
अजीत मिश्रा (खोजी)
।। BBD ग्रुप की 100 करोड़ की बेनामी दौलत पर आयकर विभाग का ताबड़तोड़ एक्शन, दलित कर्मचारियों के नाम पर रजिस्टर्ड थी ज़मीनें।।
💫लखनऊ में BBD ग्रुप की 100 करोड़ की बेनामी संपत्ति जब्त, दलित कर्मचारियों के नाम पर दर्ज थीं ज़मीनें, IT विभाग की तगड़ी कार्रवाई।
💫BBD ग्रुप की मुश्किलें बढ़ीं, आयकर विभाग की सबसे बड़ी बेनामी कार्रवाई
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में आयकर विभाग ने एक चौंकाने वाली कार्रवाई करते हुए देश के चर्चित कारोबारी समूह BBD ग्रुप की 100 करोड़ रुपए की संपत्तियों को जब्त कर लिया है। यह कार्रवाई बेनामी संपत्ति निषेध अधिनियम 1988 के तहत की गई है। विभाग के अनुसार, जिन जमीनों पर यह कार्रवाई हुई है, वे अयोध्या रोड के आसपास के प्रमुख क्षेत्रों में स्थित हैं और तेजी से बढ़ते रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स का हिस्सा मानी जा रही थीं।
💫अयोध्या रोड पर करोड़ों की ज़मीनें, पर मालिकाना हक दलित कर्मचारियों के नाम
आयकर विभाग की जांच में सामने आया है कि इन संपत्तियों को 2005 से 2015 के बीच खरीदा गया था और इनका रजिस्ट्रेशन BBD ग्रुप के दलित श्रेणी के कर्मचारियों के नाम पर किया गया था। जिन स्थानों पर यह ज़मीनें पाई गईं हैं, उनमें मुख्य रूप से उत्तरधौना, जुग्गौर, टेराखास, सरायशेख और सेमरा गांव शामिल हैं। विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक, इन कर्मचारियों की आमदनी इतनी नहीं थी कि वे इतनी मूल्यवान ज़मीन खरीद सकें, जिससे इन संपत्तियों पर बेनामी संपत्ति का संदेह गहराया।
💫असली मालिक निकले BBD ग्रुप की चेयरपर्सन अलका दास और विराज सागर दास💫
जांच के गहरे स्तर पर आयकर अधिकारियों ने यह खुलासा किया कि इन संपत्तियों के वास्तविक मालिक BBD ग्रुप की चेयरपर्सन अलका दास और उनके बेटे विराज सागर दास हैं। संपत्तियां भले ही दलित कर्मचारियों के नाम पर दर्ज थीं, लेकिन उनके रखरखाव, विकास और नियंत्रण का पूरा कार्य BBD प्रबंधन द्वारा किया जा रहा था।
💫दो शेल कंपनियों के माध्यम से संचालित हो रही थीं करोड़ों की ज़मीनें
आयकर विभाग की रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि इन संपत्तियों को दो कंपनियों — Viraj Infratown Pvt Ltd और Hitech Protection India Pvt Ltd — के नाम पर रजिस्टर्ड किया गया था। ये कंपनियां BBD ग्रुप से जुड़ी हुई बताई जा रही हैं और इनके द्वारा ही जमीनों की खरीद और विकास कार्य करवाया जा रहा था।
💫आयकर विभाग की महीनों चली जांच के बाद बड़ा एक्शन
यह कार्रवाई एक दिन या एक हफ्ते की जांच का परिणाम नहीं है, बल्कि महीनों की सतर्क निगरानी, डाटा विश्लेषण और दस्तावेजों के सत्यापन के बाद की गई है। सूत्रों की मानें तो आयकर विभाग ने पहले सभी संदिग्ध लेन-देन की ट्रैकिंग की, फिर उन कर्मचारियों से पूछताछ की जिनके नाम पर संपत्तियां थीं। पूछताछ में स्पष्ट हुआ कि इन लोगों को ज़मीन की खरीद की जानकारी तक नहीं थी।
💫अयोध्या रोड पर चल रहे निर्माण कार्य पर भी नजर
जब्त की गई संपत्तियों में अयोध्या रोड के ऐसे भूखंड भी शामिल हैं, जहां पर वर्तमान में बड़े पैमाने पर निर्माण कार्य चल रहा है। इन कार्यों को BBD ग्रुप की रियल एस्टेट परियोजनाओं का हिस्सा माना जा रहा है। विभाग अब यह जांच कर रहा है कि क्या इन निर्माण कार्यों में भी फर्जीवाड़ा हुआ है और क्या इन प्रोजेक्ट्स में निवेश करने वाले लोगों की जानकारी को भी गुमराह किया गया है।
💫बिना वैध आय स्रोत के लोगों के नाम पर दर्ज थीं ज़मीनें
आयकर विभाग की जांच में सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि जिन लोगों के नाम पर जमीन दर्ज थी, उनकी कमाई का कोई वैध और नियमित स्रोत नहीं था। न ही उनके बैंक अकाउंट्स में कोई बड़ा ट्रांजैक्शन पाया गया, जिससे यह साबित होता कि उन्होंने करोड़ों की ज़मीन खरीदी हो। यह सीधे तौर पर बेनामी संपत्ति निषेध अधिनियम 1988 का उल्लंघन है।
💫अगला कदम: ED और अन्य एजेंसियों की संभावित एंट्री
अब इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) और CBI जैसी एजेंसियों की भी एंट्री हो सकती है, क्योंकि इन संपत्तियों के जरिए बड़े पैमाने पर मनी लॉन्ड्रिंग और टैक्स चोरी की आशंका जताई जा रही है। इस कार्रवाई से BBD ग्रुप की प्रतिष्ठा पर गहरा असर पड़ा है, जो शिक्षा और रियल एस्टेट सेक्टर में एक बड़ा नाम माना जाता है।
💫क्या कहता है कानून और क्या हो सकता है अगला एक्शन?
बेनामी संपत्ति निषेध अधिनियम 1988 के तहत, यदि किसी संपत्ति का वास्तविक स्वामी छिपा हुआ पाया जाता है और वह किसी अन्य व्यक्ति के नाम पर उसे छिपाने की कोशिश करता है, तो ऐसी संपत्तियों को सरकार जब्त कर सकती है। इतना ही नहीं, दोषी पाए जाने पर 7 साल तक की जेल और भारी जुर्माना भी हो सकता है। विभाग अब अलका दास और विराज सागर दास की व्यक्तिगत संपत्तियों की जांच करने की तैयारी में है।