
अजीत मिश्रा (खोजी)
🚨 मनरेगा में खुला खेल, पत्रकारों की मेहनत पर अधिकारी बटोर रहे लाभ। प्रधान,सचिव, रोजगार सेवक पर कार्रवाई शून्य 🚨
💫मनरेगा में खुला भ्रष्टाचार, डीसी मनरेगा और बीडीओ की चुप्पी बनी सवाल, कार्रवाई नहीं, संरक्षण दे रहे अधिकारी?
💫क्या भाजपा सरकार ने अधिकारियों को दी खुली छूट मनरेगा में भ्रष्टाचार पर खामोशी से उठे भरोसे के सवाल।
उत्तर प्रदेश में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुका है। जिले के कई ब्लॉकों में योजनाएं कागजों पर चल रही हैं, जबकि जमीनी हकीकत पूरी तरह अलग है। पत्रकार लगातार इस घोटाले को उजागर कर रहे हैं, लेकिन अधिकारियों की चुप्पी कई सवाल खड़े कर रही है। प्रशासनिक उदासीनता और राजनीतिक चुप्पी ने भ्रष्टाचारियों के हौसले बुलंद कर दिए हैं। सवाल यह उठ रहा है कि क्या भाजपा सरकार खुद भ्रष्टाचार को संरक्षण दे रही है या जिले के अधिकारी सरकार को खुला चैलेंज दे रहे हैं?कार्रवाई की जगह संरक्षण ब्लॉक से लेकर जिला स्तर तक अधिकारियों की भूमिका सवालों के घेरे में है। जिन पर कार्यवाही होनी चाहिए, वे आज भी पदों पर बने हुए हैं। पत्रकारों द्वारा जब-जब मनरेगा के फर्जी भुगतान, फर्जी मस्टर रोल, बिना काम के मजदूरी, और अपात्रों को भुगतान जैसे मामलों की रिपोर्टिंग की जाती है, तब-तब अधिकारियों का जवाब “जांच कर रहे हैं” तक सीमित रह जाता है।
पत्रकारों की कलम बेअसर सिस्टम लाचार? अंबेडकरनगर जनपद में पत्रकारों ने बार-बार भ्रष्टाचार के सबूतों के साथ समाचार प्रकाशित किए, लेकिन इसके बावजूद न तो किसी अधिकारी को सस्पेंड किया गया और न ही किसी बड़े दोषी पर ठोस कार्रवाई हुई। इससे साफ है कि या तो अधिकारी पूरी तरह बेलगाम हो चुके हैं या फिर उन्हें सरकार की ओर से खुली छूट मिल चुकी है।जनता का सवाल – कौन जिम्मेदार क्या भाजपा सरकार ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों पर कार्रवाई करने से बच रही है।क्या सरकार की नीयत साफ है या व्यवस्था पर नियंत्रण खत्म हो चुका है।क्या अंबेडकरनगर जिले में पत्रकारिता की ताकत को नजरअंदाज कर भ्रष्टाचार को खुलेआम बढ़ावा दिया जा रहा है।मनरेगा जैसी जनकल्याणकारी योजना भ्रष्टाचार का गढ़ बन चुकी है। अगर समय रहते जिम्मेदारों पर सख्त कार्रवाई नहीं हुई, तो यह न केवल सरकारी व्यवस्था की विश्वसनीयता को चोट पहुंचाएगा बल्कि सरकार की नीयत पर भी बड़ा सवाल खड़ा करेगा।