
अनिवार्य रूप से शिक्षित होना जरूरी-शिवानी जैन एडवोकेट
ऑल ह्यूमन सेव एंड फॉरेंसिक फाउंडेशन डिस्टिक वूमेन चीफ शिवानी जैन एडवोकेट ने कहा कि स्वामी दयानंद सरस्वतीजी ने सन् 1875 में 10 अप्रैल गुड़ी पड़वा के दिन मुंबई में आर्य समाज की स्थापना की थी। आर्यसमाज का सबसे अधिक प्रभाव पंजाब, हरियाणा और दिल्ली में देखने को मिलता है। आर्य समाज एक हिन्दू सुधार आंदोलन है। इस समाज का उद्देश्य वैदिक धर्म को पुन: स्थापित कर संपूर्ण हिन्दू समाज को एकसूत्र में बांधना है।
थिंक मानवाधिकार संगठन की एडवाइजरी बोर्ड मेंबर डॉ कंचन जैन ने कहा कि आर्य समाज के अनुसार ईश्वर एक ही है जिसे ब्रह्म कहा गया है। स्वामी दयानंद सरस्वती जी ने वेदों को ईश्वरीय ज्ञान मानते हुए ‘पुनः वेदों की ओर चलो का नारा दिया।’
मां सरस्वती शिक्षा समिति के प्रबंधक डॉ एच सी विपिन कुमार जैन, संरक्षक डॉक्टर एच सी आर के जैन, आलोक एडवोकेट, ज्ञानेंद्र चौधरी एडवोकेट, निदेशक डॉक्टर नरेंद्र चौधरी, डॉ अमित गुप्ता, शार्क फाउंडेशन की तहसील प्रभारी डॉ एच सी अंजू लता जैन, आदि ने कहा कि महर्षि दयानन्द जी ने सार्वभौमिक शिक्षा का प्रतिपादन किया। उन्होनें कहा कि माता-पिता तथा राज्य के लिए यह आवश्यक है कि सभी को अनिवार्य रूप से शिक्षित किया जाये ताकि स्वयं वेदों का अध्ययन कर उनके अनुकूल आचरण करें व दूसरो द्वारा दी गई व्याख्या को मानने के लिए बाध्य न हो।
शिवानी जैन एडवोकेट
डिस्ट्रिक्ट वूमेन चीफ