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महाकुंभ में एक दिन में 200 लोग अपनों से बिछड़े, तीन दिन से मां के इंतजार में बैठा है एक श्रद्धालु

वाराणसी का विशाल तीन दिन से अपनी मां का महाकुम्भ नगर स्थित भूले- भटके शिविर में इंतजार कर रहा है। विशाल मां के साथ रविवार को संगम स्नान करने आया था। स्नान के बाद मां-बेटे लौट रहे थे . ..

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वाराणसी का विशाल तीन दिन से अपनी मां का महाकुम्भ नगर स्थित भूले- भटके शिविर में इंतजार कर रहा है। विशाल मां के साथ रविवार को संगम स्नान करने आया था। स्नान के बाद मां-बेटे लौट रहे थे तभी दोनों का साथ छूट गया। संगम क्षेत्र में अकेले भटक रहे विशाल को पुलिस के एक जवान ने भूले-भटके शिविर पहुंचा दिया। विशाल मानसिक रूप से कमजोर है। पूछने पर सिर्फ इतना बताया है कि उसका घर बनारस है। वह पिता का नाम उमाशंकर बता रहा है। 17 साल का विशाल अपने घर या गांव का पता नहीं बता पा रहा है।

शिविर में बैठा विशाल भूले-भटके शिविर के द्वार अपनी मां के आने का इंतजार करता रहता है। शिविर के संचालक उमेश चंद्र तिवारी ने बताया कि विशाल को कोई लेने नहीं आता है तो पुलिस की मदद से उसे घर पहुंचाएंगे। विशाल की तरह शिविर में पश्चिम बंगाल की दो महिलाएं दो दिन से अपनों का इंतजार कर रही है। सिलीगुड़ी के पास इस्लामपुर की संध्या सरकार पति और 50 लोगों के साथ ट्रेन से संगम स्नान करने आई थीं। अपनों का साथ छूटा तो शिविर में पहुंच गई। इसी प्रकार मौमी चक्रवर्ती भी साथ आए लोगों से अलग होकर शिविर में पहुंची। दोनों महिलाएं साथ आए लोगों की प्रतीक्षा कर रही हैं। दोनों के पास परिवार के सदस्य या परिचित का फोन नंबर नहीं है।

मकर संक्रांति पर 200 से अधिक का छूटा साथ

मेला क्षेत्र में मकर संक्रांति स्नान पर्व पर 200 से अधिक लोगों का अपनों का साथ छूटा। बिछड़ने के बाद पुरुष, महिला और बच्चे भूले भटके शिविर पहुंचे। भारत सेवा आश्रम की ओर से संचालित शिविर में 100 से अधिक लोग शिविर में पहुंचे। इसके संचालक उमेश चंद्र तिवारी ने बताया कि लगभग आधा दर्जन भटकी महिलाओं और बच्चों के शिविर का भूल भटके शिविर में वाराणसी लोग अपनों का इंतजार करते रहे। भूली का विशाल। संचालन कर रहे संत प्रसाद पांडेय ने बताया कि लगभग लगभग 100 महिलाएं और बच्चे शिविर में पहुंचे है।

दूसरे दिन भी बंद रही उद्घोषणा

महाकुम्भ नगर में लगातार दूसरे दिन एनाउंसमेंट बंद रहा। एनाउंसमेंट बंद होने के कारण भूले-भटके शिविरों में पहुंचने वालों की जानकारी सार्वजनिक तौर पर नहीं दी जा सकी। कई लोग अपने या साथी के बिछड़ने की सूचना देने आए, लेकिन एनाउंसमेंट नहीं होने की जानकारी मिलने पर लौट गए। बताया जा रहा है कि वायरलेस से बात करने में हो रही परेशानी को देखते हुए एनाउंसमेंट बंद किया गया। इसकी वजह से सबसे अधिक परेशानी भूले-भटके शिविरों को हो रही है।

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