
गाजीपुर/लखनऊ:Vande Bharat Live TV News Special Report
उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव 2026 को लेकर राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है। एनडीए की सहयोगी और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर ने स्पष्ट कर दिया है कि उनकी पार्टी इस बार पंचायत चुनाव अकेले लड़ेगी।
साथ ही उन्होंने एक बार फिर “कोटे में कोटा” की पुरानी मांग को हवा दी है। राजभर ने कहा कि वह जल्द ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस मुद्दे पर मुलाकात करेंगे। उनका कहना है कि ओबीसी और एससी आरक्षण में अति पिछड़ी जातियों को भी उचित प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए।
🔍 राजभर का तर्क:
राजभर का आरोप है कि वर्तमान आरक्षण व्यवस्था में कुछ ही जातियां बार-बार लाभान्वित हो रही हैं, जबकि कई अति पिछड़ी और उपेक्षित जातियां हाशिये पर हैं। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से गठित सामाजिक न्याय समिति की रिपोर्ट में ओबीसी आरक्षण को तीन वर्गों में बांटने की सिफारिश की गई थी:पिछड़ी जातियां (7%) – 16 जातियां
अति पिछड़ी जातियां (9%) – 32 जातियां सर्वाधिक पिछड़ी जातियां (11%) – 57 जातियां राजभर ने मांग की कि इन सिफारिशों के आधार पर विधानमंडल में प्रस्ताव लाकर कानून बनाया जाए, जिससे पंचायत चुनावों में भी इन वर्गों को समुचित भागीदारी मिल सके।
⚠️ बीजेपी के लिए खतरे की घंटी?
राजभर की इस मांग ने बीजेपी की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि “कोटे में कोटा” जैसी मांग वर्तमान संवैधानिक ढांचे में संभव नहीं है। यह एक अत्यंत संवेदनशील मुद्दा है और फिलहाल चुनावों के दृष्टिकोण से इसे लागू करना मुश्किल होगा।
🎯 निष्कर्ष:
ओम प्रकाश राजभर का यह नया दांव पंचायत चुनाव से पहले सामाजिक न्याय की राजनीति को नया मोड़ दे सकता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या बीजेपी इस संवेदनशील मुद्दे पर कोई रुख बदलती है या गठबंधन में दरार की स्थिति बनती है।