250 बच्चों का खाना अकेले हजम कर गए मैनेजर, स्कूल से छात्र गायब, टीचर बोला- कुंभ नहाने गए हैं… अधिकारी भी हैरान
उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में शिक्षा व्यवस्था की बदहाली और सरकारी योजनाओं में हो रहे घोटालों की एक और बानगी सामने आई है. जिले के कई अनुदानित विद्यालय कागजों में शिक्षा दिखाकर सरकार से धन ऐंठ रहे हैं. कागजों में दर्ज बच्चों की संख्या दिखाकर उनके हिस्से का भोजन (एमडीएम), फल, दूध और पोषण सामग्री स्कूल प्रबंधन व संबंधित अधिकारी डकार रहे हैं.
बस्ती जिले का शंकर पार्वती पूर्व माध्यमिक विद्यालय.
उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में स्कूली बच्चों के अधिकारों पर डाका डाला जा रहा है. विद्यालय के प्रबंधक फर्जी तरीके से मिड डे मील का भोजन व अन्य सुविधाओं को हड़प रहे हैं. छात्र गैर-मान्यता प्राप्त स्कूलों में पढ़ रहे हैं, लेकिन कागजों में इनका पंजीकरण अनुदानित स्कूलों में दिखाकर सरकारी धन का दुरुपयोग किया जा रहा है. ऐसे ही एक स्कूल की हकीकत जानी तो मामला चौंकाने वाला निकला. इससे ज्यादा हैरत तब हुई जब टीचर से स्कूल में बच्चों की उपस्थिति के बारे में पूछा तो बताया गया कि छात्र कुंभ नहाने गए हैं.
मामला जिले की बहादुरपुर ब्लॉक के शंकर पार्वती पूर्व माध्यमिक विद्यालय सुकरौली का है. विद्यालय की स्थिति बेहद खराब है. 2006 में इसे जूनियर स्तर तक अनुदानित विद्यालय का दर्जा मिला था. शैक्षणिक सत्र में यहां 350 बच्चे पंजीकृत हैं, मौके पर पड़ताल किया तो यहां बच्चे नजर नहीं आए.
स्कूल के कमरों में झाड़ियां
स्कूल में 10 कमरे हैं, जिनमें से 3 कमरों में कबाड़ भरा है. जबकि, बाकी 7 कमरों में टेबल-बेंच के बजाय बड़ी-बड़ी झाड़ियां उग आई हैं. स्कूल परिसर गंदगी से भरा पड़ा है. हैंडपंप वर्षों से खराब है और कक्षाओं के बाहर कक्ष संख्या लिख दी गई है, ताकि कागजों में सब कुछ सामान्य दिखे. स्कूल की दीवारों पर एमडीएम चार्ट तो लगा है, लेकिन वह भी इतना पुराना है कि पढ़ना मुश्किल है. यह साबित करता है कि यहां न तो पढ़ाई हो रही है और न ही बच्चों को सरकार द्वारा दी जाने वाली सुविधाओं का कोई लाभ मिल रहा है.
टीचर बोला- कुंभ नहाने गए हैं बच्चे
टीम ने स्कूल के प्रधानाध्यापक संदीप पांडेय से बच्चों की उपस्थिति और पंजीकरण को लेकर सवाल किया तो उन्होंने बताया कि रजिस्टर देखना पड़ेगा. जब स्कूल शिक्षक से बच्चों के उपस्थिति के विषय में पूछा गया तो अजीबो गरीब जवाब देते हुए कहा कि सारे बच्चे कुंभ नहाने गए हैं. जब स्थानीय लोगों से बात की गई तो उन्होंने बताया कि स्कूल में पढ़ाई नहीं होती. अधिकतर बच्चे आसपास के गैर-मान्यता प्राप्त स्कूलों में पढ़ते हैं. लेकिन उनके नाम यहां दर्ज किए गए हैं, ताकि अनुदान और सरकारी योजनाओं का लाभ उठाया जा सके.
सरकारी अनुदान हड़पने का बना अड्डा
उन्होंने बताया कि यदि यहां सही में पढ़ाई होती, तो कमरों में झाड़ियां न होतीं. उन्होंने बताया कि स्कूल परिसर साफ-सुथरा रहता और सुविधाएं बेहतर होतीं. उनका आरोप है कि यह स्कूल सिर्फ सरकारी अनुदान हड़पने का अड्डा बन चुका है. जानकारी के मुताबिक, सरकार प्रत्येक बच्चे के लिए 9.29 रुपये प्रतिदिन कन्वर्जन राशि और 150 ग्राम राशन देती है. इसके अलावा, प्रधानमंत्री पोषण योजना के तहत अलग से अनुदान मिलता है. अगर यहां 100 बच्चों के नाम पर एमडीएम दिया जा रहा है, तो हर महीने लाखों रुपये की हेराफेरी हो रही है. \
क्या बोले शिक्षा अधिकारी?
इस पूरे मामले पर जब बेसिक शिक्षा अधिकारी अनूप कुमार तिवारी से बात की गई तो उन्होंने बताया कि आपके माध्यम बताया गया है, उन्होंने खंड शिक्षा अधिकारी को निरीक्षण करने के लिए बोल दिया है. मान्यता कब की है, अस्थाई मान्यता है या अस्थाई मान्यता है या उसकी मान्यता समाप्त हो चुकी है और यदि है तो क्या वह विद्यालय संचालित हो रहा है? कितने बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं?
जो भी रिपोर्ट आएगी उसी के हिसाब से आगे की कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने शिक्षक द्वारा कुंभ नहाने गए बच्चों के सवाल का जवाब देते हुए कहा कि ऐसे कैसे बच्चे कुंभ नहाने जा सकते हैं? कौन व्यक्ति था ये सब जांच का विषय है, जैसे ही इसकी रिपोर्ट प्राप्त होगी उसके बाद उन शिक्षक पर भी कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी.