
प्राचीन बाबड़ी हो रही है लगातार उपेक्षा का शिकार
आज का संविधान रायसेन भारत सरकार और मध्यप्रदेश सरकार के द्वारा ग्राम बासियों को पानी की पूर्ती के लिए जल जीवन मिशन योजना के अंतर्गत हर घर शुद्ध पेयजल उपलब्ध करने की लगातार पेरबी तो की जा रही है परन्तु यह जल जीवन मिशन योजना आखिर में सफेद हाथी साबित होने वाली हैं। और ग्राम बासियों के लिए पेयजल की अगर कोई पूर्ति करा सकती हैं तो वह पुराने जल स्त्रोत जिनमें सबसे पहला नाम अगर किसी जल स्वॉत् का आता है तो वह पुरानी और प्राचीन चाबड़ियां जो वर्तमान में जिला प्रशासन के साथ ग्राम चासियों को लगातार उपेक्षा का शिकार होने के कारण कई बावडीयों पर अतिक्रमण करके अपना आशियाना बना लिया गया। और कई बाबड़ियां ऐसी है जिनमें पानी तो झिर के माध्यम से आता है परन्तु उपेक्षा के चलते यह
बाबड़ियां मात्र अपनी उपस्थिति ग्रामों में करा रही है। जिला मुख्यालय से मात्र 20 किलो मीटर की दूरी पर स्थित सांचेत ग्राम जहां पर जगह जगह पर धार्मिक
स्थल होने के कारण भक्तजनों का तांता लगा रहता है। और प्राचीन बावड़ियों में पानी की स्वच्चाता और देखभाल न होने के कारण भक्तजनों की पेयजल की
समस्या का सामना करना पड़ता है धार्मिक स्थलों में जैसे बिलखिरिया में प्रसिद्ध कंकाली मंदिर खंडेरा में खोले चाली मैया का मंदिर सांचेत में स्थित मां हिंगलाज माता मठ और प्राचीन बावड़ी दोनों का स्वामी नर हरि महाराज के द्वारा इनका निर्माण कराया गया था। प्राचीन बावड़ी में मां हिंगलाज दुर्गामठ तक एक गुप्त सुरंग मोजूद है जो कि करीब 500 मीटर लंबी है इसके रास्ते से स्वामी नर हरि महाराज मां हिंगलाज देवी की पूजा करने बाबड़ी से मां हिंगलाज मठ तक पहुंचते थे। सांचेत में संतो की धरोहर 1100 वर्ष पुरानी प्राचीन बाबड़ी भी उपेक्षा की शिकार हो रही है। कहने को तो जिले में कई धार्मिक स्थल संतों की तपोभूमि के साथ प्रसिद्ध हो चुके है परन्तु इन बाबड़ियों की उपेक्षा के चलते अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रही है प्राचीन और पुरानी बावड़ियां।