
सागर। सार्वजनिक, धार्मिक स्थलों पर बाल भिक्षावृत्ति रोकथाम अभियान चलाए तथा देखरेख एवं संरक्षण की आवश्यकता वाले बच्चों की पहचान कर बच्चों के पुनर्वास करें। उक्त निर्देश कलेक्टर श्री दीपक आर्य ने बाल भिक्षावृत्ति की रोकथाम हेतु जागरूकता अभियान की समीक्षा बैठक में दिए। इस अवसर पर नगर पुलिस अधीक्षक श्री यस बाजोरिया, जिला महिला बाल विकास अधिकारी श्री बृजेश त्रिपाठी, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. ममता तिमोरे, जिला परियोजना अधिकारी श्री गिरीश मिश्रा, प्रभारी संयुक्त संचालक सामाजिक न्याय श्री डी एस यादव, श्रीमती ज्योति तिवारी, श्री चंद्र प्रकाश शुक्ला सहित अधिकारी मौजूद थे। बाल भिक्षावृत्ति की रोकथाम हेतु राज्य शासन द्वारा लागू ’सड़क पर पुनर्वास हेतु नीति 2022 में दिये गये रहने वाले बच्चों के प्रावधानुसार भिक्षावृत्ति में लिप्त बच्चों का चिन्हांकित कर बच्चों तथा उनके परिवारों को विभिन्न सामाजिक सुरक्षा एवं कल्याणकारी योजनाओं से जोड़ने हेतु बाल भिक्षावृत्ति की रोकथाम हेतु 20 दिवसीय जागरूकता अभियान चलाया जाना निर्धारित किया गया है। जिले मे अभियान के तहत कलेक्टर श्री दीपक आर्य ने कहा कि जन जागरूकता शिविर लगाए एवं चिन्हित किए गए व्याख्या व्यक्ति वाले बच्चों के आयुष्मान कार्ड एवं आधार कार्ड भी बनाएं। उन्होंने कहा कि सभी चिन्हित किए गए बच्चों के लिए छात्रावास सहित अन्य व्यवस्थाएं भी सुनिश्चित की जावे। कलेक्टर श्री आर्य ने कहा कि जिले की मंदिर-मस्जिद सहित अन्य सार्वजनिक स्थानों से भीख मांगने वाले बच्चों की जानकारी प्राप्त करें एवं उनका पुनर्वासित करें। अभियान का मुख्य उद्देश्य देखरेख एवं संरक्षण की आवश्यकता वाले मिक्षावृत्ति में लगे हुए बच्चों की पहचान, अभियान चिन्हांकित कर उन्हें समाज की मुख्य धारा में जोड़ना। कार्यक्रम संपादन में आवश्यक सहयोग प्रदान करने वाले विभाग के तहत् जिला बाल संरक्षण ईकाइ की यह जिम्मेदारी होगी कि वह अपने जिले के विभागों यथा सामाजिक न्याय विभाग, स्कूल शिक्षा विभाग, पुलिस विभाग, खेल एवं युवक कल्याण विभाग, श्रम विभाग, नगरीय प्रशासन आदि विभागों के साथ समन्वय स्थापित करें और प्रस्तावित गतिविधियों का आयोजन करें। बाल भिक्षावृत्ति रोकथाम अन्तर्गत विभिन्न विभागों के समन्वय से दल गठन कर विभिन्न चौराहों एवं धार्मिक स्थलों पर बाल भिक्षावृत्ति रोकथाम अभियान चलाया जाये तथा देखरेख एवं धार्मिक स्थलों पर बाल भिक्षावृत्ति रोकथाम अभियान चलाया जाये तथा देखरेख एवं संरक्षण की आवश्यकता वाले बच्चों की पहचान कर बच्चों के पुनर्वास के लिए उन्हें बाल कल्याण समिति के समक्ष प्रस्तुत किया जाए।
