
समीर वानखेड़े :
जिले के मृदा एवं जल संरक्षण विभाग के दो बड़े कार्यों की ई-टेंडर प्रक्रिया में झूठे और जाली दस्तावेज प्रस्तुत कर सरकार को करोड़ों रुपये की चपत लगाने का मामला सामने आया है। इस मामले में चंद्रपुर सिंचाई ठेकेदार कल्याण संघ के अध्यक्ष इंद्रकुमार महाजन उके, निवासी नगीनाबाग, चंद्रपुर के खिलाफ मंगलवार को रामनगर पुलिस स्टेशन में विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है। जिला जल संरक्षण अधिकारी नीलिमा मंडपे ने इस संबंध में शिकायत दर्ज कराई थी।
लोक निर्माण विभाग के 2018 के सरकारी निर्णय के अनुसार, टेंडर प्रक्रिया में झूठे दस्तावेज़ प्रस्तुत करना एक गंभीर आपराधिक अपराध माना जाता है। जिला जल संरक्षण अधिकारी नीलिमा मंडपे ने रामनगर पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी। इस शिकायत के बाद पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है। इस मामले से जल संरक्षण विभाग के साथ-साथ ठेकेदारों में भी हड़कंप मच गया है और नागरिकों की नज़र इस बात पर है कि आगे क्या कार्रवाई होगी।
निविदा प्रक्रिया में हुई थी गड़बड़ी ।
इंद्र कुमार उके ने ई-निविदा जमा करते समय वार्षिक वित्तीय कारोबार की फर्जी जानकारी दी थी। उन्होंने एक चार्टर्ड अकाउंटेंट के फर्जी हस्ताक्षर से 2017-18 से 2022-23 तक के कारोबार को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया।
इससे उनकी बोली लगाने की क्षमता ज़्यादा दिखाई दी। दरअसल, जीएसटी कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार, उनका वित्तीय कारोबार जमा किए गए आंकड़ों से काफी कम था। इन फर्जी दस्तावेजों के आधार पर उके को दो बड़े ठेकों के तहत करोड़ों रुपये का भुगतान किया गया।
मृदा एवं जल संरक्षण विभाग, चंद्रपुर के अंतर्गत बोरगांव, वडकुली, चिवंडा, चकबेरडी और आर्वी, वामनपल्ली, पचगांव-1, तोहगांव-2, सोनुरली गांवों में गेटेड बांध और भंडारण बांध के निर्माण के लिए दो अलग-अलग निविदा प्रक्रियाएँ आयोजित की गईं। इन दोनों निविदाओं में इंद्र कुमार उके को ठेका मिला था। इन कार्यों के लिए निविदाएँ क्रमशः 4.77 करोड़ रुपये और 4.09 करोड़ रुपये की स्वीकृत हुई थीं। उके ने काम पाने के लिए वित्तीय वर्ष के टर्नओवर से अधिक दिखाकर जनता को गुमराह किया।