
अजीत मिश्रा (खोजी)
।। राजस्व मामलों की जांच को लेकर बड़ा फैसला ।।
उत्तर प्रदेश में अब लेखपाल की रिपोर्ट ही अंतिम नहीं मानी जाएगी। मुख्यमंत्री कार्यालय ने जनता दर्शन में आ रही शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए लेखपाल स्तर की जांच पर रोक लगा दी है। अब राजस्व संबंधी शिकायतों की जांच लेखपाल नहीं, नायब तहसीलदार करेंगे।
अपर मुख्य सचिव एसपी गोयल ने सभी मंडलायुक्तों और जिलाधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं:
नायब तहसीलदार से नीचे कोई अधिकारी राजस्व मामलों की जांच नहीं करेगा। शिकायतकर्ता को सुनने के बाद ही नायब तहसीलदार देंगे अपनी रिपोर्ट। उपजिलाधिकारी (SDM) स्तर पर होगा अंतिम निर्णय और समाधान। जनता की समस्याओं के प्रति गंभीर हुआ सीएम कार्यालय — अब किसी की रिपोर्ट से नहीं, सुनवाई से होगा न्याय।
💫उत्तर प्रदेश में राजस्व जांच प्रणाली में बड़ा बदलाव, लेखपाल की रिपोर्ट को नहीं मिलेगा अंतिम दर्जा💫
उत्तर प्रदेश सरकार ने राजस्व मामलों की जांच प्रक्रिया में क्रांतिकारी बदलाव करते हुए लेखपाल स्तर की जांच को समाप्त कर दिया है। मुख्यमंत्री कार्यालय की पहल पर यह कदम उठाया गया है ताकि राजस्व से जुड़ी शिकायतों का त्वरित, निष्पक्ष और प्रभावी समाधान सुनिश्चित किया जा सके। इस फैसले का उद्देश्य भ्रष्टाचार पर लगाम लगाना और जनता को न्याय दिलाने की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाना है।
💫लेखपाल जांच को हटाकर नायब तहसीलदार को अधिकार
अब तक उत्तर प्रदेश के राजस्व मामलों में लेखपाल की जांच रिपोर्ट को अंतिम मानकर कार्रवाई होती थी। लेकिन प्राप्त शिकायतों और जनता दर्शन के दौरान आए फीडबैक के आधार पर यह व्यवस्था पूरी तरह बदल दी गई है। सरकार ने स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं कि राजस्व मामलों की जांच अब लेखपाल नहीं बल्कि नायब तहसीलदार करेंगे। इसके तहत नायब तहसीलदार से नीचे के किसी भी अधिकारी को राजस्व मामलों की जांच करने का अधिकार नहीं होगा।
💫शिकायतकर्ता की सुनवाई को दिया जाएगा प्राथमिकता
नया प्रावधान यह सुनिश्चित करता है कि नायब तहसीलदार शिकायतकर्ता को सुनने के बाद ही अपनी रिपोर्ट तैयार करेगा। इससे पूर्व अक्सर शिकायतकर्ता की बात सुने बिना केवल कागजी जांच के आधार पर निर्णय हो जाता था, जिससे न्याय प्रक्रिया प्रभावित होती थी। अब शिकायतकर्ता की बात को गंभीरता से लिया जाएगा और उसकी सुनवाई के बाद निष्पक्ष रिपोर्ट बनाकर उपजिलाधिकारी (SDM) को भेजा जाएगा।
💫अंतिम निर्णय उपजिलाधिकारी स्तर पर
जांच रिपोर्ट मिलने के बाद उपजिलाधिकारी (SDM) स्तर पर ही अंतिम निर्णय लिया जाएगा। उपजिलाधिकारी स्तर पर मामले की समीक्षा और समाधान सुनिश्चित करने से फैसलों में अधिक न्यायसंगत और त्वरित प्रक्रिया संभव होगी। इससे जनता के बीच प्रशासनिक तंत्र के प्रति विश्वास बढ़ाने में मदद मिलेगी।
💫मुख्यमंत्री कार्यालय की संवेदनशील पहल
मुख्यमंत्री कार्यालय ने जनता दर्शन में प्राप्त शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए यह बड़ा प्रशासनिक सुधार किया है। अपर मुख्य सचिव एसपी गोयल ने सभी मंडलायुक्तों और जिलाधिकारियों को निर्देशित किया है कि इस नई प्रक्रिया का सख्ती से पालन किया जाए। उन्होंने कहा कि अब किसी भी अधिकारी की रिपोर्ट को अंतिम न मानते हुए, शिकायतकर्ता की सुनवाई के आधार पर न्याय सुनिश्चित किया जाएगा।
💫भ्रष्टाचार और मनमानी पर लगेगा ब्रेक
इस बदलाव से राजस्व विभाग में पारदर्शिता बढ़ेगी और भ्रष्टाचार को काफी हद तक रोका जा सकेगा। लेखपाल स्तर की जांच में अक्सर पक्षपात और देरी की शिकायतें आती थीं, जिन्हें ध्यान में रखते हुए यह कदम उठाया गया है। नायब तहसीलदार द्वारा सीधे शिकायतकर्ता से संवाद स्थापित करने से शिकायतों का त्वरित समाधान संभव होगा।
💫जनता को मिलेगा त्वरित और न्यायसंगत समाधान
इस नई व्यवस्था के लागू होने से आम जनता को अपनी समस्याओं का शीघ्र निवारण मिलेगा और न्याय प्रक्रिया में पारदर्शिता बढ़ेगी। इससे प्रशासन की जवाबदेही और कार्यकुशलता में सुधार होगा, जो कि सरकार की प्राथमिकताओं में से एक है।
💫अधिकारियों और जनता की प्रतिक्रिया
अपर मुख्य सचिव एसपी गोयल ने कहा, “यह निर्णय जनता की अपेक्षाओं और शिकायतों को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। अब जांच प्रक्रिया में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित होगी। हमारा मकसद है कि हर नागरिक को न्याय मिले और कोई भी शिकायत अनसुनी न रहे।”
मंडलायुक्त राजेश कुमार ने इस पहल का स्वागत करते हुए कहा, “नायब तहसीलदार को अधिक जिम्मेदारी देने से मामलों का त्वरित निपटारा होगा। इससे आम जनता की समस्याओं का समाधान जल्दी होगा और भ्रष्टाचार की संभावनाएं कम होंगी।”
💫निष्कर्ष:
उत्तर प्रदेश सरकार का यह प्रशासनिक सुधार राजस्व मामलों में न्याय की प्रक्रिया को प्रभावी और पारदर्शी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। शिकायतों की सुनवाई और न्याय सुनिश्चित करने के लिए लेखपाल की रिपोर्ट को अंतिम मानना बंद कर नायब तहसीलदार को जांच अधिकारी बनाना, और उपजिलाधिकारी को अंतिम निर्णयकर्ता बनाना, जनता के प्रति सरकार की जवाबदेही और संवेदनशीलता को दर्शाता है।