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राज्य में 2000 करोड़ का एसटी घोटाला, सरकार को अंधेरे में रखकर बसें लीज पर लेने का फैसला

समीर वानखेड़े चंद्रपुर महाराष्ट्र:
आए दिन महाराष्ट्र राज्य परिवहन महामंडल किसी न किसी कारण से सुर्खियों में रहता है ।ऐसा ही एक मामला सुर्खियों में आया है ।खुलासा हुआ है कि राज्य में 2 हजार करोड़ का एसटी घोटाला हुआ है। यह बात सामने आई है कि सरकार को अंधेरे में रखते हुए एस टी ने 1310 बसों को लीज पर लेने का फैसला किया है। लीज पर बस लेते हुए ठेकेदार पर विशेष मेहरबानी करने का भी आरोप लग रहा है । फिलहाल मुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़णवीस ने बसें लीज पर लेने के फैसले को निलंबित कर दिया है और खबर है कि इस मामले में पूरी जांच के आदेश दे दिये गये हैं।  यह लेनदेन विवादों के घेरे में है और संभव है कि इस फैसले से एसटी कॉर्पोरेशन को करीब 2000 करोड़ का आर्थिक नुकसान हुआ हो।
नई महायुति सरकार के अस्तित्व में आने के बाद खातों के आवंटन से पहले सभी विभागों का प्रभार देवेन्द्र फड़णवीस के पास था। इस दौरान यह बात सामने आई कि संबंधित कंपनियों को आशय पत्र दे दिए गए हैं। यह भी कहा जा रहा है कि निगम के कामकाज को लेकर मुख्यमंत्री ने परिवहन मंत्री प्रताप सरनाईक से नाराजगी भी जतायी। बताया जाता है कि लीज पर बसें खरीदने का फैसला तब टाल दिया गया जब मुख्यमंत्री को यह जानकारी दी गई कि इस पूरे घोटाले में दो हजार करोड़ का नुकसान हो सकता है।
2000 करोड़ का एसटी घोटाला उजागर
विधानसभा चुनाव से पहले परिवहन निगम ने 1310 बसों को लीज पर देने के लिए टेंडर दाखिल किया था। एसटी बसों को लीज पर लेने और बसों को विभाग अनुसार लेने की प्रचलित पद्धति को तोड़कर, मंडल को तीन समूहों में विभाजित करने और प्रत्येक समूह में 400 से 450 के साथ 1310 ट्रेनों को किराए पर लेने का निर्णय लिया गया। इस पर परिवहन मंत्री प्रताप सरनाईक ने कहा है कि उन्हें नहीं पता कि मुख्यमंत्री ने क्या फैसला लिया है। निगम में गलत चीजें बर्दाश्त नहीं की जाएंगी। यात्रियों के हित और हित में निर्णय हमारी प्राथमिकता होगी। उन्होंने समाचार समूह से यह भी कहा कि कोई समझौता नहीं होगा।
यह बात सामने आने के बाद कि राज्य परिवहन निगम ने सरकार को अंधेरे में रखकर 1310 बसें लीज पर लेने का फैसला लिया है, संभावना है कि इस सौदे में परिवहन बोर्ड को दो हजार करोड़ का नुकसान होगा। चूंकि टेंडर प्रक्रिया के दौरान इन ट्रेनों को सात साल के लिए लीज पर देने का निर्णय लिया गया था, इसलिए निगम को लगभग 2000 करोड़ का नुकसान उठाना पड़ेगा। तकनीकी योग्यता टेंडर आचार संहिता का उल्लंघन होने की बात सामने आयी है। अब कहा जा रहा है कि मुख्यमंत्री ने इस फैसले पर स्टे दे दिया है।

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