समाज कल्याण विभाग की परवरिश योजना के तहत जिले में कुल 424 बच्चे वह किशोरी का पालन पोषण हो रहा है।डायरेक्ट बेनिफिशियरी ट्रांसफर (डीबीटी) के माध्यम से लाभको और पालनकर्ता के संयुक्त बैंक खाते में अनुदान की राशि भेजी जाती है। परवरिश योजना का लाभको शिशु से 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों व किशोर को मिलता है। जिसे किशोरी का पालन पोषण हो सके। बाल संरक्षण इकाई सीवान के पदाधिकारी राजकुमार सिंह ने बताया कि इस योजना के तहत अभी 424 किशोर को इसका लाभ दिया जा रहा है। यह योजना समाज कल्याण विभाग द्वारा संचालित हो रहा है। इस योजना का लाभ पाने के लिए सरकार के तरफ से कोई लक्ष्य निर्धारित नहीं है। सरकार का उद्देश्य है कि इस योजना से ज्यादा से ज्यादा बच्चे को लाभ मिल सके। बैचलियों से दूर रखने के लिए डीबीटी के माध्यम से राशि दी जाती है। इस योजना का उद्देश्य राज्य सरकार द्वारा बच्चों की देखरेख एवं संरक्षण के गैर सांस्थानिक कार्यक्रम के तहत लाभ पहुंचाना है।
ऐसे मिलेगा योजना का लाभ
बाल संरक्षण ईकाई के पदाधिकारी ने बताया कि योजना का लाभ लेने के लिए संलग्न किए जाने वाले दस्तावेज में आवेदक का बीपीएल की प्रकाशित सूची का प्रमाण पत्र अथवा सक्षम प्राधिकार के द्वारा निर्गत आय प्रमाण पत्र (यदि बीपीएल सूची में नाम नहीं हो) अनाथ बच्चे का सक्षम प्राधिकारी द्वारा निर्गत मृत्यु प्रमाण पत्र।बच्चे का आधार कार्ड, जन्म प्रमाण पत्र, बच्चे एवं अभिभावक का संयुक्त बैंक खाता, मोबाइल नंबर, बच्चे एवं आवेदक का फोटो, आय प्रमाण पत्र, विधवा माता की संतान होने की स्थिति में पिता की मृत्यु का प्रमाण पत्र।तलाकशुदा परित्यक्ता की संतान होने की स्थिति में सक्षम प्राधिकार द्वारा निर्गत प्रमाण पत्र, बच्चे जिनके माता-पिता गंभीर बीमारी (कैंसर, एड्स आदि) से पीड़ित होने की स्थिति में हैं तो सदर अस्पताल द्वारा निर्गत चिकित्सा प्रमाण पत्र लगेगा।वहीं बच्चे जिनके माता-पिता दुर्घटना में आंशिक अस्वस्थता से पीड़ित होने की स्थिति में सक्षम प्राधिकार द्वारा निर्गत 60 प्रतिशत या उससे अधिक का विकलांगता प्रमाण पत्र जैसे कागजात घोषणा पत्र के साथ संलग्न करना अनिवार्य है। सभी आवेदन पत्र संबंधित जिले के जिला बाल संरक्षण इकाई कार्यालय में जमा किए जाएंगे। उन्होंने बताया कि इस योजना का उद्देश्य अनाथ बच्चों को आर्थिक सहायता उपलब्ध कराना है।