हाइलाइट्स
- असदुद्दीन ओवैसी ने प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट के हवाले से सर्वे पर उठाया सवाल
- विष्णु गुप्ता ने कहा, यहा मामला सर्वे नहीं एएसआई की इमारत पर अधिकार का
- एएसआई ने कोर्ट में रखा है अपना पक्ष, अपने स्मारक पर अधिकार न होने की बात
- प्राचीन स्मारक अधिनियम का दिया हवाला, कहा- नहीं लागू हो सकता वर्शिप एक्ट
संभल मस्जिद सर्वे के दौरान पुलिस की टीम पर पत्थरबाजी की गई। सर्वे टीम को जामा मस्जिद छोड़ने को कहा गया। उपद्रवियों की भीड़ ने फायरिंग भी की। इस दौरान चार लोगों की मौत हो गई। यह मुद्दा अब राजनीतिक रंग ले चुका है। वहीं, संभल जामा मस्जिद- हरिहर मंदिर प्रकरण में अब टीवी चैनलों पर भी डिबेट शुरू हो गई है। न्यूज चैनल आज तक पर बहस के दौरान संभल जामा मस्जिद सर्वे में हिंदू पक्षकार की ओर से पैरवी कर रहे वकील विष्णु शंकर जैन और एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी आमने-सामने आए।
असदुद्दीन ओवैसी ने प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 का हवाला देते हुए सर्वे कराए जाने पर सवाल खड़ा किया। इसके जवाब में सुप्रीम कोर्ट के वकील विष्णु शंकर जैन ने एएसआई अधिनियम का हवाला देते हुए अपना पक्ष रखा। विष्णु शंकर जैन के तर्कों ने मामले के एक अलग पहलू से लोगों को अवगत कराया है।
ओवैसी ने सर्वे पर उठाए सवाल
एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट के सेक्शन 3 और 4 का उल्लेख करते हुए कहा कि आप वहां खुदाई कराकर क्या साबित करना चाहते हैं? सर्वे क्यों कराया जा रहा है? उन्होंने कहा कि एक्ट का सेक्शन 3 और 4 स्पष्ट रूप से कहता है कि 15 अगस्त 1947 को जिस धर्म का धार्मिक स्थल की जिस स्वरूप में होगा, न उसका कन्वर्जन होगा, न ही उसका करेक्टर चेंज किया जा सकता है। इसके बाद सर्वे किस बुनियाद पर किया जा रहा है?
विष्णु जैन ने दिया जवाब
असदुद्दीन ओवैसी के सवालों पर हिंदू पक्षकार की पैरवी करने वाले वकील विष्णु शंकर जैन ने सधे अंदाज में जवाब दिया। उन्होंने कहा कि असदुद्दीन ओवैसी का सवाल फेक्चुअली गलत है। उन्होंने कहा कि खुदाई हो रही है, ऐसा आदेश है, जबकि मस्जिदों के मामले में ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है। विष्णु जैन ने कहा कि असदुद्दीन ओवैसी दिखाएं, कोर्ट ने खुदाई का आदेश कहां दिया है। अगर वह दिखा देते हैं तो मैं उनसे माफी मांग लूंगा।
विष्णु जैन ने कहा कि ज्ञानवापी में जो आदेश था, उसे हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने मॉडिफाई कर दिया। मथुरा श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले में खुदाई का कोई आदेश नहीं है। भोजशाला मामले में खुदाई का कोई आदेश नहीं है। आप खुदाई से जुड़े बयानों से क्या साबित करना चाहते हैं? इस प्रकार के बयान अफवाह फैलाने वाले होते हैं। असदुद्दीन ओवैसी बैरिस्टर हैं। वह बता दें कि खुदाई का आदेश कहां है?