जिले में भिक्षावृत्ति निवारण का व्यापक कियान्वयन किये जाने हेतु किशोर न्याय अधिनियम, नियम एवं भिक्षावृत्ति रोकथाम के संबंध में प्रभावशील अन्य अधिनियम / नियम का पालन सुनिश्चित करना। जिला स्तर पर प्रशासनिक व्यवस्था सुनिश्चित करवाते हुये भिक्षावृत्ति निवारण हेतु प्रयास करना। भिक्षावृत्ति करने वाले परिवार जिनके रहने हेतु स्थान नही है उन्हें रैन बसेरा जैसे स्थान पर संरक्षण प्रदान करवाना। विशेष पुलिस इकाई के सहयोग से बच्चों को भिक्षावृत्ति में नियोजित करने वाले व्यक्तियों के विरुद्ध किशोर न्याय अधिनियम की धारा 76 के तहत् कार्यवाही करना एवं बच्चों को संरक्षण प्रदान करने की व्यवस्था करना। गतिविधियों के क्रियान्वयन प्रेस एक बैठक जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में विभिन्न विभागों से समन्वय करते हुए जिले की परिस्थितियों के अनुरूप जिले स्तर पर की जाने वाली प्रस्तावित गतिविधियों के क्रियान्वयन हेतु एक बैठक का आयोजन कर विस्तृत कार्ययोजना तैयार करना एवं जिला बाल संरक्षण इकाई के हस्तक्षेप संबंधी भूमिका निर्धारित करना। बाल भिक्षावृत्ति की रोकथाम हेतु जिले में बाजार, रेल्वे स्टेशन, बस स्टेशन, मुख्य चौराहों, प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों आदि में होर्डिंग्स लगाना, नुक्कड़ नाटकों का आयोजन, रैली निकालना, पर्चे, पेम्पलेट बंटवाना। प्रचार-प्रसार हेतु शार्ट वीडियों, रील, आदि प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का उपयोग करना। यातायात के संकेत चिन्हों पर भिक्षा न देने एवं भिक्षावृत्ति करना एवं करवाना अपराध जैसे स्लोगन चस्पा करवाना। समाज में “भिक्षावृत्ति अभिशाप है, ’भिक्षा नहीं शिक्षा दें“ जैसे स्लोगन्स के साथ विभिन्न जन-जागरूकता कार्यक्रम, शिविर का आयोजन एवं प्रचार-प्रसार करना। जिलों के स्कूलों एवं कॉलेजों में बाल भिक्षावृत्ति की रोकथाम के लिए जन-जागरूकता अभियान चलाना। पुलिस एवं काउन्सलर्स के साथ जिले स्तर पर परिचर्चा आयोजित करना। अन्तर्विभागीय समन्वय बाल मिक्षावृत्ति की रोकथाम करने हेतु सामाजिक न्याय, नगरीय प्रशासन, श्रम, स्कूल शिक्षा, पुलिस, खेल एवं युवक कल्याण आदि विभागों के साथ जागरूकता एवं प्रचार-प्रसार हेतु रणनीति एवं निगरानी योजना तैयार करना। डाटा संग्रहण जिले स्तर पर 20 दिवसीय जागरूकता अभियान के माध्यम से चिन्हांकित देखरेख एवं संरक्षण की आवश्यकता वाले बच्चों की सूची तैयार करना तथा बच्चों एवं परिवार की आवश्यकता के अनुरूप बच्चों को विभिन्न सामाजिक सुरक्षा योजना से जोड़ना एवं देखरेख एवं संरक्षण की आवश्यकता वाले बालकों का चिन्हांकन कर बाल देखरेख संस्थाओं में प्रवेशित करवाना एवं अन्य गैर संस्थागत योजना जैसे स्पांसरशिप, फॉस्टर केयर आदि से जोड़ना। अंतिम परिणाम (आउटकम) इस अभियान के दौरान चिन्हांकित देखरेख एवं संरक्षण की आवश्यकता वाले बच्चों को उचित कार्यवाही कर समाज की मुख्य धारा से जोडना एवं परिवार आधारित वैकल्पिक देखरेख जैसे योजनाओं से लाभांवित करना, जोखिम वाले परिवारों को जागरूक बनाना एवं उनकी जिम्मेदारी सुनिश्चित करना। किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम, 2015 की धारा 76 में भीख मांगने के प्रयोजन के लिए बालक को नियोजित करने या किसी बालक से भीख मंगवाने पर पाँच वर्ष के कारावास और एक लाख रूपये के दण्ड का प्रावधान है।