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केंद्र सरकार बड़ा फैसला! अब 5वीं और 8वीं में भी होंगे फेल, केंद्र सरकार ने बदला नियम, जानें क्या थी ‘नो डिटेंशन पॉलिसी’..केंद्र सरकार ने शिक्षा के अधिकार नियम, 2010 में संशोधन किया..

केंद्र सरकार ने नो डिटेंशन पॉलिसी को खत्म कर दिया है. इससे अब कक्षा पांच और कक्षा आठ के बच्चों को भी वार्षिक परीक्षा में फेल किया जाएगा. साल 2010-11 में पांचवीं और आठवीं कक्षा के बच्चों को फेल करने पर रोक लगा दी गई थी. News18 हिंदी Last Updated : December 23, 2024, 17:39 IST Editor picture written by : Praveen Singh Editor picture translated by : रवि सिंह No Detention Policy : सरकार साल ने साल 2010-11 में नो डिटेंशन पॉलिसी लागू की थी. No Detention Policy : सरकार साल ने साल 2010-11 में नो डिटेंशन पॉलिसी लागू की थी.‘नो डिटेंशन पॉलिसी’ पर केंद्र सरकार के फैसले का विरोध शुरू, इस राज्य सरकार ने आदेश मानने से किया इनकार..

नई दिल्ली:- केंद्र सरकार ने शिक्षा व्यवस्था में एक बड़े बदलाव का ऐलान किया है.केंद्र सरकार ने सोमवार को क्लास 5 से 8 तक के छात्रों के लिए ‘नो डिटेंशन पॉलिसी’ (no detention policy) को खत्म कर दिया.शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक, अब कक्षा पांच और आठ में भी बच्चों को फेल किया जाएगा. कक्षा पांच और 8 की वार्षिक परीक्षा में फेल होने वाले छात्रों को दो महीने के भीतर दोबारा परीक्षा में बैठने का अवसर दिया जाएगा. अगर इसमें भी असफल रहते हैं तो उन्हें फेल कर दिया जाएगा और दोबारा उसी कक्षा में पढ़ना पड़ेगा.

केंद्र सरकार ने शिक्षा के अधिकार नियम, 2010 में संशोधन किया है, जिसके तहत राज्यों को कक्षा 5वीं और 8वीं के छात्रों के लिए नियमित परीक्षा आयोजित करने की अनुमति दी गई है, साथ ही अगर वे फेल हो जाते हैं तो उन्हें रोकने का विकल्प भी दिया गया है। यह संशोधन आरटीए अधिनियम में 2019 के संशोधन के पांच साल बाद आया है, जिसमें “नो-डिटेंशन” नीति को खत्म कर दिया गया था।

अभी तक आठवीं कक्षा तक बच्चों को फेल नहीं करने का प्रावधान था. साल 2010-11 से 8वीं कक्षा तक परीक्षा में फेल होने के प्रावधान पर रोक लगा दी गई थी. मतलब यह कि बच्चों के फेल होने के बावजूद अगली क्लास में प्रमोट कर दिया जाता था. लेकिन इससे देखा गया कि शिक्षा के लेवल पर धीरे धीरे गिरावट आने लगी.जिसका असर 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं पर पड़ने लगा. काफी लंबे समय से इस मामले पर विचार विमर्श के बाद नियमों में बदलाव कर दिया गया.

फेल होने वाले बच्चों पर दिया जाएगा खास ध्यान

केंद्र सरकार के शिक्षा मंत्रालय ने इसके संबंध में नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया है. अधिसूचना में कहा गया है कि अगर स्टूडेंट परीक्षा में फेल होता है तो उसे 2 महीने के अंदर दोबारा परीक्षा में बैठने का मौका मिलेगा लेकिन उसमें भी असफल होने पर अगली क्लास में प्रमोट नहीं किया जाएगा. लेकिन इस दौरान फिर फेल होने वाले छात्र को सुधार का मौका दिया जाएगा. टीचर उस फेल होने वाले स्टूडेंट पर खास ध्यान देंगे साथ ही समय-समय पर पेरेंट्स को भी गाइड करेंगे

क्या थी नो डिटेंशन पॉलिसी?

नो डिटेंशन पॉलिसी शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 की एक अहम नीति थी. इस नीति के तहत कक्षा पांच और आठ के बच्चों को वार्षिक परीक्षा में फेल नहीं किया जाता था. इस नीति के तहत, सभी छात्र पारंपरिक परीक्षाओं का सामना किए बिना अपने आप अगली कक्षा में प्रमोट हो जाते थे. यह नीति बच्चों के सतत और व्यापक मूल्यांकन पर जोर देती थी.

