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मातृशक्ति, देशभक्ति की सेवा सबसे बड़ी सेवा – डॉ राजपूत

संविधान हत्या दिवस का किया गया आयोजन

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सागर। वंदे भारत लाईव टीवी न्यूज रिपोर्टर सुशील द्विवेदी। राष्ट्रीय विचार का अभाव, अहंकार, क्रोध और मैं व्यक्ति का सबसे बड़ा दुश्मन होता है, हम सभी को इससे बचना चाहिए। उक्त विचार वरिष्ठ विचारक सुनील देव जी ने संविधान हत्या दिवस के अवसर पर जिला प्रशासन के द्वारा आयोजित कार्यक्रम में कन्या महाविद्यालय में व्यक्त किये। इस अवसर पर महाविद्यालय के जन भागीदारी अध्यक्ष श्रीमती मनीषा, श्री विनय मिश्रा, डॉ. दिवाकर राजपूत, डॉ. सर्वेश्वर उपाध्याय, डॉ. अमर जैन, जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी विवेक के वी, अपर कलेक्टर रुपेश उपाध्यक्ष, संयुक्त कलेक्टर देवेंद्र प्रताप सिंह, सचिन मसीह, संस्था के प्राचार्य डॉ आनंद तिवारी सहित अन्य जनप्रतिनिधि, महाविद्यालय के शिक्षक, छात्र-छात्राएं मौजूद थे। मध्यप्रदेश शासन के निर्देश अनुसार संविधान हत्या दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में वरिष्ठ विचारक सुनील देव जी ने कहा कि जिस व्यक्ति में राष्ट्रीय विचार का अभाव हो, अहंकार हो, क्रोध हो और व्यक्ति में मैं की भावना आए उस व्यक्ति का विनाश अवश्य होता है। इसलिए हमें इन सब चीजों से बचना चाहिए। उन्होंने कहा कि सत्ता शक्ति में जब व्यक्ति रहता है तो उस समय उनके आजू-बाजू अनेक ऐसे व्यक्ति शामिल होते हैं जो कि सत्ता शक्ति के व्यक्तियों को गर्त की ओर ले जाते हैं उनको उनसे हमें बचाना चाहिए। सुनील देव ने कहा कि आपातकाल 25 जून 1975 की पहली रात में एक लाख से अधिक व्यक्तियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था और तत्कालीन प्रधानमंत्री ने आपातकाल लगाकर देश के विरुद्ध ऐसे अनेक कार्य किये जिससे कि देश की जनता को नुकसान हुआ। उन्होंने कहा कि आपातकाल के दौरान अनेक ऐसे निर्णय भी लिए गए जो संविधान सम्मत नहीं थे। उन्होंने कहा कि देश के इतिहास में उस समय पहली बार विपक्षी दलों की माताएं-बहनंे ने सड़कों पर आकर विचार किया और जीत हासिल की। उन्होंने कहा कि देश के व्यक्तियों की जन जागरण एवं व्यक्तिगत संपर्क से आपातकाल समाप्त हो पाया। उन्होंने कहा कि आज के युवाओं को 1975 के समय की पुस्तकों को पढ़ना अवश्य चाहिए। इससे उनको नई ऊर्जा एवं शक्ति प्राप्त होगी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी 75 वर्ष होने पर अमृत काल मना रहे हैं हमें 1947 तक भारत को विकसित भारत बनाना ही होगा और भारत के नए भविष्य को गढ़ने की हमारी ही जिम्मेदारी है। इस अवसर पर डॉक्टर हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय के डॉ. दिवाकर सिंह राजपूत ने कहा कि 1947 में जब हम भारत का आम स्वर्णिम वर्ष बना रहे होंगे उस समय हमें अपने भारत के संबंध में संपूर्ण जानकारी हमारे युवाओं को देना ही होगी। उन्होंने कहा कि मातृशक्ति, राष्ट्रभक्ति की सेवा सर्वाेपरि होती है इसलिए हमें अपने देश की सेवा अवश्य करना चाहिए। लोकतंत्र की रक्षा, संविधान की रक्षा करना हमारा प्रथम कर्तव्य है। उन्होंने कहा कि संविधान के बारे में आज की युवाओं को विस्तार से जानकारी भी दी जाए। डॉ राजपूत ने कहा कि विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश के साथ ही हम भारतवासी सम्भवतः अकेले ऐसे देश हैं जो अपने देश को माता के रूप में पुकारते हैं, मानते हैं और अपनी मातृभूमि में विकास की गाथा को समृद्ध बनाने के लिये जरूरी है कि हमारा लोकतंत्र और संविधान सदा अक्षुण्ण बना रहे। संविधान हत्या दिवस के आयोजन के माध्यम से भारत सरकार ने एक अवसर दिया है कि हम उस कलुषित घटनाक्रम से आज की पीढ़ी को अवगत कराते हुये सजग बनाएँ। इसके लिये इआरपए मॉडल को प्रस्तुत किया। जिसमें कहा कि संस्कृति, मूल्य और देशप्रेम की शिक्षा देने वाले अनौपचारिक प्रक्रिया से सीखें, परिवार और संगठन ऐसे माध्यम हैं जो शिक्षा के साथ ही सुधार और पुनर्निर्माण की राह प्रशस्त करते हैं। अपनी ऊर्जा और दायित्व बोध के साथ सक्रिय सहभागिता और रचनाधर्मी जागरूकता से नयी राहों का निर्माण करें। इसलिए ई एजुकेशन के लिए आर रिफारमेसन के लिए पी पार्टिसिपेसन और ए अवेयरनेस के लिए है। प्रोफेसर राजपूत ने कहा कि हमको विघटनकारी सोच वालों से बचना है और विकसित भारत की संकल्पना को साकार करने के लिए आगे आना है। डॉ सर्वेश्वर उपाध्याय ने कहा कि आपातकाल का उपयोग अनुच्छेद 352 की अंतर्गत किया गया जिसमें उल्लेख है कि जब वाह आक्रमण या आंतरिक अशांति की जानकारी प्राप्त हो रही हो उस समय इसका उपयोग किया जाता है। उन्होंने कहा कि इसका उपयोग करने के पूर्व मंत्री परिषद की बैठक आयोजित कर निर्णय पारित कर कर राष्ट्रपति के समक्ष प्रस्ताव पर प्रस्तुत किया जाता है। उन्होंने कहा कि आपातकाल में जहां सभी प्रकार की आपत्तियां लगाई गई थी वहीं मीडिया पर भी प्रतिबंध लगाया गया था और समाचार पत्र भी प्रकाशित होने पर पाबंदी लगाई गई थी इसके लिए आपातकाल में विद्युत आपूर्ति भी प्रभावित की गई थी। जन भागीदारी अध्यक्ष श्रीमती मनीषा विनय मिश्रा ने कहा कि आपातकाल का दिन भारत के इतिहास में काल दिन के रूप में पहचान स्थापित की है हमें इसको हटाना होगा। उन्होंने कहा कि आपातकाल न केवल संविधान बल्कि भारत वासियों के मौलिक अधिकारों का पूर्णत हनन था। डॉ अमर जैन ने कहा कि संविधान हत्या दिवस के अवसर पर विस्तार से जानकारी दी और कार्यक्रम के संबंध में संक्षिप्त का प्रस्तुत की एवं लघु फिल्म भी प्रदर्शित की गई। इस अवसर पर डॉ. सुनीता त्रिपाठी सहित अन्य शिक्षक मौजूद थे।

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