
सिद्धार्थनगर। पिपरहवा के उत्खनन में निकले भगवान बुद्ध के पुरातात्विक अवशेष 127 वर्ष बाद ब्रिटेन से वापस लाया गया है। 1898 में इन अवशेषों को अंग्रेज ब्रिटेन लेकर चले गए थे।भारत सरकार ने अब इसे वापस मंगाया है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक्स पर इसे पोस्ट कर प्रसन्नता जतायी है। उन्होंने कहा है कि आज सभी भारतीयों के लिए गर्व का दिन है।
पिपरहवा(कपिलवस्तु) भगवान बुद्ध की क्रीड़ास्थली है। यह जिला मुख्यालय से 20 किलोमीटर की दूरी पर है और पिपरहवा भगवान बुद्ध की जन्मस्थली लुम्बिनी(नेपाल) से 18 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
1898 ई. में बर्डपुर के तत्कालीन जमींदार विलियम क्लक्सटन पेप्पे द्वारा पिपरहवा स्थित मुख्य स्तूप का उत्खनन करके एक विशाल पत्थर का पात्र मिला था। इसमें भगवान बुद्ध की हड्डियों के अवशेष, क्रिस्टल और सोपस्टोन की पवित्र कलशियां और रत्नों व आभूषणों से भरे चढ़ावे थे।ऐसी मान्यता है कि भगवान शाक्य के वंशजों ने भगवान बुद्ध के अंतिम संस्कार के बाद इसे बनवाया था। इसमें से रत्नकलश व अन्य पुरातात्विक अवशेष पेप्पे अपने साथ लंदन लेकर चले गए थे।
10 मई में हांगकांग के सोथबी में भगवान बुद्ध के इन पुरातात्विक अवशेषों को पेपे के वंशज नीलाम कराने वाले थे। भारत सरकार को इसकी जानकारी हुई तो सरकार ने नीलामी को रुकवा दी।
- प्रधानमंत्री ने बुधवार को एक्स पर उन सभी लोगों की सराहना की है जिन्होंने नीलामी रोकने के लिए प्रयास किया थाा। प्रधानमंत्री ने अब इन पुरातात्विक अवशेषों को ब्रिटेन से मंगवा लिया है।हमारी सांस्कृतिक विरासत के लिए खुशी का दिन है। आप जानकर हैरान होंगे कुछ दिनों पहले इन अवशेषों की नीलामी होने वाली थी, लेकिन भारत सरकार अड़ गई और नीलामी रुकवा दिया था और आज इन अवशेषों को भारत वापस लाया जा रहा है।
ये पवित्र अवशेष भगवान बुद्ध और उनकी महान शिक्षाओं के साथ भारत के घनिष्ठ संबंध को दर्शाते हैं। ये हमारी गौरवशाली संस्कृति के विभिन्न पहलुओं के संरक्षण और सुरक्षा के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को भी दर्शाते हैं। प्रधानमंत्री ने एक्स पर यह भी लिया है कि इन पुरातात्विक अवशेषों को औपनिवेशिक काल के दौरान इन्हें भारत से बाहर ले जाया गया था।
यह जिले के लिए बेहद गौरवशाली दिन है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रयास से यह संभव हो सका है। इससे पहले हांगकांग में भगवान बुद्ध के पुरातात्विक अवशेषों की नीलाम को रोकने के लिए जिले के तमाम लोगों ने आवाज उठायी थी।
दैनिक जागरण सहित विभिन्न समाचार पत्रों ने इसे प्रमुखता से स्थान दिया था। समाचार पत्रों की कटिंग प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के पास भेजकर उन्हें लोगों की मांग से अवगत कराया गया था। उन्होंने गंभीरता से लिया और पुरातात्विक अवशेष को ब्रिटेन से वापस लाया गया।
डॉ. राजा गणपति आर, जिलाधिकारी
सिद्धार्थनगर समेत यह बौद्ध मतावलंबियों के लिए हर्ष का विषय है। पुरातात्विक अवशेषों को लाने के लिए स्वयं कई बार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से कह चुका था। प्रधानमंत्री ने इन पुरातात्विक अवशेषों को भारत मंगवाकर यहां के सांस्कृतिक मूल्यों की रक्षा की है। ये पुरातात्विक अवशेष भारत आ गए हैं। अब इन्हें सिद्धार्थनगर स्थित बौद्ध संग्रहालय लाने का प्रयास किया जाएगा।
जगदंबिका पाल, सांसद