RTE 2019 में संशोधन के बाद लिया गया फैसला

आपको बता दें कि केंद्र सरकार ने शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2019 (आरटीई) में संशोधन के बाद यह फैसला लिया है। केंद्र सरकार की ओर से अभी 18 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने ‘नो-डिटेंशन पॉलिसी’ को खत्म कर दिया है। यह राज्य और केंद्रशासित प्रदेश असम, बिहार, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, मध्य प्रदेश, मेघालय, नागालैंड, पंजाब, राजस्थान, सिक्किम, तमिलनाडु, त्रिपुरा, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, दिल्ली, दादरा, नगर हवेली और जम्मू और कश्मीर हैं।

एक अधिसूचना के अनुसार, नियमित परीक्षा के आयोजन के बाद, यदि कोई बच्चा समय-समय पर अधिसूचित पदोन्नति मानदंडों को पूरा करने में विफल रहता है, तो उसे दो महीने की अवधि के भीतर अतिरिक्त निर्देश और पुन: परीक्षा का अवसर दिया जाएगा।

अधिसूचना में कहा गया है, “यदि पुन: परीक्षा में बैठने वाला बच्चा फिर से पदोन्नति के मानदंडों को पूरा करने में विफल रहता है, तो उसे पांचवीं कक्षा या आठवीं कक्षा में रोक दिया जाएगा, जैसा भी मामला हो। बच्चे को रोके रखने के दौरान, कक्षा शिक्षक बच्चे के साथ-साथ यदि आवश्यक हो तो बच्चे के माता-पिता का मार्गदर्शन करेगा और मूल्यांकन के विभिन्न चरणों में सीखने के अंतराल की पहचान करने के बाद विशेष जानकारी प्रदान करेगा।”

हालांकि, सरकार ने स्पष्ट किया है कि प्रारंभिक शिक्षा पूरी होने तक किसी भी बच्चे को किसी भी स्कूल से नहीं निकाला जाएगा।

शिक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार, अधिसूचना केंद्रीय विद्यालयों, नवोदय विद्यालयों और सैनिक स्कूलों सहित केंद्र सरकार द्वारा संचालित 3,000 से अधिक स्कूलों पर लागू होगी।

“चूंकि स्कूली शिक्षा एक राज्य का विषय है, इसलिए राज्य इस संबंध में अपना निर्णय ले सकते हैं। दिल्ली सहित 16 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों ने पहले ही इन दो कक्षाओं के लिए नो-डिटेंशन पॉलिसी को खत्म कर दिया है।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “हरियाणा और पुडुचेरी ने अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया है, जबकि शेष राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों ने नीति को जारी रखने का फैसला किया है।”

केंद्र सरकार ने सोमवार को क्लास 5 से 8 तक के छात्रों के लिए ‘नो डिटेंशन पॉलिसी’ (no detention policy) को खत्म कर दिया था। इसका मतलब ये था कि अगर क्लास 5 से 8 तक का कोई भी छात्र परीक्षा में फेल हो जाता है, तो उसे अब से अगली क्लास में प्रमोट नहीं किया जाएगा। लेकिन तमिलनाडु सरकार (Tamilnadu govt. refuses) ने केंद्र के इस फैसले का विरोध करते हुए बिगुल फूंक दिया है। तमिलनाडु सरकार में स्कूल शिक्षा मंत्री अंबिल महेश पोय्यामोझी ने कहा कि उनके राज्य में केंद्र के इस फैसले का पालन नहीं होगा और वह नो डिटेंशन पॉलिसी को जारी रखेंगे।

Protest against Central Government’s decision on ‘No Detention Policy’ begins, this State Government says – will not obey the order : बीते कुछ समय से केंद्र सरकार के फैसलों का विपक्षी दलों के नेतृत्व वाले राज्यों में विरोध हो रहा है। नो डिटेंशन पॉलिसी पर मोदी सरकार के फैसले का विरोध करने वाला तमिलनाडु पहला राज्य बन गया है। तमिलनाडु सरकार की तरफ से केंद्र के फैसले के विरोध में दलील देते हुए कहा गया है कि ‘नो डिटेंशन पॉलिसी की वजह से गरीब परिवारों के बच्चे क्लास 8 तक बिना किसी परेशानी के पढ़ पाते हैं।’ राज्य के शिक्षा मंत्री अंबिल महेश पोय्यामोझी ने इसे दुखद बताते हुए कहा कि ‘परीक्षा पास न कर पाने की स्थिति में विद्यार्थियों को उसी क्लास में रोकने के फैसले का गरीब परिवारों पर असर पड़ेगा और उनके बच्चों के लिए शिक्षा प्राप्त करने में बाधा आएगी।’

तमिलनाडु ने इसके पहले भी केंद्र सरकार के कई फैसलों का विरोध किया है। राज्य में राष्ट्रीय शिक्षा नीति भी लागू नहीं है। शिक्षा मंत्री ने यह भी बताया कि तमिलनाडु खुद विशेष राज्य शिक्षा नीति का मसौदा तैयार कर रहा है। उन्होंने कहा कि केंद्र का नो डिटेंशन पॉलिसी खत्म करने का फैसला केवल राज्य के उन स्कूलों पर लागू होगा, जिनका स्वामित्व केंद्र के पास है।

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Vishal Leel

Sr Media person & Digital Creator
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