प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट के सेक्शन 3 और 4 मसले पर विष्णु शंकर जैन ने कहा कि मैं भी वही कह रहा हूं। सेक्शन 4 की उपधारा-3 पढ़ लीजिए। इसमें साफ लिखा हुआ है कि प्लेसिस ऑफ वर्शिप एक्ट वहां लागू नहीं होगा, जो स्थल आर्कियोलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया की ओर से संरक्षित स्मारक है। एएसआई ने संभल जामा मस्जिद को स्मारक के तौर पर 1920 में नोटिफाई किया था। इसलिए यहां पर प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट लागू ही नहीं होता है।
विष्णु शंकर जैन ने एएसआई स्मारक पर उसका कब्जा न होने की भी बात उठाई। उन्होंने कहा कि एएसआई ने कोर्ट में अपना एफिडेविट फाइल किया है। इसमें कहा गया है कि एएसआई ही अपने स्मारक में घुसने नहीं दिया जा रहा है। असदुद्दीन ओवैसी से सवालिया लहजे में विष्णु शंकर जैन ने पूछा कि देश में एएसआई संरक्षित उस इमारत के बारे में बता दीजिए, जो उसके कब्जे में नहीं है।
राइट ऑफ वे का उठाया मुद्दा
विष्णु शंकर जैन पर असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि वह यूपी सरकार का स्टैंडिंग काउंसिल है। उन्हें इसकी इजाजत नहीं मिली। कोर्ट में कहा गया कि उन्हें राइट ऑफ वे चाहिए। अगर कोई राइट ऑफ वे चाहता है तो सर्वे की क्या जरूरत आन पड़ी। उनका प्रेयर पढ़ लीजिए। उसमें लिखा है कि राइट ऑफ वे चाहिए। कोर्ट उनकी अपील दोपहर में सुनता है। आदेश जारी कर देता है। कोर्ट से मस्जिद की दूरी 45 किलोमीटर है। 2 घंटे में सर्वे शुरू हो जाता है।
ओवैसी ने कहा कि पुलिस वहां पूरी तरह मुस्तैद थी। यहां क्या हो रहा है? कोई आर्कियोलॉजिकल एक्ट के तहत राइट ऑफ वे चाह रहा है। राइट ऑफ वे पर चाहिए तो वह जाकर मस्जिद में बैठे। कौन रोक रहा है? लेकिन, सर्वे का आदेश क्यों दिया गया? इसकी क्रोनोलॉजी समझने की जरूरत है।
एएसआई के अधिकार का है मामला
असदुद्दीन ओवैसी के विष्णु शंकर जैन के यूपी सरकार के स्टैंडिंग काउंसिल होने और हितों के टकराव के मसले पर भी उन्होंने जवाब दिया। विष्णु जैन ने कहा कि बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के पक्षकार रहे जफरयार जिलानी समाजवादी पार्टी सरकार में असिस्टेंट एडवोकेट जनरल थे। यह पद स्टैंडिंग काउंसिल से ऊपर होता है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी की ओर से पक्ष रखा था। इसको क्या माना जाए कि क्या सपा सरकार बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी की ओर से केस लड़ रही थी?
विष्णु शंकर जैन ने असदुद्दीन ओवैसी से सवाल किया कि आप इस तरह की बातें करके क्या साबित करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि संभल जामा मस्जिद केस में यूपी सरकार पार्टी नहीं है। यह बात समझानी पड़ेगी। सरकार केवल वहां पर कानून व्यवस्था को बनाए रखने के मामले में एक पक्ष है। यह स्मारक एएसआई संरक्षित है। यह पूरा विवाद एएसआई और पेटीशनर के बीच का है। पेटीशनर की मांग है कि एएसआई अपना स्मारक अपने अधिकार में ले।
विष्णु शंकर जैन ने कहा कि राइट ऑफ वे के मसले पर कि एएसआई ने अपने एफिडेविट में साफ किया है कि उनके अधिकारी स्मारक में घुस नहीं पा रहे हैं। राइट ऑफ एक्सेस इसलिए मांगा जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस मामले में प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट की बात तो कर रहे हैं, लेकिन प्राचीन स्मारक और ध्वंसावशेष अधिनियम 1958 को पढ़िए।
प्राचीन स्मारक अधिनियम का हवाला
प्राचीन स्मारक एक्ट के सेक्शन-16 में लिखा हुआ है कि अगर एएसआई की ओर से संरक्षित कोई स्मारक अगर कोई श्राइन या पूजा स्थल है तो एएसआई उसका धार्मिक चरित्र निर्धारित करेगा। इसके बाद उस व्यक्ति को एक्सेस देगा जो उसके धार्मिक चरित्र के अनुरूप काम करता है। विष्णु जैन ने कहा कि इसलिए हम चाहते हैं कि एएसआई पहले वहां कब्जा ले। उसका धार्मिक चरित्र निर्धारित करें।
विष्णु शंकर जाना कहा कि असदुद्दीन ओवैसी ने हमारा प्रेयर नंबर-ए तो पढ़ लिया लेकिन प्रेयर नंबर-बी नहीं पढ़ा। प्रेयर नंबर-बी में स्पष्ट मांग है कि स्मारक पर एएसआई अपना कब्जा ले। उन्होंने एएसआई के 2018 के एफआईआर का जिक्र करते हुए कहा कि इसमें लिखा गया है, स्मारक में बड़े बदलाव किए जा रहे हैं। यह एक्ट का वायलेशन है।
एएसआई के एफआईआर से साफ है कि स्मारक पर कब्जा कर लिया गया है। विष्णु जैन ने कहा कि आपको जानकर आश्चर्य होगा कि दो-तीन माह पहले संभल जामा मस्जिद का सर्वे हुआ था। वहां जब एएसआई के अधिकारी सर्वे कर रहे थे तो उन्हें सर्व नहीं करने दिया गया। उनके वीडियो बनाए जाने लगे। इस पर एएसआई ने अपनी रिपोर्ट दी। इसमें कहा गया कि हमें अपने स्मारक में घुसने नहीं दिया जा रहा है