
लखनऊ में इंसानियत शर्मसार : किसान राम मिलन पासी पर नायब तहसीलदार का थप्पड़, हालत गंभीर
बहुजन किसान के साथ मारपीट, PGI ट्रॉमा सेंटर में भर्ती, न्याय की मांग पर धरना जारी
लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में हुई एक दर्दनाक घटना ने पूरे प्रदेश को झकझोर दिया है। मिर्जापुर मस्तेमऊ गाँव में ज़मीन कब्ज़े को लेकर पहुँचे नगर निगम के नायब तहसीलदार ने बहुजन किसान राम मिलन पासी के साथ ऐसी बर्बरता की, जिसने इंसानियत को शर्मसार कर दिया।
किसान राम मिलन पासी ने अधिकारियों को दस्तावेज़ दिखाते हुए कहा कि यह ज़मीन उनके परिवार की पुश्तैनी है और तीन पीढ़ियों से चले आ रहे काग़ज़ इसके प्रमाण हैं। उन्होंने अधिकारियों से सिर्फ़ इतना निवेदन किया कि ज़मीन पर रखा भूसा सुरक्षित निकालने के लिए उन्हें एक घंटे का समय दे दिया जाए।
लेकिन किसान की इस मानवीय अपील का नायब तहसीलदार पर कोई असर नहीं हुआ। उल्टे, उन्होंने किसान को सबके सामने थप्पड़ जड़ दिया। यह प्रहार इतना जोरदार था कि किसान वहीं ज़मीन पर गिर पड़े और उनके कान से खून बहने लगा। कुछ ही देर में वे बेहोश हो गए।
स्थिति को और शर्मनाक तब बना दिया जब किसान की बुजुर्ग पत्नी मदद करने आगे आईं। पुलिसकर्मियों और अफसरों ने न केवल उनकी मदद नहीं की बल्कि किसान को और धक्का दे दिया। गंभीर हालत में किसान को पहले गोसाईगंज CHC पहुँचाया गया, वहाँ से सिविल अस्पताल और अंततः PGI ट्रॉमा सेंटर रेफर कर दिया गया। वर्तमान में किसान राम मिलन पासी ज़िंदगी और मौत के बीच संघर्ष कर रहे हैं।
सबसे चिंताजनक बात यह है कि हमला करने वाले नायब तहसीलदार और उनकी टीम मौके से भाग गई और घायल किसान को अस्पताल पहुँचाने तक की ज़िम्मेदारी नहीं निभाई। इससे भी बड़ा सवाल यह है कि पुलिस इस पूरे मामले पर शिकायत दर्ज करने में टालमटोल कर रही है।
यह घटना केवल एक किसान पर हमला नहीं, बल्कि बहुजन समाज और किसानों के अधिकारों पर सीधा प्रहार है।
न्याय की मांग
भीम आर्मी–आज़ाद समाज पार्टी (कांशीराम) की लखनऊ टीम इस पूरे मामले में पीड़ित परिवार के साथ खड़ी है और थाना सुशांत गोल्फ सिटी में धरने पर बैठी हुई है। उनका साफ़ कहना है कि यह धरना तब तक जारी रहेगा जब तक किसान को न्याय नहीं मिलता और दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं होती।
पीड़ित परिवार के लिए माँगें
संगठन ने राज्य सरकार से तीन प्रमुख माँगें रखी हैं:
दोषी नायब तहसीलदार और उनकी टीम पर SC/ST एक्ट व हत्या के प्रयास की धाराओं में मुक़दमा दर्ज किया जाए।
किसान राम मिलन पासी का इलाज सरकारी खर्चे पर उच्चस्तरीय चिकित्सा संस्थान में कराया जाए और उनके परिवार को मुआवज़ा व सुरक्षा दी जाए।
ज़मीन से जुड़े विवाद की निष्पक्ष जाँच कराई जाए और किसान का पुश्तैनी हक़ छीने जाने से रोका जाए।
यह मामला अब प्रदेश की राजनीति और नौकरशाही पर भी गंभीर सवाल खड़े कर रहा है। एक ओर किसान गंभीर हालत में अस्पताल में जीवन-मृत्यु से लड़ रहा है, वहीं प्रशासनिक तंत्र की संवेदनहीनता ने जनाक्रोश को और बढ़ा दिया है।
✍️ रिपोर्ट : एलिक सिंह
संपादक — समृद्ध भारत समाचार पत्र / वंदे भारत लाइव टीवी न्यूज़
📍 उत्तर प्रदेश महासचिव — भारतीय पत्रकार अधिकार परिषद
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