पर डिपेंड करती है.’


यूके के हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि कोविड के जेएन.1 सब-वैरिएंट से संक्रमित लोगों ने कुछ संकेत बताए हैं, जिनमें शामिल हैं:

गले में खराश
नींद न आने की समस्या
एंग्जाइटी
बहती नाक
खांसी
सिरदर्द
कमजोरी या थकान
मांसपेशियों में दर्द

यूके के डॉक्टर्स के मुताबिक, ‘खांसी, गले में खराश, छींक आना, थकान और सिरदर्द सबसे अधिक बताए गए लक्षणों में से एक है लेकिन ये इंफ्लूएंजा के लक्षण भी हो सकते हैं इसलिए पहले टेस्ट कराएं.’

वैक्सीनेशन या पुराने संक्रमण से प्राप्त एंटीबॉडी के कारण नए वैरिएंट के कारण होने वाले मामूली लक्षणों में होने वाले परिवर्तनों को बताना मुश्किल है. खांसी, गले में खराश, छींक आना, थकान और सिरदर्द ज्यादातर लोगों में दिखाई दिया है.

कोरोना वायरस का एन्डेमिक असर संभव: स्वास्थ्य विशेषज्ञ
मैक्स अस्पताल की स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ. ममता त्यागी ने से कहा कि किसी भी प्रकार के एपिडेमिक के एक समयांतराल के बाद उसका एंडेमिक आता है। इस दौरान वह वायरस वातावरण में मौजूद तो रहता है, लेकिन उसकी पीड़ित करने की क्षमता और संक्रामकता दर घट जाती है। चूंकि कोरोना 19 को लेकर समाज में हर्ड इम्यूनिटी विकसित हो चुकी है, इसका असर ज्यादा घातक नहीं होगा। लेकिन इसके बाद भी लोगों को सतर्कता बरतनी चाहिए।

डॉ. ममता त्यागी ने कहा कि कभी-कभी कुछ वायरस अपने अंदर भारी बदलाव कर लेते हैं और वे नई संक्रामक क्षमता के साथ लोगों पर आक्रमण करते हैं, लेकिन अभी तक कोरोना के जो नए मामले सामने आए हैं, उनसे यह संकेत नहीं मिलता कि यह नया स्ट्रेन बहुत ज्यादा घातक या संक्रामक है। ऐसे में लोगों को बहुत चिंता नहीं करनी चाहिए। लेकिन सावधानी रखकर इससे बचने की कोशिश करनी चाहिए।

कोविड 19 के दौरान दिल्ली के बीएलके अस्पताल में कोरोना मामलों के नोडल इंचार्ज रहे डॉ. संदीप नायर ने अमर उजाला से कहा कि कोरोना का नया म्यूटेशन जेएन-1 खतरनाक श्रेणी का नहीं है। इसकी लोगों को संक्रमित करने की क्षमता भी सीमित पाई गई है। यह कोरोना के दूसरे संस्करण की तरह बिल्कुल भी विस्फोटक नहीं है। यदि ऐसा होता तो अब तक कोरोना के मरीज भारी संख्या में सामने आ चुके होते।

डॉ. संदीप नायर ने कहा कि इस संक्रामक वायरस की चपेट में आने वाले मरीजों को बुखार-खांसी के हल्के लक्षण हो सकते हैं। इस वायरस का असर दूसरी बीमारियों से जूझ रहे मरीजों पर नकारात्मक असर दिखा सकता है, ऐसे में जिन लोगों को कोई अन्य गंभीर बीमारी है, उन्हें सतर्कता बरतनी चाहिए। किसी भी लक्षण के दिखने पर मरीजों को तुरंत चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए। कोविड पॉजिटिव पाए जाने पर भी घबराना नहीं चाहिए। इसका इलाज सामान्य तौर पर हर जगह उपलब्ध है। पॉजिटिव पाए जाने पर अच्छे चिकित्सक से इलाज कराना चाहिए।

क्या करना चाहिए?
सतर्कता के तौर पर बीमार लोगों को सार्वजनिक स्थानों पर जाने से पहले मास्क पहनना शुरू कर देना चाहिए। सामान्य लोगों को भी सतर्कता के तौर पर भीड़भाड़ वाली जगहों पर अनावश्यक नहीं जाना चाहिए। समय-समय पर हाथ धुलने, हाथ को अपनी आंखों-नाक को बार-बार स्पर्श करने से बचना चाहिए।

Vishal Leel

Sr Media person & Digital Creator
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